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Pearl Harbor Attack : 7 दिसंबर, 1941 को सचमुच कुछ ऐसा हुआ, जिसका दो देशों पर बहुत बड़ा असर पड़ा। जिस घटना से द्वितीय विश्व युद्ध में जो हो रहा था वो सब बदल गया। इस घटना को कहते है (Pearl Harbor Attack) पर्ल हार्बर हमला। इस घटना से जापान और अमेरिका की सारी स्तिथि बदल गई। जापान ने सुबह-सवेरे हवाई में उस स्थान पर हमला कर दिया जहाँ अमेरिकी नौसेना ठहरी हुई थी। इस हमले से अमेरिका बहुत डर गया और परेशान हो गया था।
बहुत बड़ी लड़ाई हुई और बहुत नुकसान हुआ। हमला (Pearl Harbor Attack) तना बड़ा था कि कई अमेरिकी सैनिकों ने दुःखद रूप से अपनी जान गंवाई, और कई विमान और जहाज नष्ट हो गए। करीबन 2400 से ज्यादा अमेरिकी सेना के जवान इस हमले में मारे गए और 328 से ज्यादा विमान और 19 जहाज इसमें तबाह (Pearl Harbor Attack) हो गए। लेकिन 1 घंटे और 15 मिनट के हमले के दौरान ज्यादा जापानी सैनिक नहीं मारे गए। जापान ने अपने केवल 100 सैनिकों को खोया था। इस वजह से अमेरिका भी द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल हो गया और अपने मित्र देशों के साथ मिलकर दुश्मन देशों से लड़ना शुरू किया।
जापान द्वारा अमेरिका पर हमला करने के बाद अमेरिका बहुत गुस्से में था। चार साल बाद 1945 में अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी (Hiroshima Nagasaki Attack) नाम के दो शहरों पर परमाणु बम गिराए। पर्ल हार्बर में जापान ने जो अमेरिका (Pearl Harbor Attack) के साथ किया उसके बाद इस हमले को उसका बदला माना गया। वो परमाणु बम (Hiroshima Nagasaki Attack)
इतने शक्तिशाली और असरदार थे कि उन्होंने लगभग 150,000 लोगों की जान ले ली। इससे लोगों के दिल और दिमाग में पर्ल हार्बर के हमले की यादें थोड़ी फीकी पद गई क्योंकि इस हमले से जापान को भी बहुत बड़ा और भयंकर नुकसान हुआ था।
जापान में पर्ल हार्बर हमला सचमुच हैरान करने वला था क्योंकि उस समय अमेरिका जापान के साथ अच्छा व्यवहार करने और कुछ सज़ाएँ वापस लेने के बारे में सोच रहा था। अमेरिका ने जापान (Pearl Harbor Attack) पर लगे कुछ प्रतिबंधों को हटाने के बारें में सोच-विचार किया था। लेकिन जापान असल में आक्रामक हो गया और अपने द्वारा दी गई सज़ाओं के कारण युद्ध शुरू कर दिया।
पर्ल हार्बर पर हमले से जापान और अमेरिका एक-दूसरे से बहुत नाराज़ हो गए और इनके बीच के संबंध और ज्यादा बिगड़ गए। लेकिन साल 2016 में एक टर्निंग पॉइंट (Pearl Harbor Attack) आया और हवाओं का रुख एक बार फिर से बदला। साल 2016 में जापान और अमेरिका के नेताओं राष्ट्रपति बराक ओबामा और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे की मुलाकात हिरोशिमा (Hiroshima Nagasaki Attack) शहर में हुई थी। दुनिया भर में लोग हैरान थे कि क्या इस बैठक के बाद चीजें बदतर होंगी या बेहतर होंगी।
वे एक खास जगह के बारे में बात कर रहे थे जहां काफी समय पहले अमेरिका ने बेहद शक्तिशाली परमाणु बमों (Hiroshima Nagasaki Attack) का इस्तेमाल किया था। बराक ओबामा वहां का दौरा करने गए और ऐसा करने वाले वह पहले राष्ट्रपति थे। उनके दौरे के बाद अमेरिका और जापान के बीच हालात बेहतर हो गए।
बाद में हालात बेहतर होते चले गए। 2023 में, जापान ने हिरोशिमा में G7 शिखर सम्मेलन (G7 Summit) बैठक आयोजित की, जहाँ बहुत समय पहले परमाणु बम गिराया गया था। अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन भी इसका हिस्सा बने थे। अलग-अलग देशों से आए नेता उस जगह भी गए जहां बम गिराया गया था। ऐसा करके जापान एक संदेश देना चाहता था। हिरोशिमा में परमाणु बम (Hiroshima Nagasaki Attack) डोम नाम की एक विशेष इमारत है जो लोगों को हमले और मारे गए लोगों की याद दिलाती है। इससे पता चलता है कि हमले में हुई तबाही के निशान अभी भी खत्म नहीं हुए है। जापान हमेशा से परमाणु हथियारों के ख़िलाफ़ रहा है और वे G7 शिखर सम्मेलन (G7 Summit) में विश्व नेताओं को भी यही बताना चाहा।