अबू धाबी में पत्थरों से बने पहले हिंदू मंदिर की वास्तुकला में दिखी UAE की झलक

अबू धाबी में पत्थरों से बने पहले हिंदू मंदिर की वास्तुकला में दिखी UAE की झलक

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संयुक्त अरब अमीरात (अबू धाबी) के सात अमीरातों का प्रतिनिधित्व करने वाले सात शिखर, ऊंटों की नक्काशी और राष्ट्रीय पक्षी बाज अबू धाबी में पत्थरों से बने पहले हिंदू मंदिर में मेजबान देश की झलक पेश करते हैं। दुबई-अबू धाबी शेख जायेद हाइवे पर अल रहबा के समीप स्थित बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) द्वारा निर्मित यह हिंदू मंदिर करीब 27 एकड़ जमीन पर बनाया गया है। इस मंदिर को करीब 700 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है। मंदिर के लिए जमीन संयुक्त अरब अमीरात ने दान में दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस मंदिर का बुधवार को उद्घाटन करेंगे।

  • UAE का पहला हिंदू मंदिर मेजबान देश की झलक पेश करता है
  • यह हिंदू मंदिर करीब 27 एकड़ जमीन पर बनाया गया है
  • इस मंदिर को करीब 700 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है
  • मंदिर के लिए जमीन संयुक्त अरब अमीरात ने दान में दी है
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस मंदिर का बुधवार को उद्घाटन करेंगे

सात शिखरों में दिखती UAE की झलक

मंदिर में मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा बुधवार सुबह शुरू हुई। प्रधानमंत्री मोदी शाम को भव्य मंदिर के उद्घाटन समारोह का नेतृत्व करेंगे जो 10 फरवरी को मंदिर में शुरू हुए 'सद्भावना महोत्सव' के समापन का प्रतीक होगा। मंदिर प्राधिकारियों के अनुसार, मंदिर में सात शिखर बनाए गए हैं जो संयुक्त अरब अमीरात के सात अमीरात का प्रतिनिधित्व करते हैं। BAPS के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहरिदास ने कहा, सात शिखरों पर भगवान राम, भगवान शिव, भगवान जगन्नाथ, भगवान कृष्ण, भगवान स्वामीनारायण, तिरूपति बालाजी और भगवान अयप्पा की मूर्तियां हैं। सात शिखर संयुक्त अरब अमीरात के सात अमीरात का प्रतिनिधित्व करते हैं।

सात शिखर सात देवताओं को समर्पित

उन्होंने कहा, सात शिखर सात महत्वपूर्ण देवताओं को समर्पित हैं। ये शिखर संस्कृतियों और धर्मों के परस्पर संबंध को रेखांकित करते हैं। आम तौर पर, हमारे मंदिरों में या तो एक शिखर होता है या तीन या पांच शिखर होते हैं, लेकिन यहां सात शिखर सात अमीरात की एकता के प्रति हमारा आभार व्यक्त करते हैं। ब्रह्मविहरिदास ने कहा, इन शिखरों का उद्देश्य बहुसांस्कृतिक परिदृश्य में एकता और सद्भाव को बढ़ावा देना है। कुल 108 फुट ऊंचा यह मंदिर क्षेत्र में विविध समुदायों के सांस्कृतिक एकीकरण का मार्ग प्रशस्त करेगा। मेजबान देश को समान प्रतिनिधित्व देने के लिए भारतीय पौराणिक कथाओं में हाथी, ऊंट और शेर जैसे महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले जानवरों के साथ-साथ UAE के राष्ट्रीय पक्षी बाज को भी मंदिर के डिजाइन में शामिल किया गया है।

मंदिर में शांति का गुंबद

मंदिर में पत्थरों पर नक्काशी करने वाले कारीगर सोमसिंह ने कहा, दृढ़ता, प्रतिबद्धता और धीरज के प्रतीक ऊंट को संयुक्त अरब अमीरात के परिदृश्य से प्रेरणा लेते हुए मंदिर की नक्काशी में उकेरा गया है। मंदिर में रामायण और महाभारत सहित भारत की 15 कहानियों के अलावा माया, एजटेक, मिस्र, अरबी, यूरोपीय, चीनी और अफ्रीकी सभ्यताओं की कहानियों को भी दर्शाया गया है। मंदिर में शांति का गुंबद और सौहार्द का गुंबद भी बनाया गया है।

जिस पत्थर से बना राम मंदिर उसी से बना अबूधाबी मंदिर

आबू धाबी में बना यह हिन्दू मंदिर दिखने में जितना खूबसूरत और भव्य है उतना ही यह लोगों को अपनी और आकर्षित कर रहा है। मंदिर की विशेषताओं के बारे में यदि हम आपको बताएं तो यह मंदिर अयोध्या में बने राम मंदिर से भी जुड़ा है। दरसअल अबू धाबी में बना पहला हिन्दू मंदिर उसी जयपुर के पिंक सैंड स्टोन (लाल बलुआ पत्थर) से बना है जिससे अयोध्या में राम मंदिर का हुआ है। दूसरी और अयोध्या में बने राम मंदिर में लोहे और स्टील का प्रयोग नहीं किया गया है उसी तरह अबू धाबी में बने इस हिन्दू मंदिर में भी लोहे और स्टील का उपयोग नहीं किया गया है। अबू धाबी में बने मंदिर की इंटरलॉकिंग पद्धति से शिलाओं की फिटिंग की गई है। यह एक ऐसी पद्धति है जो किसी भी निर्माण कार्य को हजारों सालों की मजबूती देने में सक्षम है। इसके साथ ही अबूधाबी में बने इस हिन्दू मंदिर में इटैलियन मार्बल का भी उपयोग हुआ है। इटैलियन मार्बल की वजह से इस मंदिर का इंटीरियर अलग ही निखरता है।

मंदिर के स्तंभों पर हुई रामायण की नक्काशी

आबू धाबी में बने इस मंदिर के बाहरी स्तंम्भों पर जो नक्काशी हुई है वह देखने में काफी रोचक और भव्य है। इस मंदिर की नक्काशी में रामायण की अलग-अलग कहानियों का वर्णन किया गया है। मंदिर में राम जन्म, सीता स्वयंवर, राम वनगमन, युद्ध, लंका दहन, राम-रावण युद्ध और भरत- मिलाप जैसे प्रसंगों को नक्काशी में बहुत ही सफाई और भव्यता के साथ उकेरा है। ये नक्काशी देखते हुए मानो आंखों के सामने रामकथा आने लगती है। इनको देखकर एक अलग ही सुकून कलेजे को मिलता है। इस मंदिर में हुई नक्काशी में हाथी भी उकेरे गए हैं। जो भारतीय संस्कृति का प्रतीक हैं। नक्काशी में एक तरफ ऊंट उकेरे गए हैं जो कि अरबी संस्कृति का प्रतीक हैं, मंदिर से अरबी संस्कृति भी झलकती है। मंदिर में अरबी घोड़े भी उकेरे गए हैं जिनसे भारत और अरब के बीच की दोस्ती का प्रतीक है।

27 एकड़ जमीन में बना है हिन्दू मंदिर

आबू धाबी में बना यह हिन्दू मंदिर 27 एकड़ जमीन पर बनाया हुआ है, इसमें साढ़े 13 एकड़ जमीं में मंदिर का हिस्सा बना है और बाकी साढ़े 13 एकड़ में पार्किंग एरिया बनाया गया है। इसकी ऊंचाई 108 फीट, लंबाई 79.86 मीटिर और चौड़ाई 54.86 मीटर है। ये हिन्दू हिंदू मंदिर एशिया का सबसे बड़ा मंदिर है। मंदिर परिसर के अंदर एक बड़ा एम्फीथिएटर, एक गैलरी, एक लाइब्रेरी, एक फूड कोर्ट, एक मजलिस, 5,000 लोगों की क्षमता वाले दो कम्युनिटी हॉल, गार्डन और बच्चों के खेलने के क्षेत्र शामिल हैं।

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