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आधुनिक मानव के लिए अब नम्बरों का महत्व बढ़ता जा रहा है। आज व्यक्ति की मुख्य पहचान उसके नम्बरों से होती है। इसमें मोबाईल के नम्बर सबसे महत्त्वपूर्ण हैं। क्योंकि आजकल युग में मोबाईल का ही हम सबसे अधिक उपयोग करते हैं। आप कल्पना करें कि यदि आपको दो-चार दिन बिना मोबाइल के रहना पड़े तो कैसा लगेगा। सच में हम बिना मोबाइल के स्वयं को अधूरा अनुभव करेंगे। पूरे दिन ऐसा लगेगा जैसे कि हमारा कुछ खो गया हो। कुछ कमी अनुभव करेंगे, जिसकी कि पूर्ति नहीं हो पा रही है। इसका कारण यह है कि दूरसंचार में क्रान्ति के साथ ही शनै-शनै हमारी जीवन शैली में काफी कुछ परिवर्तन आ चुके हैं। किसी समय टेलीफोन हमारी जरूरत थी। अब टेलीफोन का ही परिष्कृत रूप मोबाइल हमारी विवशता बन चुका है। सही अर्थों में मोबाइल का उतना उपयोग नहीं है जितना की दुरूपयोग हो रहा है। फिर भी आधुनिक सन्दर्भों में मोबाइल के उपयोग को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। इसलिए कहा जा सकता है कि आज व्यक्ति का परिचय तो नाम से होता है लेकिन सुपरिचय अंकों पर निर्भर है। हमारी सभी गतिविधियां अंकों पर ही आधारित हैं। इसलिए हम अंकों के शुभ या अशुभ प्रभाव से बच नहीं सकते हैं।
जब हम किसी व्यक्ति के सम्पर्क में आते हैं तो सर्वप्रथम हम अपने मोबाईल नम्बर का ही आदान-प्रदान करते हैं। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। अतः शुभ या अशुभ नम्बरों का हमारे जीवन में बहुत प्रभाव होता है। जो लोग नया मोबाईल या लैण्डलाईन नम्बर ले रहें हैं उन्हें चाहिए कि वे इस बारे में विचार करें। जिससे भविष्य में आने वाली कठिनाइयों को कुछ हद तक कम किया जा सके। इसके अलावा यदि हम किसी नये व्यवसाय का आरम्भ कर रहे हैं और उसके लिए हमें विशेष तौर पर मोबाईल या लैण्डलाईन नम्बरों की आवश्यकता है। हमेशा उन्हीं नम्बरों का चयन करना चाहिए जो कि उस व्यवसाय से सामंजस्य रखता हो। जैसे वस्त्र और महिलाओं से सम्बन्धित कार्यों में अंक 6 प्रभावी होना जरूरी है। इसी प्रकार से यदि हम किराने की दुकान आरम्भ कर रहे हैं और उसके लिए मोबाईल या लैण्डलाईन नम्बरों में 3 और 5 के अंक को महत्त्व देना जरूरी है। राजकार्य या राजनीति में सक्रिय रहने वाले लोगों के मोबाईल नम्बर में अंक 1 और 3 का महत्त्वपूर्ण स्थिति में होना आवश्यक है। क्योंकि राजनीति और धर्म आदि में सक्रिय रहने वाले लोगों का परिचय क्षेत्र बहुत विस्तृत होता है इसलिए उनके मोबाईल नम्बरों का शुभ और सकारात्मक होना बहुत जरूरी है। जो लोग शेयर या सट्टे का व्यवसाय करते हैं उनके मोबाईल में अंक 4 का प्रभावी होना जरूरी है।
मोबाईल के नम्बर: जहर या अमृत
मोबाईल में कुल दस नम्बर होते हैं जो कि भिन्न-भिन्न चरित्र और विशेषताओं के प्रतीक हैं। कुछ अंक शुभ हैं तो कुछ अशुभ हैं। कुछ अंक दूसरे अंकों के साथ मिल कर शुभ हो जाते हैं और कुछ अंकों के साथ मिल कर अशुभ हो जाते हैं। कई बार यह भी देखा जाता है कि एक अंक दो या दो से अधिक बार दोहराया जाता है। यह कोई अच्छी स्थिति नहीं है। किसी भी चीज की बहुतायत हमेशा किसी न किसी नकारात्मकता की प्रतीक होती है। उदाहरण के लिए किसी के मोबाइल नम्बर में अंक 3 की अधिकता है तो ऐसा व्यक्ति स्वयं को दूसरों से अधिक बुद्धिमान समझेगा। यदि यह नम्बर वह लगातार उपयोग में लेता है तो ऐसा व्यक्ति अहंकारी बन कर स्वयं का नुकसान कर बैठता है। हालांकि ऐसा व्यक्ति चरित्र का पक्का होगा। इसी प्रकार से यदि 6 अंक की पुनरावृत्ति हो तो जातक को भोग-विलास में अधिक रूचि होने लगती है। ऐसे व्यक्ति पर दोषारोपण भी हो सकता है। इसलिए किसी भी अंक की बार-बार आवृत्ति से बच कर रहना चाहिए। लेकिन इसके भी कुछ आधारभूत नियम हैं। कई बार इन आवृत्तियों का परस्पर बेध हो जाता है। जैसे 2 का अंक दो बार से अधिक आए तो व्यक्ति शकी और मानसिक तनाव से ग्रस्त रहता है लेकिन इसके साथ यदि 3 का अंक आगे-पीछे या बीच में हो तो ऐसा जातक इन दुष्प्रभावों से मुक्त होकर कल्पनाशक्ति से सम्पन्न हो सकता है। लेकिन किसी भी निर्णय पर पहुंचने के लिए सभी दस अंकों को देखना जरूरी है। कुछ अंकों के आधार पर अपना निर्णय न लें।
मोबाईल नम्बर का अच्छा या बुरा प्रभाव कुछ महीनों बाद ही मिलना आरम्भ होता है। क्योंकि जैसे-जैसे हम उन अंकों को अपने जीवन की क्रिया-कलापों में उपयोग लेते हैं वैसे-वैसे अंक अपना अच्छा या बुरा प्रभाव दिखाना शुरू करते हैं। जैसे 4 का अंक हमारे जीवन में अनेक प्रकार से संकट उत्पन्न करता है। समाज में प्रतिष्ठा को हानि पहुंचा सकता है। व्यापार में आप जितना परिश्रम करते हैं उसका लाभ परिश्रम की मात्रा में बहुत कम मिल पाता है। लोगों का नजरिया आपके प्रति नकारात्मक रहता है। प्रायः देखा जाता है कि जब किसी मोबाईल नम्बर में 4 की बहुतायत हो जाए तो ऐसे व्यक्ति को अपनी पिता की सम्पत्ति मिलने में भी बाधा आती है। लेकिन यहां यह देखना भी जरूरी है कि अंक 4 के आगे और पीछे कौन से अंक हैं। यदि 4 के अंक के आगे-पीछे 3 या 5 के अंक हो तो दोष में कुछ कमी आती है इसी प्रकार से 9 या 8 जैसे अंकों से युति करें तो बुरे फल जल्दी और अधिक मात्रा में मिलते हैं। इसके साथ यह भी देखें कि मोबाईल के कुल 10 अंकों में 4 का अंक कितनी दफा आया है। किसी भी सटीक निर्णय पर पहुंचने के लिए इन सब बातों का बहुत महत्त्व है। इसी क्रम में देखा जाए तो अंक 7 भी शुभ नहीं होता है। यदि किसी मोबाईल में 7 का अंक एक या दो बार से अधिक हो तो इसका प्रभाव बहुत अच्छा नहीं कहा जायेगा। अंक 7 का बार-बार आना जीवन में सफलता प्राप्ति में बाधा उत्पन्न करता है। कमोबेश यह स्थिति अंक 8 और 9 के साथ भी है। लेकिन जैसा कि मैं कह चुका हूं कि अन्तिम निर्णय करने से पूर्व यह देख लें कि इन अंकों की शुभाशुभ स्थिति क्या है। क्यांेकि कुछ अंक दूसरे अंकों के साथ मिल कर शुभ हो जाते हैं तो कुछ अंक अशुभ हो जाते हैं।
संयुक्तांक का निर्माण और उसके गुण दोष
आमतौर पर भारत में मोबाईल या लैण्डलाईन नम्बरों में कुल दस अंक होते हैं। हालांकि अंक चाहे कितने भी कम या ज्यादा हो हमें तो उपयोग में आने वाले सभी अंकों की गणना करनी होती है। यहां यह बात ध्यान देने वाली है कि अंक ज्योतिष में केवल उन्हीं नम्बरों को प्रभावी माना जाता है जिनका कि हम अपने जीवन के दैनिक कार्यों में अधिकाधिक उपयोग करते हों। जैसे वाहन नम्बर जो कि हमेशा दूसरों को दिखाई देता है। आपके फोरव्हीलर्स का नम्बर बहुत बार आपकी पहचान भी हो सकता है। मोबाईल नम्बर जिसका कि स्वयं और दूसरे भी बार-बार उपयोग करते हैं। कुछ हद तक आपके घर के नम्बर को भी वरीयता देनी चाहिए। आधार कार्ड के नम्बर, पेन कार्ड के नम्बर या ड्राईविंग लायसेन्स आदि के नम्बरों का कोई खास महत्त्व नहीं है। क्योंकि इन नम्बरों को हम दैनिक जीवन में बहुत कम रूप में दोहराते हैं।
अब बात करते हैं संयुक्तांक की। मोबाईल नम्बर के सभी अंकों के जोड़ को संयुक्तांक कहा जाता है। मैं यहां स्वयं के मोबाईल नम्बर का उदाहरण दे कर पाठकों को समझाना चाहूंगा। इस संयुक्त अंक का अपना महत्त्व है।
मोबाईल नम्बर
6375962521
अब इन सब अंकों को परस्पर जोड़े।
6+3+7+5+9+6+2+5+2+1 – 46
4+6 – 10
1+0 – 1
उपर्युक्त उदाहरण से आप समझ चुके होंगे कि मेरे मोबाईल नम्बर का संयुक्तांक 1 है। इसी प्रकार से आप अपने मोबाईल नम्बर के अंकों का संयुक्तांक निकाल सकते है। अब सवाल यह है कि इस संयुक्तांक का वास्तव में उपयोग क्या है। संयुक्तांक हमारे मोबाईल का आत्मकारक अंक होता है। यदि अंक शक्तिशाली हो तो उसका हमारे जीवन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव होता है। उसी प्रकार से यदि अंक बलहीन हो तो हमें उस अंक से सम्बन्धित लाभों से वंचित हो जाना पड़ेगा।
जन्म का मूलांक और मोबाईल संयुक्तांक का सामंजस्य
हमारे जन्म का मूलांक हमारा आत्मकारक अंक होता है। यदि हमारा आत्मकारक अंक बलहीन हो तो यह जरूरी है कि हमारे जीवन में उस अंक की बार-बार पुनरावृत्ति हो। इसकी पुनरावृत्ति का सबसे सशक्त माध्यम हमारा मोबाईल नम्बर है। इसके अलावा जन्मांग के अंक से सम्बन्धित रत्न को धारण किया जाए। उस अंक से सम्बन्धित रंगों का चुनाव किया जाए और जीवन के महत्त्व के कार्यों को इस अंक के अनुसार किया जाए। इन तमाम बातों को फॉलो करने के लिए यह जरूरी है कि हमें अपना जन्मांक पता हो। जन्मांक निकालने का तरीका भी ऊपर दिये गये तरीके से ही निकाला जाता है। जैसे किसी का जन्म 17 अगस्त 1989 है तो निम्न प्रकार से जन्मांक प्राप्त होगा –
1+7+8+1+9+8+9 – 43
4+3 – 7
इस प्रकार से अंक 7 हमारा जन्मांक होता है। इस जन्मांक का हमारे मोबाईल नम्बर से सामंजस्य बैठाया जाना आवश्यक है। इसके लिए जरूरी है कि हमारे मोबाईल नम्बर का मूलांक भी 7 ही हो, या मोबाईल नम्बर में अंक 7 सुदृढ़ स्थिति में हो।
— ज्योतिर्विद् सत्यनारायण जांगिड़
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