पश्चिम बंगाल में फेल होती संघीय व्यवस्था

पश्चिम बंगाल में फेल होती संघीय व्यवस्था
Published on

राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के बाद अपनी ब्रिटेन और अमेरिका यात्राओं के दौरान भारत के एक देश होने पर टिप्पणी की थी। उनकी यह टिप्पणी विवादस्पद हो गई थी, क्योंकि उन्होंने भारत के एक देश होने पर ही सवाल उठा दिया था। उन्होंने कहा था कि भारत यूरोपियन यूनियन की तरह राज्यों का संघ है, यूनियन ऑफ स्टेट्स है।

     Highlights  

  • पश्चिम बंगाल में फेल होती संघीय व्यवस्था  
  • भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और सीपीएम के वर्करों की हत्याएं  
  • डीजीपी मुख्यमंत्री के घरेलू नौकर की तरह व्यवहार  

यूरोपियन यूनियन की तरह राज्यों का संघ

federal system in west bengal राहुल गांधी ने भारत को यूरोपियन यूनियन की तरह राज्यों का संघ इस लिए कहा था, ताकि वह मोदी सरकार की एक राष्ट्र- एक क़ानून, एक राष्ट्र- एक चुनाव, एक राष्ट्र- एक पुलिस वर्दी वाली योजनाओं को राज्यों के अधिकारों पर अतिक्रमण बता कर विरोध कर सकें। यह कह सकें कि मौजूदा मोदी सरकार राज्यपालों के माध्यम से चुनी हुई सरकारों के काम में हस्तक्षेप कर रही है। राज्यों को अपना गुलाम बनाने की कोशिश कर रही है। कुल मिलाकर राहुल का कहना यह था कि मोदी सरकार की सोच और कार्यप्रणाली फेडरल सिस्टम पर हमला है। फेडरल सिस्टम को बचाने के लिए ही पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकारों ने अपने राज्यों में बिना राज्य सरकारों की इजाजत के केन्द्रीय जांच एजेंसी सीबीआई की एंट्री पर रोक लगा दी थी। लेकिन बंगाल में जो कुछ हो रहा है, उसने देश के संघात्मक ढाँचे को हिला कर रख दिया है। राहुल गांधी समेत उन तमाम विपक्षी नेताओं की बोलती बंद हो गई है, जो मोदी सरकार पर फेडरल सिस्टम को तबाह करने का आरोप लगाते हैं। हर दूसरे साल बंगाल में कोई न कोई ऐसी घटना हो रही है, जो फेडरल सिस्टम को हिला कर रख देती है। बंगाल की टीएमसी सरकार ने फेडरल सिस्टम ही नहीं, लोकतंत्र को भी हिला कर रख दिया है।

भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और सीपीएम के वर्करों की हत्याएं

federal system in west bengal विधानसभा चुनावों से पहले टीएमसी के वर्कर वोटरों को धमकाने के लिए हिंसा का नंगा नाच कर रहे थे। भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और सीपीएम के वर्करों की हत्याएं हो रही थीं। चुनाव जीतने के बाद अब केंद्र सरकार के अफसरों के खिलाफ हिंसा का नंगा नाच कर रहे हैं। गुरूवार 4 जनवरी को पश्चिम बंगाल के नार्थ 24 परगना जिले में ईडी के तीन अधिकारियों अंकित गुप्ता, सोमनाथ दत्ता और राजकुमार राम के जिस तरह सिर फोड़े गए। उनके वाहन तोड़े गए और वहां के एसएसपी ने ईडी अधिकारियों का फोन नहीं उठाया, उसने फेडरल सिस्टम को कटघरे पर ला कर खड़ा कर दिया है। ममता बनर्जी ने उस राजीव कुमार को डीजीपी बना दिया है, जो चिटफंड घोटाले में समन भेजने के बाद भी सीबीआई के सामने पेश नहीं हुआ था। पूछताछ करने सीबीआई उसके घर पहुंची थी, तो खुद मुख्यमंत्री धरने पर बैठ गई थी। राजीव कुमार को लेकर लंबे समय तक केंद्र सरकार और ममता बनर्जी में नोक झोंक होती रही। आईएस और आईपीएस अफसर केंद्र सरकार के अंतर्गत आते हैं, लेकिन जिस राज्य काडर में उनका चयन होता है, वे उन राज्यों की सरकार के मताहत काम करते हैं।

डीजीपी मुख्यमंत्री के घरेलू नौकर की तरह व्यवहार

जब डीजीपी मुख्यमंत्री के घरेलू नौकर की तरह व्यवहार कर रहा होगा, तो किसी एसएसपी की कैसे हिम्मत हो सकती है कि वह ईडी अधिकारियों को टीएमसी वर्करों की हिंसक भीड़ से बचाए। कोलकाता के अखबार टेलीग्राफ की रिपोर्टर मोनालिसा चौधरी ने लिखा है कि वह कई सालों से रिपोर्टिंग कर रही है, और कई सालों से इस तरह की हिंसा देख रही है, लेकिन यह उसने जिन्दगी में पहली बार देखा जब कोई भी व्यक्ति हिंसा को रोकने के लिए सामने नहीं आ रहा था। ममता बनर्जी दिल्ली आती हैं, तो महात्मा गांधी की समाधि पर जाती हैं। खादी की साड़ी पहन कर खुद को गांधीवादी बताती हैं, लेकिन उनके बंगाल में हर रोज गांधी की हत्या हो रही हैं। जेहादी भीड़ ने ईडी अफसरों को ही नहीं, पत्रकारों को भी अपनी हिंसा का शिकार बनाया। मीडिया की आज़ादी की दुहाई देने वालों का असली चेहरा भी सामने आ गया। कैमरामेन के पेट पर लात मार कर उन्हें गिरा दिया गया और उनसे कैमरे छीन लिए गए, ताकि उनकी काली करतूतें टीवी चैनलों पर ना आ सकें। अखबारों में न छप सकें।

टीएमसी के नेता शाहजहाँ शेख के घर छापा मारने गई थी

ईडी की टीम राशन चोर टीएमसी के नेता शाहजहाँ शेख के घर छापा मारने गई थी। शाहजहाँ शेख और शंकर आध्या का नाम गिरफ्तार हो चुके ममता सरकार के खाद्यान्न मंत्री ज्योतिर्प्रिय मुल्लिक ने पूछताछ में लिया है। जब से ममता का राज आया है, शाहजहाँ शेख और शंकर आध्या तब से सरकारी राशन को ब्लेक मार्केट में बेच बेच कर लखपति से अरबपति बन गए हैं। केंद्र सरकार की ओर से भेजा गया आटा चावल गरीबों को नहीं दिया जाता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर में कहते फिर रहे हैं कि वह 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में राशन भेज रहे हैं, लेकिन रास्ते में कई शाहजहाँ शेख और शंकर आध्या बैठे हैं। शंकर आध्या को तो गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन शाहजहाँ शेख अपने समुदाय के समर्थकों की भीड़ बुला कर खुद भाग गया। इसके बाद अपने समर्थकों के नाम जारी एक वीडियो में शाहजहाँ शेख ने कहा है कि उसने कोई अपराध नहीं किया है। उसने उम्मीद जताई है उसके समर्थकों की भीड़ उसके प्रति अपना समर्थन बनाए रखेगी।

सरकार को उसके बांग्लादेश भागने की आशंका है

केंद्र सरकार को उसके बांग्लादेश भागने की आशंका है। इसलिए गृह मंत्रालय ने उसके लुक आउट वारंट जारी कर दिए हैं ताकि वह बांग्लादेश न भाग सके। ये वो भ्रष्ट टीएमसी नेता हैं, जिन्हें सीधे ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी का आशीर्वाद है। ममता की सारी सरकार, सारे मंत्री, सारे पार्टी वर्कर दोनों हाथों से लूट रहे हैं। दिल्ली आ कर वह मोदी से मिलती हैं, और कहती हैं कि केंद्र सरकार मनरेगा का पैसा रिलीज नहीं कर रही। लेकिन जब अफसर मंत्रियों से सांठगाँठ करके फर्जी रिपोर्ट बनाकर भेजेंगे, और जमीन पर काम नहीं दिखेगा, तो केंद्र सरकार क्यों पैसा रिलीज करे। नार्थ 24 परगना की घटना ने साबित किया है कि टीएमसी का हर नेता कैसे सरकारी खजाने को लूट रहा है। सच यह है कि बंगाल में जंगल राज चल रहा है।

Related Stories

No stories found.
logo
Punjab Kesari
www.punjabkesari.com