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Education Loan: अधिकतर लोग उच्चतम पढ़ाई करने के लिए कई मेहनत करते हैं, लेकिन कई बार अपने घर की आर्थिक स्थिति के चलते वह अपनी पूरी पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। लेकिन सरकार उन्हें पढ़ाई पूरी करने के लिए पूरा मौका देती है। जी हां, अगर आप अपनी पढ़ाई को पूरा करने चाहते हैं तो आप Education Loan लोन ले सकते हैं। Education Loan लेने से पहले इस बात को जानना जरूरी है कि कौन-से लोग इसे ले सकते हैं और इसके लिए कितना ब्याज देना पड़ता है। तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
Highlights
हर माता-पिता अपने बच्चे को सबसे अच्छी शिक्षा दिलाने की कामना रखते हैं। लेकिन, एजुकेशन की बढ़ती लागत के कारण, अधिक से अधिक माता-पिता अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए एजुकेशन या स्टुडेंट लोन ले रहे हैं। इस समय भारतीय लोगों के महत्वपूर्ण लक्ष्यों में एक लक्ष्य यह भी शामिल हो गया है। इसके सहारे काफी लोग अपने बच्चों को देश-विदेश में पढ़ा रहे हैं। लेकिन, जानकारों का कहना है कि इसके लिए भी प्लानिंग जरूरी है।
Education Loan, ऐसा Loan प्रोडक्ट है, जिसका उद्देश्य हायर स्डटीज़ की फंडिंग करना है। पढ़ाई चाहे यह भारत में हो या विदेश में, दोनों के लिए यह लोन ले सकते हैं। लोन से आप एकेडमिक लागत जैसे ट्यूशन फीस, किताबें, रहन-सहन, ट्रांसपोर्ट आदि को कवर कर सकते हैं। हालांकि स्टुडेंट लोन के अधिकांश आस्पेक्ट्स, दूसरे लोन की तरह ही होते हैं, लेकिन इसका रिपेमेंट शेड्यूल थोड़ा अलग होता है। आमतौर पर स्टुडेंट लोन लेने वालों को लोन रिपेमेंट करने के लिए कोर्स की समाप्ति से 6-12 महीनों का मोराटोरियम दिया जाता है। इससे उन्हें संभावित रूप से जॉब प्राप्त करने में मदद मिलती है, जिससे रिपेमेंट को मैनेज करना आसान हो जाता है। यहां एक बात गांठ बांध लें कि अन्य लोन की तरह Education Loan में डिफॉल्ट होने से आपके फाईनेंशियल हेल्थ पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। आइये देखते हैं कि ये असर कौन-कौन से हो सकते हैं।
अगर आपने अनसिक्योर्ड Education Loan लिया है, और आप इसकी EMI को नहीं चुकाते, तो लैंडर आपको इसको चुकाने का नोटिस दे सकता है। यदि आप तय तारीख तक ऐसा करने में नाकामयाब रहते हैं, तो बैंक आपको डिफॉल्टर मानेगा तथा इसकी जानकारी वह क्रेडिट ब्यूरो को दे सकता है। डिफाल्टर घोषित किए जाने के कारण आपके क्रेडिट स्कोर पर गंभीर असर पड़ेगा और नए सिरे से लोन लेना आपके लिए मुश्किल हो जाएगा। आप समय पर अपनी EMI का भुगतान करके इससे बच सकते हैं।
ब्याज दरें और प्रोसेसिंग के शुल्क का खर्च छात्र को ही वहन करना होता है। इस तरह के लोन के लिए ब्याज दरें कोर्स के प्रकार, यूनिवर्सिटी और एकेडेमिक ट्रैक रिकॉर्ड पर निर्भर करती हैं। इसी के साथ क्रेडिट रेटिंग, कोलेटरल (जिसके बदले लोन लें रहे हों), जैसी चीजें भी इसमें अंतर पैदा कर सकती हैं। बेहतर हो कि आवेदन करने से पहले अपनी क्रेडिट रेटिंग सुधार लें। लोन रिपेमेंट की शर्तें लोन चुकाने की शर्तें ऋणदाता संस्था पर निर्भर करती हैं। मोरेटोरियम (जिस अवधि में लोन चुकाना नहीं होता है) के साथ इसमें दो विकल्प मिलते हैं
– लोन राशि पर केवल ब्याज का भुगतान (पूर्ण या आंशिक)। इसकी प्रिंसिपल राशि का भुगतान मोरेटोरियम अवधि के बाद शुरू होता है।
-ब्याज देने की आवश्यकता नहीं होती। पढ़ाई की अवधि के दौरान ब्याज लोन की राशि में जुड़ता जाता है और मोरेटोरियम (पढ़ाई और छह महीने या एक साल की अवधि) के बाद किस्तें शुरू होती हैं। जब लोन मोरेटोरियम के बिना होता है, तो कोर्स के खत्म होते ही भुगतान शुरू करना हो सकता है। इससे छात्र पर बोझ आ सकता है। इसीलिए लोन लेने से पहले ही रिपेमेंट की शर्तें जानना जरूरी है। ताकि लोन चुकाने में कोई व्यवधान ना आए।
छात्रों को चाहिए कि लोन की राशि कम से कम रखें, तो बेहतर। कम राशि पर ब्याज पर बचत होगी और लोन जल्दी वापस किया जा सकता है। ज्यादा लोन लेने पर छात्र पर बेवजह का बोझ आता है। साथ ही जैसे ही सक्षम हों, इसे चुकाना शुरू करें, और संभव हो, तो अवधि से पहले पूरा चुका दें। ताकि इसकी कुल लागत कम की जा सके। यानी आप प्रिपेमेंट करने के विकल्प पर सोच सकते हैं। लोन लागत कम करने के अन्य विकल्पों पर भी जानकारी लें। उच्च शिक्षा के लिए लोन पर टैक्स लाभ भी मिलता है। इसकी जानकारी भी लें।
अमूमन छात्रों के बीच यह भ्रांति होती है कि एजुकेशनल लोन केवल इंजीनियरिंग, मेडिकल या एमबीए जैसे पाठ्यक्रमों के लिए ही मिलता है, परंतु इस संदर्भ में सच यह है कि एजुकेशनल लोन प्रत्येक उस पाठ्यक्रम के लिए उपलब्ध है, जो आप करना चाहते हैं। चूंकि सामान्य स्नातक पाठ्यक्रम का शुल्क अधिक नहीं होता, अत डिप्लोमा या डिग्री स्तर के वोकेशनल कोर्स के लिए ही छात्रों के आवेदन बैंकों को प्राप्त होते हैं और इस भ्रांति को आधार मिलता है। यह भी समझें कि पढ़ाई के लोन की शर्तें हर कोर्स के हिसाब से अलग हो सकती हैं।
भारत में एजुकेशनल लोन देने वाले राष्ट्रीयकृत बैंकों का प्रारूप लगभग एक जैसा है। यहां कुल तीन कैटेगरी में एजुकेशनल लोन मिल सकता है
रुपये 4 लाख तक का लोन अधिकतम 4 लाख रुपये तक के लोन के लिए आपको किसी गारंटर और किसी कोलेटरल यानी गिरवी रखने के लिए कोई संपत्ति आदि की आवश्यकता नहीं होगी। यदि दाखिला किसी मान्यता प्राप्त संस्थान में हुआ है, तो इस आधार पर बैंक आपको शिक्षा ऋण देने पर विचार कर सकता है।
रुपये 4 लाख से अधिक और 7.5 लाख से कम तक का लोन इस ब्रैकेट की लोन राशि के लिए किसी आर्थिक रूप से संपन्न गारंटर की आवश्यकता होगी। लेकिन कोई कोलेटरल प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी।
रुपये 7.5 लाख से अधिक का लोन देश या विदेश में पढ़ने के लिए रुपये 7.5 लाख रुपये से अधिक एजुकेशनल लोन के लिए जहां एक ओर आपके पास कम से कम एक आर्थिक रूप से संपन्न गारंटर होना चाहिए, वहीं कोई कोलेटरल भी प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी। यदि आप विदेश में भी पढ़ाई के लिए लोन लेना चाहें, तो इसी कैटेगरी के अंतर्गत अप्लाई करना होगा।
नोट – इस खबर में दी गयी जानकारी निवेश के लिए सलाह नहीं है। ये सिर्फ मार्किट के ट्रेंड और एक्सपर्ट्स के बारे में दी गयी जानकारी है। कृपया निवेश से पहले अपनी सूझबूझ और समझदारी का इस्तेमाल जरूर करें। इसमें प्रकाशित सामग्री की जिम्मेदारी संस्थान की नहीं है।