Most wanted gangster Dawood Ibrahim : कानून के रखवाले का बेटा बना आतंक का बड़ा नाम

Most wanted gangster Dawood Ibrahim : कानून के रखवाले का बेटा बना आतंक का बड़ा नाम
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Most wanted gangster Dawood Ibrahim देश में मुंबई बॉम्ब ब्लास्ट के धमाकों ने सभी देश वासियों को सुन कर दिया था। इस हादसे में कई बेगुनाहों की जिंदगी चली गई। पल भर में सैंकड़ो की संख्या में लाशो का ढेर लग गया। किसी बहन का भाई गया , कई सुहागन विधवा हो गई। तो कई के सर से पिता का साया हट गया। इस हादसे की जांच चली तो कई नाम सामने आए लेकिन एक नाम आज भी लगातार कानून की पकड़ से दूर है दाऊद इब्राहिम। इसमें कुछ अपराधियों को मौत की सजा तक हो चुकी है। लेकिन एक नाम आज भी हर देश वासी की आंखो खटकता दाऊद इब्राहिम। लेकिन कैसे ये नाम आतंक की दुनिया में इतना बड़ा हो गया जो एक बॉम्ब धमाके को अंजाम देता है और तमाम सुरक्षा एजेंसी की पकड़ से दूर है।

पिता मुंबई पुलिस में कॉन्स्टेबल

दाऊद इब्राहिम का जन्म साल 1955 में मुंबई में हुआ। ये स्लम क्षेत्र में पला – बड़ा। इसने छोटी सी उम्र में ही जुर्म की दुनिया में कदम रख दिया था। जिस उम्र में बचे चोर पुलिस खेलते है उस उम्र इसने चोरी , डकैती जैसी घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर दिया था। दाऊद के पिता पुलिस में कांस्टेबल के पद पर तैनात थे।

जुर्म की दुनिया पहला कदम

1974 जब दाऊद 19 साल का था, जब ही उसने गैंगस्टर की दुनिया में पहला कदम रख लिया था. 19 साल की उम्र में वो हाजी मस्तान (उस समय मुंबई का सबसे बड़ा डॉन) का करीबी सहयोगी बन गया. लेकिन, मुंबई पुलिस ने मस्तान का शासन खत्म करने दाऊद का सहारा लिया और दाऊद को मस्तान से लड़ने के लिए कहा. वहीं, दाऊद ने भी मस्तान की जगह लेने के लिए उसके सीधा मुकाबला किया।

गैंगस्टर की दुनिया में शामिल

दाऊद अब बड़ा हो रहा था। उसकी बढ़ती उम्र के साथ – साथ उसका जुर्म की दुनिया में भी कद बढ़ रहा था। 1974 जब दाऊद 19 साल का था उसने जुर्म की गैंगस्टर की दुनिया में पहला बड़ा कदम रखा। उसमे 19 साल की उम्र में हाजी मस्तान का गैंग ज्वाइन किया और उसका करीबी सहयोगी बन गया। दाऊद ने हाजी मस्तान से बाद में सीधा मुकबला किया।

अपना गिरोह बनाया

1970 के दशक के अंत में वो गिरोह से अलग हो गया, अपने बड़े भाई शब्बीर इब्राहिम कास्कर के साथ अपना गिरोह बना लिया। जुर्म की दुनिया में बढ़ते कद के साथ दाऊद के दुश्मन भी बढ़ते गए साल 1981 के करीब गैस स्टेशन पर तीन हत्यारों ने दाऊद और शब्बीर को घेर लिया था। जहां शब्बीर मारा गया, वहीं दाऊद फरार हो गया।

दाऊद हत्यारों में घिरा

साल 1984 के आते भाई की हत्या का बदला लेने के लिए दाऊद और भी खतरनाक हो गया तीन साल के भीतर दाऊद ने अपने भाई के हत्यारो को मार डाला। 1984 में दाऊद पर हत्या का आरोप लगा। कहा जाता है 1986 में वह भारत से दुबई भाग गया। जहा वह 'व्हाइट हाउस' नामक एक बंगले में रहने लगा और अपने काले धंधो को वही से चलने लगा। अपनी डी कंपनी को चलने के लिए छोटा राजन को कहा। 1991 में जैसे ही भारत ने अपना बाजार विदेशी लोगों के लिए खोला तो कालाबाज़ारी का समय पुराना हो चुका था। समय के चलते मुंबई के डॉक पर दाऊद की खेप वाले जहाजों की संख्या कम हो गई।

ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित

1993 के मुंबई में हुए धमाकों का मास्टरमाइंड दाऊद को माना गया जिसके बाद वो हमलों के बाद, वह कराची के लिए दुबई भाग गया, जहां कहा जाता है कि वह आज तक रहता है। 2003 में, भारतीय और संयुक्त राज्य सरकारों ने इब्राहिम को "वैश्विक आतंकवादी" घोषित किया। भारतीय उप प्रधान मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने इसे एक प्रमुख विकास के रूप में वर्णित किया। इब्राहिम वर्तमान में भारत की "मोस्ट वांटेड लिस्ट" में है।

दाऊद का पाकिस्तान में छिपे होने का दावा

दाऊद इब्राहिम को लेकर कई तरह की रिपोर्ट सामने आती रहती है और अब बताया जा रहा है कि दाऊद इब्राहिम इस समय कराची में है। दाऊद इब्राहिम के कराची में होने का खुलासा उसके भांजे अलीशाह पारकर ने प्रवर्तन निदेशालय के सामने किया है। इतना ही नहीं, अलीशाह पारकर ने यह भी बताया है कि उसका परिवार कई मौकों पर दाऊद की पत्नी के संपर्क में रहता है। ग्लोबल टेरेरिस्ट दाऊद इब्राहिम के पाकिस्तान में होने के कई बार दावे किए जाते रहे हैं।

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