क्यों है हज की यात्रा इतनी महंगी, कहां से आता है इसका पैसा?

क्यों है हज की यात्रा इतनी महंगी, कहां से आता है इसका पैसा?
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Hajj Yatra: हज यात्रा पैकेज को लेकर अगर आपके भी मन में कई सवाल आते होंगे। जैसे जाने का कितना खर्च आता है या फिर कौन लोग हज यात्रा पर जा सकते हैं, तो इस लेख में हमने आपको सभी सवाल दिए हैं। हज जाने के लिए सबसे पहली ईमान शर्त ये है कि उस शख्स को मुस्लिम होना आवश्यक है। इसके शर्त को पूरी करने के बाद ही कोई शख्स हज जा सकता है। इसके अलावा महिलाओं के शरिया महराम को लेकर भी कुछ नियम हैं।

Highlights

  • क्या होती है हज यात्रा
  • हर साल  ज़ु अल-हज्जा महीने में शुरू होती है
  • इस्लामिक धर्म में महत्वपूर्ण मानी जाती है

हज यात्रा क्या है?

Hajj Yatra Cost: सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का में मुस्लिमों की हज यात्रा हर साल ज़ु अल-हज्जा महीने में शुरू होती है। ज़ु अल-हज्जा इस्लामिक कैलेंडर वर्ष का 12वां महीना है। दुनिया भर से करोड़ों लोग हर साल हज यात्रा करने जाते हैं। भारत से भी हर साल लाखों लोग हज करते हैं। ईस्लाम धर्म में माना गया है कि हर शख्स को जिंदगी में एक बार हज यात्रा जरूर करनी चाहिए, लेकिन आपको बता दें यह यात्रा इतनी आसान नहीं है। चाह कर भी हर कोई इसे नहीं कर पाता। दरअसल, इसमें सबसे बड़ी बाधा फंड की होती है। हज यात्रा में औसतन 3 से 4 लाख रुपये का खर्चा आता है। यह राशि बढ़ भी जाती है। बड़ा सवाल ये है कि आखिर हज यात्रा में इतने पैसे कहां खर्च होते हैं।

ये है हज जाने का तरीका

अब बात भारत की करें तो, यहां से दो तरह से हज जाया जा सकता है। पहला तरीका है हज कमेटी के जरिए और दूसरा है प्राइवेट टूर के जरिए। बता दें हाल ही में आए नए नियम के मुताबिक, 1 लाख 75 हजार में से 80 फीसदी हाजी, हज कमेटी के जरिये भेजे जाते हैं। बाकी बचे 20 पर्सेंट लोग प्राइवेट टूर से हज यात्रा करते हैं।

इतने रुपये होते हैं खर्च

हज कमेटी के खर्च के हिसाब से देखेंगे तो औसतन हज यात्रा के लिए 3 से 4 लाख रुपये देने होते हैं। वहीं, अगर आप अपने प्राइवेट व्यवस्था से जाते हैं, तो उनके 5 लाख रुपये तक खर्च हो जाते हैं। हालांकि नई पॉलिसी में सरकार ने हज पैकेज में 50 हजार रुपये तक की कटौती की है। बता दें पहले हज करने वाले से आवेदन करते समय बैग, सूटकेस, छाता आदि सामान के पैसे लिए जाते थे, लेकिन अब यह चार्ज नहीं देना होगा।

यहां खर्च होता है आपका पैसा

हज यात्रा के दौरान हवाई टिकट तो उतना ही होता है, जितना आमतौर पर उस देश की उड़ान के लिए है, लेकिन असली पैसा खर्च होता है सऊदी अरब पहुंचने पर। यहां पहुंचने के बाद आपको ट्रांसपोर्ट, रेस्टोरेंट मोबाइल आदि की जरूरत होती है और इसका चार्ज देना पड़ता है। यह चार्ज मक्का में जाकर बढ़ जाता है। मक्का पहुंचने के बाद आपको ठहरने के लिए होटल की जरूरत होती है। यहीं आकर आपको सबसे ज्यादा जेब ढीली करनी होती है। ट्रैवल कंपनियां इस मौके का खूब फायदा उठाती हैं और हज यात्रियों से मोटा पैसा वसूलती हैं।

मक्का में चैंबर ऑफ कॉमर्स के मुताबिक, पिछले साल हज के 10-दिवसीय कार्यक्रम से सऊदी अरब ने करीब $10 बिलियन डॉलर (£6.2 बिलियन) की कमाई की थी। सऊदी अरब में होटल और रेस्तरां का सबसे ज्यादा किराया मक्का शहर में ही है। मुख्य मस्जिद के नजदीक के होटलों में एक रात के लिए 700 डॉलर यानी 5 से 6 हजार रुपये तक का चार्ज लिया जाता है। होटल मालिक इसके लिए यहां जमीन की आसमान छूती कीमतों को जिम्मेदार ठहराते हैं। यहां भीड़ अधिक होने और होटलों की मांग अधिक होने की वजह से रुकने के लिए सामान्य होटल नहीं मिलता. अधिकतर होटल में ऊंच-ऊंची इमारते हैं और उनका चार्ज भी महंगा होता है।

स्मृति चिह्न खरीदने में भी खर्चा

हज यात्रा करने के बाद मक्का से निकलते वक्त अधिकतर लोग वहां से स्मृति चिह्न लेते हैं। इन स्मृति चिह्नों की कीमत तीन गुना तक अधिक होती है। लोग इन स्मृति चिह्नो को अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और संबंधियों के लिए खरीदकर ले जाते हैं।

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