होलिका दहन आज, भूलकर भी ना करें ये काम! नोट करें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि

होलिका दहन आज, भूलकर भी ना करें ये काम! नोट करें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि
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Holika Dahan 2024: इस साल होलिका दहन 24 मार्च यानी आज होगा। अगले दिन यानी (25 मार्च) चैत्र प्रतिपदा के दिन रंग वाली होली खेली जाएगी। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है लेकिन इसकी पूजा को सही समय को लेकर हर कोई कन्फ्यूज है। लोग जानना चाह रहे हैं कि आखिर होलिका दहन कब है। आइएं यहां जाने पूरी डीटेल।

Highlights

  • आज होलिका दहन है
  • भूलकर भी ना करें ये काम!
  • जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि की जानकारी

जानें होलिका दहन का शुभ मुहूर्त-पूजा विधि

पंचांग के अनुसार इस साल होलिका दहन रविवार 24 मार्च 2024 के दिन किया जाएगा। होलिका दहन भद्रा काल समाप्त होने के बाद ही किया जाता है। ऐसे में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च की रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 25 मार्च को रात 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। होलिका दहन की पूजा के लिए कुल समय 1 घंटा 14 मिनट मिल रहा है।

कैसे होती है पूजा?

इस दिन लोग सूर्यास्त के बाद लोग होलिका जलाते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं। पारंपरिक लोकगीत गाते हैं। अग्नि जलाने से पहले वे रोली, अखंडित चावल के दाने या अक्षत, फूल, कच्चा सूत का धागा, हल्दी के टुकड़े, अखंडित मूंग दाल, बताशा (चीनी या गुड़ कैंडी), नारियल और गुलाल चढ़ाते हैं जहां लकड़ियां रखी जाती हैं। वे मंत्र का जाप करते हैं और होलिका जलाते हैं। लोग 5 बार होलिका की परिक्रमा करते हैं और अपनी भलाई और खुशी के लिए प्रार्थना करते हैं।अगर आप शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करते हैं, तो यह आपके लिए बहुत शुभ होगा।

क्या करें और क्या न करें?

होलिका दहन के दिन स्नान करके और साफ कपड़े पहनें। अलाव के लिए एक स्वच्छ स्थान चुनें, आग में जलाने के लिए लकड़ी, पत्ते, गाय के गोबर के उपले, तिल, सूखा नारियल और गेहूं के दाने इकट्ठा करें।

होलिका दहन में अर्पित की जाने वाली वस्तुओं में फूल, मिठाइयां, नारियल, गेंहू, और बुराई को दूर करने वाली अन्य शुभ वस्तुएं शामिल करें। होलिका दहन करने से पहले उसकी पूजा जरूर करें।

होलिका दहन के दिन तामसिक चीजें जैसे मांस और शराब का सेवन करने से बचें और परंपरा के अनुसार काले या नीले या सफेद रंग के कपड़े पहनने से बचें।

होलिका दहन के दिन पैसे उधार देने से बचें, क्योंकि यह शुभ नहीं माना जाता है और ऐसा करने से व्यक्ति को आर्थिक परेशानियों को सामना करना पड़ सकता है।

होलिका दहन की विधि

शुभ मुहूर्त में होलिका के पास एक कलश स्थापित कर दें। ये कलश दक्षिण दिशा में रखें उसके बाद पंच देवताओं की पूजा करें। अब होलिका का मंत्र का जाप करते हुए पूजा करें। इस दौरान भक्त प्रह्लाद और भगवान हिरण्यकश्यप की भी पूजा करें। उसके बाद होलिका की 7 बार परिक्रमा करें और परिक्रमा के दौरान ही उसमें कच्चा सूत लपेट दें। उसके बाद नारियल, जल और अन्य पूजा सामग्री होलिका को अर्पित करें। अब होलिका दहन करें। मान्यता है कि होलिका की अग्नि में गेहूं की बालियां सेंककर खाने से स्वास्थ्य लाभ होता है।

जानिए क्यों मनाया जाता है होली?

प्रह्लाद के अटूट विश्वास और बुराई पर अच्छाई की विजय की जीत की कहानी मिलती है। मान्यता के अनुसार हिरण्यकशिपु नाम का एक राक्षस राजा था। दैत्यों के इस राजा ने भगवान ब्रह्मा से अमरता का वरदान प्राप्त किया कि वह न तो दिन में मरेगा और न ही रात में, न तो मनुष्य और न ही जानवर उसे मार सकेंगे। यह वरदान प्राप्त करने के बाद, हिरण्यकश्यपु बहुत अहंकारी हो गया और उसने सभी से उसे भगवान के रूप में पूजा करने की मांग करने लगा। उसका एक पुत्र था प्रह्लाद, पुत्र प्रह्लाद जन्म से ही अपने पिता के बजाय भगवान विष्णु के प्रति भक्ति रखता था और उन्हीं की पूजा-अर्चना करता था।

राजा हिरण्यकशिपु को पुत्र की भक्ति पसंद नहीं थी और वो अपने पुत्र से बहुत क्रोधित रहता था। इस वजह से उसे मरवाने के कई प्रयास किए। इसके बाद उसने अपनी बहन होलिका बुलाया। होलिका के पास एक चुनरी थी, जिसे पहनकर वह आग के बीच बैठ सकती हैं जिसे ढकने से आग का कोई असर उसके ऊपर नहीं होता था। हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को जिंदा जलाने की योजना बनाई। होलिका ने धोखे से प्रह्लाद को अपने साथ आग में बैठा लिया, लेकिन प्रह्लाद को भगवान विष्णु ने बचा लिया और होलिका उस आग में जल गई। इस तरह प्रह्लाद एक बार फिर बच गया और होलिका जल गई। तब से लेकर अब तक पूरे देश में होली से एक दिन पहले होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है।

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