धन कुबेर धीरज साहू ने 350 करोड़ कैश पर तोड़ी चुप्पी, परिवार का बताया पैसा, जानें कितना बड़ा है साहू परिवार

धन कुबेर धीरज साहू ने 350 करोड़ कैश पर तोड़ी चुप्पी, परिवार का बताया पैसा, जानें कितना बड़ा है साहू परिवार
Published on

देश की राजधानी दिल्ली से करीब 1300 किलोमीटर दूर रांची शहर में आयकर विभाग (IT) की एक ऐसी छापेमारी चली जिसको देखकर हर कोई हैरान रह गया। हैरानी छापेमारी पर नहीं बल्कि जो कैश मिला है उसपर है। नोटों की गड्डियों का ढेर देख हर कोई चौंक गया है। इन नोटों को देख सब एक ही बात कह रहे हैं कि इतना कैश तो बैंक में भी नहीं होता है।

बात दें, आयकर विभाग ने यह छापेमारी कांग्रेस सांसद धीरज साहू के ठिकानों पर की हैं। जहां, विभाग को कुछ करोड़ नहीं बल्कि 350 करोड़ रुपये की नकदी मिली है। 6 दिसंबर को छापेमारी के दौरान आयकर विभाग को नोटों से भरी 10 अलमारियां मिली थीं। इतना कैश देखने के बाद 200 अधिकारियों की एक और टीम को बुलाया गया। इन नोटों को गिनने के लिए आयकर विभाग और बैंकों के 80 लोगों की 9 टीम लगी हुई थीं। नोटों को गिनने में पांच दिन का वक्त लगा।

वहीं एसबीआई के रीजनल मैनेजर भगत बेहेरा ने न्यूज एजेंसी को बताया कि आयकर विभाग की टीम के अलावा तीन अलग-अलग बैंकों के कर्मचारियों को भी नोट गिनने के काम में लगाया गया था। छापेमारी के दौरान बरामद नोटों को गिनने के लिए 40 मशीनें बुलाई गई थीं। 25 मशीनों का इस्तेमाल हुआ, जबकि 15 को बैकअप के लिए रखा गया था। छापेमारी में नकदी के साथ ही तीन किलो सोना भी बरामद हुआ था।

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, बरामद की गई इस नकदी को ले जाने के लिए 200 बैग और ट्रंक लाए गए थे। इनमें नकदी को रखकर ओडिशा के अलग-अलग बैंकों में जमा कराया जाएगा।मालूम हो, ये छापेमारी बौद्ध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड और उससे जुड़ी कंपनियों पर हुई थी। बलदेव साहू की इन्फा प्राइवेट लिमिटेड इसकी ग्रुप कंपनी है। ये कंपनी कथित तौर पर कांग्रेस सांसद धीरज साहू और उनके परिवार से जुड़ी है।

धीरज साहू ने कैश पर तोड़ी चुप्पी

सबसे बड़ी जब्ती मामले में कांग्रेस सांसद धीरज साहू भी अब सामने आए है, उन्होंने कहा की वो शर्म के मारे सामने नहीं आए थे। पर अब उन्होने 350 करोड़ रुपयों का पूरा ब्योरा दिया है।

उन्होंने बताया कि "आयकर विभाग द्वारा जब्त किया गया सारा पैसा उनके परिवार का है। इसका कांग्रेस पार्टी से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने मीडिया से कहा कि मेरा शराब का कारोबार है। हम लोग तकरीबन सौ साल से शराब के व्यापार में है जिसे मेरे परिवार और रिश्तेदार करते हैं"। उन्होंने कहा कि "शराब के कारोबार में कैश में ही लेनदेन होता है, जो भी पैसा पकड़ा गया है, वो शराब के सेल का है। इसका कांग्रेस के कोई संबंध नहीं है"।

बता दें, साहू परिवार लंबे समय से देसी शराब के कारोबार से जुड़ा हुआ है। बलदेव साहू ग्रुप ऑफ कंपनीज मूल रूप से झारखंड के लोहरदगा जिले की है। कंपनी ने 40 साल पहले ओडिशा में देसी शराब बनानी शुरु की थी। कंपनी की बौद्ध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड की साझेदारी फर्म है।

इसी कंपनी की बलदेव साहू इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड, क्वालिटी बॉटलर्स प्राइवेट लिमिटेड और किशोर प्रसाद विजय प्रसाद बेवरेज प्राइवेट लिमिटेड भी है। इसमें बलदेव साहू इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड फ्लाई ऐश ईंटों का काम करती है। बाकी सभी कंपनियां शराब कारोबार से जुड़ी हैं। शराब कारोबार के साथ ही साहू परिवार का अन्य बिजनेस में भी दबदबा है। रांची का मशहूर सफायर इंटरनेशनल स्कूल भी साहू परिवार ही चलाता है।

साहू परिवार का इतिहास

धीरज साहू के पिता का नाम राय बलदेव साहू था और उनकी मां का नाम सुशीला देवी था। बलदेव साहू कांग्रेस के समर्थक थे। कहा जाता है कि उन्होंने 1947 में देश की आजादी के समय भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए 47 लाख रूपये और 47 किलो सोना दिया था।

कहा ये भी जाता है कि इंदिरा गांधी चुनाव प्रचार के समय इनके घर भी आकर रूकी थी। देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र भी इनके घर आ चुके हैं। धीरज साहू के पिता ने ही शराब के कारोबार की पूरी नींव रखीं। आज इस पूरे ग्रुप की 4 अलग-अलग कंपनियां 6 तरह के कारोबार संभालती हैं। साहू परिवार के पुश्तैनी घर को 'व्हाइट हाउस' कहा जाता है। ये घर लोहरदगा में बना है। यहां फिल्म स्टार्स और क्रिकेटर्स भी आते रहते हैं।

कंपनी का दावा है कि वो महुआ शराब को बेहतर तरीके से बाजार में पहुंचाने का काम भी करती है। इससे झारखंड और ओडिशा के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों की आमदनी बढ़ी है।

क्या पूरा परिवार संभालता है कारोबार?

धीरज साहू का एक बेटा और एक बेटी है। बेटा हर्षित साहू ओड़िशा में शराब का कारोबार संभालता है। वहीं, बेटी हंसा साहू की शादी हो चुकी है। धीरज साहू के बड़ी भाई शिवप्रसाद साहू का निधन हो चुका है, वह रांची से कांग्रेस रह चुके हैं। उनके दो बेटे रोहित और रितेश हैं। रोहित रांची में सफायर इंटरनेशनल स्कूल और एक अस्पताल चलाते हैं, जबकि रितेश साहू ओडिशा में बौद्ध डिस्टिलरी के अलावा शराब कारोबार और स्पिरिट प्लांट को संभालते हैं।

धीरज के एक और भाई नंदलाल साहू का बेटा दुर्गेश साहू भी फैमिली बिजनेस को संभालता है। इसके साथ ही वह दुर्गेश रांची में सुशीला ऑटोमोबाइल और एक मैरिज हॉल भी देखते हैं। उनके एक और भाई उदय शंकर साहू के बेटे अमित साहू रांची के संता बेटा हॉस्पिटल को संभालते हैं।

साहू परिवार बिजनेस के साथ ही राजनीति में भी आगे रहा है। लेकिन अब आयकर विभाग द्वारा की गई छापेमारी ने सबके लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। इनकम टैक्स अब साहू परिवार के लोगों को पूछताछ के लिए समन जारी करेगा।

हलफनामे में बताई इतनी रकम

हैरानी है कि साल 2018 में राज्यसभा चुनाव के दौरान धीरज साहू ने हलफनामा में अपनी कुल संपत्ति 34.83 करोड़ रुपये बताई थी। इसमें उन्होंने हाथ में नकदी सिर्फ 27 लाख रुपये ही बताई थी। लेकिन 350 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकदी ने साहू हलफनामे को झूठा साबित कर दिया है।

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel 'PUNJAB KESARI' को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।

Related Stories

No stories found.
logo
Punjab Kesari
www.punjabkesari.com