शांत शहर कैसे बन गया जंग का मैदान, मौतों का जिम्मदार कौन? पढ़े हल्द्वानी हिंसा से जुड़े सारे जवाब

शांत शहर कैसे बन गया जंग का मैदान, मौतों का जिम्मदार कौन? पढ़े हल्द्वानी हिंसा से जुड़े सारे जवाब
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उत्तराखंड का हल्द्वानी गुरुवार को अचानक हिंसा की आग में जल उठा। नैनीताल जिले में हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में उस वक्त हिंसा की चिंगारी भड़क उठी, जब नगर निगम अतिक्रमण हटाओ अभियान चला रहा था। पत्थरबाजी-आगजनी और गोलीबारी में 5 लोगों की मौत हो गई तो सैकड़ों लोग जख्मी हो गए। हिंसा की आग इतनी भयावह थी कि पूरा शहर जल उठा। हिंसा को देखते हुए हल्द्वानी में दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी कर दिया था। वहीं पूरे क्षेत्र में कर्फ्यू में और इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया था।

इस हिंसा में उपद्रवियों ने100 से ज्यादा गाड़ियों को फूंक दिया था। इसके बाद प्रशासन ने सख्ती करते हुए पूरे इलाके में कर्फ्यू लगा दिया था। कर्फ्यू के कारण हल्द्वानी की सभी दुकानें बंद कर दी गईं थी, शहर और आसपास कक्षा 1-12 तक के सभी स्कूल भी बंद कर दिए गए हैं। कुल मिलाकर इलाके में पूरी तरह से लॉकडाउन वाले हालात हैं। केवल जरूरी कार्यों को ही करने की छूट है।

हालांकि अब कर्फ्यू में ढील दे दी गई है। वहीं, रविवार यानी 11 फरवरी से बनभूलपुरा क्षेत्र को छोड़कर बाकी क्षेत्र में पूरी तरह प्रतिबंध हटा दिया गया है। शनिवार रात से ही इंटरनेट सेवा भी शुरू हो गई है। इससे लोगों ने राहत महसूस की है। हिंसा में कई पुलिसकर्मी भी गंभीर रूप से घायल हुए थे, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। आइए पहाड़ों पर मौजूद इस शांत शहर में हिंसा की आग कैसे उठी, उपद्रवियों ने कितनी तबाही मचाई, पुलिसकर्मियों की आंखों देख मंजर और इसके पीछे मास्टरमाइंड कौन था के बारे में जानते हैं।

बनभूलपुरा में कैसे उठी हिंसा की आग?

बता दें, कोर्ट के आदेश पर हल्द्वानी नगर निगम अतिक्रमण हटाने में जुटा है। बनभूलपुरा के इंदिरा नगर क्षेत्र में मलिक के बगीचे में नजूल भूमि (जिस पर किसी का मालिकाना अधिकार ना हो) पर मदरसे और एक मस्जिद बना हुआ था। नगर निगम ने इन्हें अवैध बताते हुए एक्शन लिया था। इसे लेकर 4 फरवरी की देररात भी बवाल हो गया था। क्षेत्र में तनाव फैलता देख नगर निगम ने किसी आदेश का हवाला देते हुए दोनों स्थलों को सील कर दिया था। इसके बाद अतिक्रमण तोड़ने की कार्रवाई को रोक दिया गया लेकिन गुरुवार यानी 8 फरवरी को मदरसे एवं मस्जिद को नगर निगम की टीम ने बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया।

बुलडोजर एक्शन से जैसे ही मस्जिद और मदरसे को जमींदोज करने की कार्रवाई शुरू हुई, बड़ी संख्या में महिलाओं सहित गुस्साए स्थानीय निवासी कार्रवाई का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आए। उन्होंने बैरिकेड तोड़ना शुरू कर दिया और बुलडोजर एक्शन में लगे पुलिसकर्मियों के साथ बहस करना शुरू कर दिया। जैसे ही एक बुलडोजर ने मदरसे और मस्जिद को ढहाया, भीड़ ने पुलिसकर्मियों, नगर निगम कर्मियों और पत्रकारों पर पथराव किया, जिसमें 60 से अधिक लोग घायल हो गए।

हिंसा की आग में जल उठा क्षेत्र

पत्थरबाजी के बाद हल्द्वानी का बनभूलपुरा इलाका महाभारत का वॉर जोन बन गया। एक ओर एक्शन के खिलाफ गुस्साई भीड़ थी और दूसरी ओर पुलिस बल। इस मौके का फायदा उठाते हुए अराजक तत्वों ने जमकर बवाल काटा। अराजक तत्वों से निपटने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और फिर हल्का बल प्रयोग किया। भीड़ द्वारा पुलिस गश्ती कार सहित कई वाहनों को आग लगाने से तनाव बढ़ गया। हिंसक भीड़ ने सबसे ज़्यादा दोपहिया वाहनों को आग के हवाले कयिा। इनकी संख्या के बारे में फ़िलहाल स्पष्ट रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता है। देर शाम तक तनाव और बढ़ गया और बनभूलपुरा थाने में भी आग लगा दी गई, जिससे कस्बे में कर्फ्यू लगा दिया गया।

पुलिस ने अपने बयान में कहा है कि एक विशेष समुदाय के पथराव और आगज़नी के कारण क़ानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई और आम लोगों के साथ-साथ सरकारी संपत्ति का भी नुक़सान हुआ। वहीं, हिंसक भीड़ के आक्रमण से एक दर्जन पत्रकारों समेत कई पुलिसकर्मी और नागरिक प्रशासन के लोग भी घायल हुए हैं। वहीं, सुरक्षा स्थिति को देखते हुए केंद्रीय सुरक्षाबलों की चार बटालियन समेत आस-पास के ज़िलों से पुलिस बल को गुरुवार शाम को ही हल्द्वानी बुला लिया गया था।

पुलिसकर्मियों ने बताई अपनी आपबीती

मीडिया से बात करते हुए पुलिसकर्मियों ने अपनी आपबीती बताई। सब इंस्पेक्टर ज्योति ने बताया, जब हम फोर्स के साथ वहां पहुचें तो हमको यह जानकारी थी कि लोग विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं। पत्थरों से हमले के बीच भी हमने कारवाई पूरी की और उसके बाद एवैकुएशन हुआ, हम पीछे नहीं हटे। उन्होंने कहा कि वहां कुछ लोगों ने पुलिस की सहायता की और उनको अपने घर में पनाह देकर उपद्रवियों के हमले से बचाया।

वहीं, कांस्टेबल विजय कुमार का कहना है ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि इस तरह पत्थर उड़ते हुए आएंगे। चारों ओर से ईंटों की बारिश हो रही थी। जब पुलिस बल मौके पर पहुंचा था तो बहुत लोग नारेबाजी कर रहे थे।

बता दें, इस घटना के बाद नैनीताल की डीएम वंदना सिंह ने कहा, "ये कोई अलग घटना नहीं है, जिसमें जानबूझकर किसी एक संपत्ति को निशाना बनाया गया हो"। उन्होंने बताया, "बीते 15-20 दिनों से हल्द्वानी के अलग-अलग क्षेत्रों में नगर निगम की परिसंपत्तियों से अतिक्रमण हटाने के लिए मुहिम चलाई जा रही थी और उससे पहले हाई कोर्ट के आदेश के बाद अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई की जा रही थी"।

इलाक़े में भड़की हिंसा को लेकर डीएम वंदना सिंह ने कहा, "पुलिस और प्रशासन ने न तो किसी को भड़काया, न किसी को मारा और न ही किसी को किसी भी प्रकार से कोई नुक़सान पहुँचाने की कोशिश की"। वहीं, गोली के कारण पांच लोगों की हुई मौत पर डीएम ने कहा, "भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पहले भीड़ से वहाँ से हटने की अपील की गई। उसके बाद वहीं आग बुझाने के लिए पानी की बौछार का इस्तेमाल किया गया, पर भीड़ यहां से नहीं हटी। इसी बीच भीड़ के भीतर से गोलियां चलाने की ख़बर आई। इसके जवाब में पुलिस ने हवा में लोगी चलाई। इसकी जांच की जाएगी कि लोगों की मौत जिस गोली से हुई है वो भीड़ ने चलाई थी या फिर पुलिस ने"।

गिरफ्त में हल्द्वानी हिंसा का मास्टरमाइंड!

खबर है कि हल्द्वानी के बनभूलपुरा में मलिक के बगीचे में अतिक्रमण हटाने के दौरान हुए बवाल के मास्टरमाइंड बताए जा रहे अब्दुल मलिक को गिरफ्तार कर लिया गया है। सूत्रों के अनुसार, दिल्ली और उत्तराखंड पुलिस की संयुक्त टीम ने मलिक को दिल्ली में गिरफ्तार किया है। पुलिस अधिकारी इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहे हैं। बता दें, हल्द्वानी हिंसा मामले में पुलिस ने अभीतक तीन मुकदमे दर्ज किए हैं। वही 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें 19 नामजद समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

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