Health Insurance: स्वास्थ्य बीमा क्लेम करने के लिए आम तौर पर 24 घंटे अस्पताल में रहना आवश्यक माना जाता है। हालांकि यह नियम के बावजूद आप अपना बीमा क्लेम कर सकते हैं। आज हम आपको यही बताएंगे कि, आप किस स्थिति में 24 घंटे अस्पताल में रहे बिना अपना हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम कर सकते हैं। पढ़िए क्या है पूरी खबर।
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बढ़ती महंगाई ने सस्ते इलाज के सपने को चकनाचूर कर दिया है। अगर आपके पास पैसा नहीं है और आप अचानक किसी गंभीर बीमारी का शिकार हो जाते हैं, तो आपको या तो मौत का सामना करना पड़ेगा या कर्ज के बोझ तले दबकर इलाज कराना होगा। हालांकि, अगर कोई व्यक्ति समय रहते स्वास्थ्य बीमा योजना खरीद लेता है, तो उसे इन दोनों समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है। यानी गंभीर बीमारी की स्थिति में इलाज का पूरा खर्च बीमा कंपनी हेल्थ प्लान के जरिए देती है।
आज के समय Health Insurance कराना बेहद जरूरी होता है। लेकिन कई लोग इंश्योरेंस के लिए पैसे नहीं दे पाते हैं। अगर आप भी Health Insurance खरीदने की सोच रहे हैं, तो आपको इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि उसमें ओपीडी बेनिफिट्स जैसे प्लान जरूर ऐड हों। Insurance एक्सपर्ट कहते हैं कि बढ़ती महंगाई को देखते हुए व्यक्ति को कम से कम 10 लाख का इंश्योरेंस प्लान पर्चेज करना चाहिए। अगर आप फैमिली के साथ फ्लोटर प्लान खरीदने की सोच रहे हैं तो आपको Insurance एक्सपर्ट से बात करना चाहिए।
Day-Care उपचार में आप अपने हेल्थ इंश्योरेंस को क्लेम कर सकते हैं। डे-केयर उपचार मतलब वैसे उपचार जो 24 घंटे से कम समय में हो जाए। अस्पताल या डे-केयर सेंटर में सामान्य या जनरल एनेस्थीसिया के प्रभाव में किए गए चिकित्सा उपचार और सर्जिकल प्रक्रियाएं शामिल हैं। हेल्थ प्लान में शामिल कुछ सामान्य डे-केयर उपचार जैसे- मोतियाबिंद सर्जरी, टॉन्सिल्लेक्टोमी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, हेमोडायलिसिस, कोरोनरी एंजियोग्राफी, नाक साइनस एस्पिरेशन, फ्री स्कीन ट्रांसप्लांटेशन और आर्थोस्कोपिक घुटने एस्पिरेशन शामिल हैं।
अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने की सोच रहे हैं तो आपको इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि उसमें ओपीडी बेनिफिट्स जैसे प्लान जरूर ऐड हो. इंश्योरेंस एक्सपर्ट कहते हैं कि बढ़ती महंगाई को देखते हुए व्यक्ति को कम से कम 10 लाख का Insurance प्लान पर्चेज करना चाहिए। अगर आप फैमिली के साथ फ्लोटर प्लान खरीदने की सोच रहे हैं तो आपको इश्योरेंस एक्सपर्ट से बात करना चाहिए।
अगर आप OPD बेनिफिट्स अपने इंश्योरेंस प्लान में ऐड कराते हैं तो इसका फायदा यह होता है कि अगर आप कभी बीमार पड़ते हैं और आपको इलाज के लिए हॉस्पिटल जाना पड़ता, लेकिन गंभीर समस्या ना होने के चलते डॉक्टर बिना एडमिट किए ही डिस्चार्ज कर देता है, तो ऐसी स्थिति में इस बेनिफिट्स के प्लान में होने से क्लेम आसानी से मिल जाता है। अक्सर लोग इस बात को लेकर कंफ्यूज रहते हैं कि जबतक वह हॉस्पिटल में भर्ती नहीं होंगे उन्हें इंश्योरेंस क्लेम नहीं मिलेगा।
बता दें कि नॉर्मल हेल्थ इंश्योरेंस में OPD कवर नहीं होता है, लेकिन एक राइडर के तौर पर इसे शामिल कराया जा सकता है। OPD कवर में डॉक्टर कंसल्टेशन, दवाएं, और वायरल बुखार जैसी छोटी बीमारियां शामिल हैं। OPD खर्च का क्लेम करने के लिए डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन और मेडिकल खर्च का ब्योरा इंश्योरेंस कंपनी को सबमिट करना होता है। ज़्यादातर कंपनियां OPD खर्च की राशि को कुल बीमा राशि से बहुत कम तय करती हैं। पॉलिसी के टाइम पीरियड के दौरान अधिकतर प्लान में एक बार ही ओपीडी खर्च क्लेम की अनुमति होती है। अगर आप प्लान लेते वक्त इसे मोडिफाई करा लेते हैं तो यह अधिक फायदेमंद होता है।
आज के समय में लगभग कंपनियां अपने हेल्थ प्लान में ओपीडी बेनिफिट्स की सुविधा ऐड करने का ऑप्शन दे रही हैं, लेकिन इनमें कुछ ऐसी कंपनियां जिसका क्लेम रेशियो 90% से अधिक है। क्लेम रेशियो का मतलब है कि अगर आप क्लेम करते हैं तो कितना पर्सेंट चांसेज होता कि वह क्लेम अप्रुव हो जाएगा। उस लिस्ट में स्टार हेल्थ, निवा बूपा, अपोलो म्युनिख, मैक्स बूपा, आईसीआईसीआई लॉम्बार्ड और बजाज आलियांज़ जनरल इंश्योरेंस कंपनी का भी नाम आता है।
नोट – इस खबर में दी गयी जानकारी निवेश के लिए सलाह नहीं है। ये सिर्फ मार्किट के ट्रेंड और एक्सपर्ट्स के बारे में दी गयी जानकारी है। कृपया निवेश से पहले अपनी सूझबूझ और समझदारी का इस्तेमाल जरूर करें। इसमें प्रकाशित सामग्री की जिम्मेदारी संस्थान की नहीं है।