कर्नाटक के बाद केरल की सियासत में टीपू सुल्तान की एंट्री लोकसभा चुनाव में कितना डालेगा असर ?

कर्नाटक के बाद केरल की सियासत में टीपू सुल्तान की एंट्री लोकसभा चुनाव में कितना डालेगा असर ?
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देश में इन दिनों नाम बदलने की परंपरा तेजी से बढ़ रही है। वर्तमान में ही UPA गठबंधन ने अपना नाम बदलकर INDIA रख दिया है। इन सब के बीच कर्नाटक के बाद, केरल की राजनीति में भी टीपू सुल्तान की एंट्री हुई है। वायनाड से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में। उम्मीदवार केरल बीजेपी के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने घोषणा की है कि अगर उन्हें चुनाव जीतने का मौका मिलता है, तो सुल्तान बाथेरी नाम को बदलकर गणपति वट्टोम करेंगे। सुल्तान बाथेरी मैसूर के शासक टीपू सुल्तान से जुड़े हैं। वायनाड में उनका मुकाबला कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और सीपीएम की एनी राजा से होगा। सुरेंद्रन ने कहा, 'कौन है टीपू सुल्तान? जब वायनाड और उसके लोगों की बात आती है, तो उसका महत्व क्या रह जाता है? उस जगह को गणपति वट्टोम के नाम से जाना जाता था। उसका नाम बदल दिया गया। इसलिए कांग्रेस और एलडीएफ, अभी भी टीपू सुल्तान के साथ हैं। उसने कई मंदिरों पर हमला किया। और केरल में, खासकर वायनाड और मालाबार में लाखों हिंदुओं को धर्म परिवर्तन कराया।

शहर को मूल रूप से गणपति वट्टोम के नाम से जाना जाता था

सुरेंद्रन का दावा है कि वायनाड में जहां तोपखाना था, वहां कभी जैन मंदिर हुआ करता था। सुल्तान बाथेरी नगरपालिका की वेबसाइट के मुताबिक, इस शहर को मूल रूप से गणपति वट्टोम के नाम से जाना जाता था। इसे इस नाम से इसलिए जाना जाता था, क्योंकि कभी यहां गणपति मंदिर हुआ करता था। केरल सरकार के एक दस्तावेज के मुताबिक, टीपू सुल्तान के यहां आने से पहले तक इस जगह को गणपति वट्टम या गणपति वट्टोम के नाम से ही जाना जाता था। अब इस शहर का आधिकारिक नाम सुल्तान बाथरी ही है, जिसे बीजेपी नेता बदलना चाहते हैं। 9वीं से 12वीं सदी तक केरल के कुछ हिस्सों में कुलशेखर राजवंश का शासन हुआ करता था। कुलशेखर राजवंश ने यहां गणपति का एक मंदिर बनवाया था। माना जाता है कि ये मंदिर 12वीं सदी में बनाया गया था। केरल सरकार के एक दस्तावेज के मुताबिक, टीपू सुल्तान के यहां आने से पहले तक इस जगह को गणपति वट्टम या गणपति वट्टोम के नाम से ही जाना जाता था। आखिरी बार 1972 में इस मंदिर को रेनोवेट करवाया गया था, जिसके बाद इसका नाम महा गणपति मंदिर रखा गया। हर साल जनवरी में विनायक चतुर्थी के अवसर पर यहां एक बड़ा कार्यक्रम आयोजन किया जाता है।

टीपू ने इस जगह पर अपनी बाथरी बनाई

ब्रिटेन के पुराने दस्तावेजों के मुताबिक, टीपू सुल्तान की सेना ने गणपति वट्टोम शहर को अपनी बाथरी (हथियार रखने की जगह) के रूप में इस्तेमाल किया। इसलिए इसे 'सुल्तान की बाथरी' नाम से जाना जाने लगा। टीपू ने इस जगह पर अपनी बाथरी बनाई और आज पूरे शहर को सुल्तान बाथरी नाम से ही जाना जाता है। समय के साथ यही नाम इस्तेमाल किया जाने लगा और धीरे-धीरे ये 'सुल्तान की बाथरी' से 'सुल्तान बाथरी' हो गया। केरल सरकार के दस्तावेज के मुताबिक, कर्नाटक और तमिलनाडु से आए जैनियों ने 13वीं सदी में यहां एक जैन मंदिर बनवाया था। इस मंदिर को विजयनगर राजवंश की स्थापत्य शैली में बनाया गया था। 18वीं सदी में टीपू सुल्तान के आक्रमण में ये मंदिर आंशिक रूप से नष्ट हो गया था। दस्तावेज के मुताबिक, मालाबार में मौजूद टीपू सुल्तान की सेना ने इसी मंदिर को अपने हथियार और गोला-बारूद रखने के लिए इस्तेमाल किया, जिसे बाथरी कहा जाता था। इस कारण जिस शहर को पहले गणपति वट्टोम या गणपति वट्टम कहा जाता था, उसका नाम बाद में सुल्तान बाथरी पड़ गया। अब इस शहर का आधिकारिक नाम सुल्तान बाथरी ही है, जिसे बीजेपी नेता बदलना चाहते हैं। इस शहर में टीपू सुल्तान ने एक किला भी बनाया था, जो अब खंडहर हो चुका है।

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