शेयर मार्केट सबसे बड़ा बिजनेस ग्राउंड है। लेकिन भारत में बहुत कम लोग शेयर बाजार में भाग्य आजमाते हैं। शेष विश्व की तुलना की जाए तो भारत मे बिजनेस करने वालों में केवल 3.5 प्रतिशत लोग ही शेयर मार्केट का काम करते हैं जब कि अमेरिका में 50 प्रतिशत, इंग्लैण्ड में 40 प्रतिशत और जापान में करीब 23 प्रतिशत लोग शेयर मार्केट का काम करते हैं। इस तरह से देखा जाए तो भविष्य में शेयर मार्केट की बढ़ोतरी बहुत ज्यादा होगी। जैसे-जैसे बिजनेस की पढ़ाई और जागरूकता में वृद्धि होगी उसी तुलना में शेयर बाजार की तरफ भी लोगों को रूझान बढ़ेगा।
शेयर मार्केट और सट्टा बाजार को एक ही दृष्टि से देखा जाता है। जबकि दोनों में मूलभूत अंतर है। शेयर बाजार एक कानूनी या वैध बिजनेस है जब कि सट्टा बाजार विधि विरूद्ध या आप साधारण भाषा में कह सकते हैं कि गैरकानूनी है। इसलिए सभी को यह सलाह दी जाती है कि वे सट्टा आदि से दूर रहें। सट्टे को कानूनी मान्यता नहीं होने से आपके घाटे की भरपाई नहीं हो पाती है और विकट स्थिति में आप सरकार से किसी मदद की आशा नहीं रख सकते हैं। यह कानूनी तौर पर गलत है किसी को भी सट्टा बाजार में पैसा नहीं लगाना चाहिए।
ज्योतिष के दृष्टिकोण से देखा जाए तो सट्टा बाजार में भी नुकसान या फायदा तो गोचर ग्रहों के कारण होता है लेकिन यदि लगातार नुकसान ही होता रहे और फायदा नहीं हो तो समझ लें कि आप के घर में वास्तु संबंधी कोई दोष उत्पन्न हो गया है। या फिर जन्म कुण्डली में किसी खराब दशा का आगाज हो चुका है। मैं इन दोनों पक्षों के बारे में संक्षेप में बताउंगा।
शेयर बाजार चूंकि एक वैध बिजनेस है इसलिए इसका प्रतिनिधित्व आपका भाग्य स्थान, सूर्य और बुध करता है। जब कि सट्टा चूंकि वैध नहीं है इसलिए इसका प्रतिनिधित्व राहु ग्रह और आठवां भाव करता है। आठवां भाव अचानक और बिना मेहनत के धन का प्रतिनिधि भाव भी है। यदि लग्न भाव, भाग्य भाव, आठवां भाव और राहु का संबंध परस्पर संबंध बने तो ऐसा व्यक्ति अचानक धनी होने के चक्रव्यूह में फंस जाता है। और सट्टा आदि में भाग्य आजमाता है। लेकिन दूसरे ग्रह योग प्रबल नहीं हो तो बड़ा नुक्सान होने की आशंका बनी रहती है। जब जन्म कुण्डली में 6, 8 या 12वें भाव के स्वामी की दशा या अन्तरदशा चालू हो जाए तो भी सट्टा बाजार में नुकसान होने लगता है। वाद-विवाद और झगड़ा होता है। शनि की दशा में भी प्रायः यही स्थिति होती है। इसके अलावा गोचर में जब बृहस्पति और शुक्र दोनों ही अशुभ स्थानों पर चले जाएं तो भी अचानक नुकसान होने लगता है। अन्ततः कर्जदार होकर बर्बादी के कगार पर पहुंच जाता है। इसलिए सट्टे में लम्बे समय तक भाग्य नहीं आजमाना चाहिए। यदि एक या दो बार में लाभ नहीं हो तो समझ जाएं कि यह सब आपके लिए नहीं है। इसके अलावा अपने ज्योतिषी से भी इस संबंध में परामर्श अवश्य करें कि आपकी कुंडली या हाथों में सट्टे से लाभ है या नहीं।
जैसा कि मैं लिख चुका हूं कि शेयर मार्केट का प्रतिनिधित्व कुंडली का भाग्य स्थान, सूर्य और बुध करता है। इसलिए इन ग्रहों की कुंडली में पोजिशन अवश्य देखें। यदि ये ग्रह और भाव बलवान हो और चन्द्रमा पक्षबली हो तो शेयर मार्केट में अवश्य लाभ होता है। यदि आप ज्यादा कुछ नहीं विचार कर सकते हैं तो यह अवश्य विचार करें कि यदि लग्न कुंडली में भाग्य यदि बलवान नहीं हो तो कभी भी शेयर का काम नहीं करें।
प्रायः देखा जाता है कि जब घर में गंभीर वास्तु दोष हों तो घर स्वामी को बिजनेस में नुकसान होने लगता है। उसके फैसले गलत और आत्मघाती होने लगते हैं। चल रहा बिजनेस अचानक बंद हो जाता है। और कर्ज की पोजीशन बनने लगती है।
आमतौर पर जब घर के दिती, अदिती, महेन्द्र, पुष्य, नभ, गृहत्क्षत और भल्लाट के स्थान किसी कारणवश खराब हो जाएं तो सट्टा बाजार में लगातार नुकसान होने लगता है। यहां पर यह बात ध्यान रखने की बात है कि जब वास्तु दोष पैदा हो तो यह जरूरी नहीं कि वह तुरन्त ही खराब फल देने लगे। कभी-कभी बुरा फल देने में वास्तु दोष को 6 से 12 महीनों तक का समय लग जाता है। इसलिए 6 से 12 माह पुराने बदलावों को भी देखना चाहिए।
Astrologer Satyanarayan Jangid
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