Houthi attack on Red Sea: इजरायल-हमास के बीच छिड़ा युद्ध अभी तक रुकने के नाम नहीं ले रहा था कि इस बीच लाल सागर में हूती विद्रोहियों ने कमर्शियल शिपिंग जहाजों पर हमला कर दिया। दुनिया पहले ही इजरयाल-हमास के बीच चल रहे युद्ध के कारण ग्लोबल ट्रेड पर असर देख रही थी कि हाल ही में हूती विद्रोहियों द्वारा दुनिया के सबसे जरूरी रास्तों में से एक लाल सागर पर हमले के कारण एक बार फिर ग्लोबल ट्रेड खतरे में आ गया है।
ऐसे में रेड सी यानी लाल सागर से अपने जहाज भेजने से दुनिया की कई बड़ी शिपमेंट कंपनियों को डर लग रहा है, इस कारण या तो वह अपना निर्यात रोक रही है या फिर लंबे रास्तों को अपनाकर माल पहुंचा रही है।
दरअसल हूती विद्रोहियों ने हमास का समर्थन करते हुए कहा है कि वो इजरायल जाने वाले जहाजों को निशाना बना रहे हैं, लेकिन ये साफ नहीं है कि हूती विद्रोही सिर्फ इजरायल जाने वाले जहाजों को ही निशाना बना रहे हैं।
बता दें, हाल ही में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पीएम नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की। इस चर्चा के दौरान लाल सागर के मुद्दे पर भी बात हुई। इजराइल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने दोनों नेताओं की बातचीत के बाद एक बयान जारी किया। इसमें कहा गया है कि दोनों नेताओं के बीच बाब-अल-मंदेब में मुक्त आवाजाही के महत्व पर चर्चा हुई, जो कि हूतियों के आक्रमण से खतरे में हैं, जिन्हें ईरान उकसा रहा है। दोनों नेताओं ने माना कि हमले रोकना ही भारत और इसराइल की अर्थव्यवस्थाओं के साथ ही वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था के लिए हितकारी है।
भारत की ओर से जारी किए गए बयान में भी यही जानकारी दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने ट्वीट में ये ज़िक्र किया कि उन्होंने नेतन्याहू के साथ समुद्री आवाजाही से जुड़ी सुरक्षा को लेकर अपनी चिंताओं पर चर्चा की।
वहीं, अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉएड ऑस्टिन ने भी ये बयान जारी किया था कि एक सप्ताह में यमन के हूती विद्रोहियों ने 12 बार कमर्शियल जहाजों पर हमले किए हैं और कुछ पर कब्जा भी किया है। इसके बाद से ही शिपमेंट कंपनियों को डर है कि वो यदि और जहाज भेजते हैं तो उन पर भी हमला और कब्जा हो सकता है।
भारत, अफ्रीका और यूरोप जैसे देश कारोबार के लिए इसी रास्ते पर निर्भर हैं। ऐसे में लंबे रास्तों को अपनाने से समय और माल निर्यात करने की लागत में भी वृद्धि हुई है, जिसके चलते अब इसका असर आम जनता की जेब पर भी पड़ सकता है।
लाल सागर अफ्रीका एवं एशिया के बीच हिंद महासागर की एक नमकीन पानी खाड़ी है। जो दक्षिण में अदन की खाड़ी से हिंद महासागर में मिलती है। रेड सी का पानी लाल रंग का नहीं होता है बल्कि समुद्री सतह पर प्रवाल की मौसमी उपस्थिति के कारण ये कभी-कभी लाल दिखती है। इसलिए इसे लाल सागर कहा जाता है।
बता दें, लाल सागर हिंद महासागर और भूमध्य सागर के बीच का रास्ता है। जिसमें 'गेट ऑफ टीयर्स' भी स्थित है। यह ऐसा जलमार्ग है जिससे दुनिया का 40 प्रतिशत व्यापार होता है। यहां से गुजरने वाले जहाजों पर कई देशों की अर्थव्यवस्था टिकी है। क्योंकि ये आयात-निर्यात का सबसे जरूरी जलमार्ग है जहां से एक देश का सामान दूसरे देश पहुंचाया जाता है। ऐसे में अगर इस मार्ग पर किसी तरह की परेशानी आती है तो ये पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकता है।
ये मार्ग कितना जरूरी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 17 हजार जहाज स्वेज नहर से हर साल गुजरते हैं। वहीं लाल सागर से दुनिया का 12 प्रतिशत वैश्विक कारोबार होता है। इसे ऐसे हर साल 10 अरब डॉलर का सामान इसी रास्ते से आयात-निर्यात होता है।
Houthi attack on Red Sea: इजराइल और हमास के बीच 7 अक्तूबर को जंग शुरू होने के बाद ही हूती गुट ने लाल सागर में सामान का निर्यात करने वाले जहाजों पर हमले तेज कर दिए हैं। बता दें, अरब देशों में सबसे गरीब मुल्कों में गिने जाने वाले यमन में साल 2014 से हूती विद्रोहियों और सरकार के बीच संघर्ष जारी है। हूती विद्रोही यमन में उत्तरी इलाके के शिया मुसलमान हैं। राजधानी सना सहित उत्तरी यमन में हूती गुट का कब्ज़ा है। इस गुट को ईरान से समर्थन मिलता है। बता दें, ईरान और इजराइल एक-दूसरे के धुर विरोधी मुल्क हैं। ईरान ने युद्ध की शुरुआत से ही फ़लस्तीन के प्रति समर्थन दिखाया है।
हूतियों ने कहा है कि वे ग़ाज़ा में फ़लस्तीनी चरमपंथियों पर इसराइली सेना की कार्रवाई के विरोध में ये हमले कर रहे हैं। ईरान समर्थित ये विद्रोही गुट बाब अल-मंदाब स्ट्रेट से गुज़रने वाले विदेशी मालवाहक जहाज़ों पर ड्रोन और रॉकेटों से हमले कर रहा है। ये एक 20 मील चौड़ा चैनल है जो अफ़्रीका की ओर से एरिट्रिया और जिबूती को बांटता है और अरब सागर में यमन को।
लाल सागर से गुजरने वाले जहाज़ आमतौर पर दक्षिण से मिस्र की स्वेज़ नहर पहुंचने के लिए और आगे उत्तर की ओर बढ़ने के लिए इसी रास्ते से जाते हैं। लेकिन हूती विद्रोहियों के हमले और आने वाले समय में दूसरे हमलों के खतरे को देखते हुए दुनिया की कई बड़ी-बड़ी शिपिंग कंपनियों ने अपने जहाज़ों को इस रास्ते से भेजना बंद कर दिया है या अपने रास्ते बदल तक बड़ा रास्ता अपना लिया है।
शिपमेंट कंपनियों के जहाजों पर हमलों का असर भारत पर भी देखने को मिलेगा। दरअसल, मालवाहक जहाजों के लंबे रास्ते अपनाने के चलते माल को भारत तक पहुंचने में देरी हो सकती है। मालूम हो, माल को केप ऑफ गुड से लाया जा रहा है। ऐसे में जहाजों को 10 दिन ज्यादा सफर करना पड़ रहा है। जिसके चलते माल उपभोक्ताओं तक भी देरी से ही पहुंचेगा। ऐसे में इसका बड़ा असर उपभोक्ता आपूर्ति पर देखने को मिलेगा।
ये लंबा मार्ग कंपनियों पर आर्थिक बोझ भी बढ़ाएगा। पिछले सप्ताह शिपिंग रेट में चार फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई। ये बढ़त कारोबारियों से होते हुए आखिरकार उपभोक्ताओं की जेब पर भी असर करेगी। आशंका ये भी है कि मौजूदा परेशानियों के कारण तेल के दामों में उछाल आएगा, जिससे ईंधन महंगा हो सकता है।
भारत के निर्यातकों के अनुसार लाल सागर में चल रहे मौजूदा सुरक्षा खतरे की वजह से यूरोप और अफ्रीका जाने वाले भारतीय सामान का भाड़ा लगभग 25 से 30 प्रतिशत बढ़ सकता है। इसके अलावा अधिकांश बीमा कंपनियों ने भी हूती विद्रोहियों के एक जहाज पर बैलिस्टिक मिसाइल दागने के बाद लाल सागर से गुजरने वाले मालवाहक जहाजों को बीमा देने से मना कर दिया है। वहीं कुछ बीमा कंपनियों ने तो वॉर रिस्क सरचार्ज भी वसूलना शुरू कर दिया है।
भारत में एशियाई, अफ्रीकी और यूरोपीय देशों से जो सामान का आयात होता है वो लाल सागर के जरिए ही होता है। इसके अलावा भारत इस रास्ते से मुख्य रूप से पेट्रोलियम पदार्थ, दालें और मशीनी उपकरण निर्यात करता है। ऐसे में हम समझ सकते हैं कि भारत के लिए ये संकट कितना बड़ा हो सकता है। वहीं बड़ी मात्रा में माल रुका भी हुआ है जो आने वाले समय में दुनियाभर के लिए संकट का कारण बन सकता है।
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