Ram Mandir Pran Pratishtha : भगवान श्रीराम के बालरूप श्री रामलला के स्वागत के लिए अयोध्या दुल्हन की तरह सज के तैयार हो चुकी है। 22 जनवरी को राम मंदिर में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा से पहले गुरुवार 18 जनवरी यानी की आज रामलला की मूर्ति को राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित कर दिया जाएगा। इससे पहले बुधवार 17 जनवरी को मूर्ति को विवेक सृष्टि ट्रस्ट से एक ट्रक की सहायता (Ram Mandir Pran Pratishtha) से अयोध्या में राम मंदिर तक लाया गया। परिसर के अंदर तक मूर्ति ले जाने के लिए एक क्रेन की मदद ली गई है।
मूर्ति को मंदिर के अंदर लाए जाने पर श्रद्धालुओं में भक्ति भावना की झलक दिखाई पड़ी और इसी के साथ लोगों में एक अलग तरह का उत्साह भी नज़र आया। एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक, एक संत ने कहा कि अब राम राज्य फिर से वापस (Ram Mandir Pran Pratishtha)आएगा। आयोध्या के राम मंदिर में रामलला की जिस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होनी है उस मूर्ति को बारीकी से तराशने वाले कर्नाटक के मैसुरु के रहने वाले प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज की डिल को छू लेने वाली और प्रेरणादायी (Ram Mandir Pran Pratishtha) कहानी भी अब सामने आई हैं।
आपको बता दें कि प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज (Ram Mandir Pran Pratishtha) को मूर्ति का काम करने के दौरान चोट भी लग गई थी और इसके बाद उन्हें ऑपरेशन तक की स्थिति से भी गुजरना पड़ा था लेकिन ऐसे हालातों में भी उन्होनें हिम्मत नहीं हारी और दर्द में भी काम किया था। इस मूर्ति को एक दिव्य और आलौकिक झलक देने के लिए अरुण योगीराज ने ना दिन देखा और ना रात बल्कि लगातार इसके लिए अपना सब कुछ एक करके मेहनत में जुट गए।
योगीराज के परिवार को जब से मंदिर ट्रस्ट की ओर से पता लगा है कि योगीराज की बनाई मूर्ति को राम मंदिर के गर्भग्रह में (Ram Mandir Pran Pratishtha) स्थापित किया जाएगा उनका परिवार खुशी से झूम उठा है। उनके परिवार की खुशी का फ़िलहाल कोई ठिकाना नहीं हैं। परिवार ने अपने रिएक्शन भी शेयर किए है और योगीराज को चोट लगने वाला किस्सा भी बताया हैं।
एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक, योगीराज की पत्नी विजेयता का कहा कि वह इस उपलब्धि से बेहद ही खुश हैं। विजेयता ने ये भी बताया कि, "जब मूर्ति बनाने का काम योगीराज को दिया गया तो हमें पता चला कि इसके लिए उचित पत्थर मैसूरु (Ram Mandir Pran Pratishtha) के पास उपलब्ध है। हालांकि, वह पत्थर बहुत सख्त था। इसकी नुकीली परत उनकी आंख में भी चुभ गई और उसे ऑपरेशन के जरिए निकाला भी गया। दर्द के दौरान भी वह नहीं रुके और लागातर काम (Ram Mandir Pran Pratishtha) करते रहे। उनका काम इतना अच्छा था कि हर कोई उनसे प्रभावित हुआ। हम सभी को धन्यवाद देते हैं।"
उन्होंने कहा, "योगीराज कई रात सोए नहीं और रामलला की मूर्ति बनाने में मग्न रहे। ऐसे भी दिन थे जब हम मुश्किल (Ram Mandir Pran Pratishtha) से बात करते थे और वह परिवार को भी मुश्किल से समय दे पाते थे। अब ट्रस्ट की सूचना से सारी मेहनत की भरपाई हो गई है।"
योगीराज के भाई सूर्यप्रकाश ने मूर्ति चुने जाने की खबर मिलने पर कहा था कि यह दिन परिवार (Ram Mandir Pran Pratishtha) के लिए बहुत यादगार है। उन्होंने कहा, "योगीराज ने इतिहास रचा है और वह इसके हकदार थे। यह उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण है जो उन्हें इतनी ऊंचाइयों तक ले गया।"
सूर्यप्रकाश ने कहा कि योगीराज ने मूर्तिकला की बारीकियां अपने पिता से सीखीं है। वह बचपन से इसे लेकर काफी उत्सुक थे। योगीराज की माता सरस्वती ने कहा कि यह बहुत ही खुशी की बात है कि उनके बेटे द्वारा बनाई गई मूर्ति का चयन (Ram Mandir Pran Pratishtha) किया गया है। उन्होंने कहा, "जब से हमें यह खबर मिली है कि अरुण द्वारा बनाई गई मूर्ति का चयन स्थापना के लिए हो गया हैं, हम बहुत खुश हैं। हमारा पूरा परिवार बहुत ज्यादा प्रसन्न है।"
मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोमवार 15 जनवरी को अयोध्या में घोषणा (Ram Mandir Pran Pratishtha) की थी कि नई मूर्ति में भगवान राम को पांच साल के बालरूप में खड़ी मुद्रा में दिखाया गया है और कहा था कि इसे 18 जनवरी को 'गर्भगृह' में 'आसन' पर विराजमान कर दिया जाएगा।
रामलला की मूर्ति चुने जाने पर योगीराज के पड़ोसी भी बहुत ज्यादा उत्साहित हैं। पड़ोसियों और कुछ नेताओं ने योगीराज के परिवार से मुलाकात भी की और उनके बेटे की तारीफ़ के रूप में सरस्वती को माला भेंट की। केदारनाथ में स्थापित (Ram Mandir Pran Pratishtha) आदि शंकराचार्य की मूर्ति और दिल्ली में इंडिया गेट के पास स्थापित की गई सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा भी अरुण योगीराज द्वारा ही बनाई गई हैं।
योगीराज ने रामलला की नई मूर्ति बनाते समय काम में आई चुनौतियों (Ram Mandir Pran Pratishtha) के बारे में कहा, ''मूर्ति एक बच्चे की बनानी थी, जो दिव्य हो, क्योंकि यह भगवान के अवतार की मूर्ति है। जो भी कोई मूर्ति को देखें उसे दिव्यता का एहसास होना चाहिए।''
प्रख्यात मूर्तिकार अरुण योगीराज ने ये भी कहा कि, "बच्चे जैसे चेहरे के साथ-साथ दिव्य पहलू को ध्यान में रखते हुए मैंने लगभग छह से सात महीने पहले अपना काम शुरू कर दिया था। मूर्ति के चयन से ज्यादा मेरे लिए यह महत्वपूर्ण (Ram Mandir Pran Pratishtha) है कि ये लोगों को पसंद आनी चाहिए। सच्ची खुशी मुझे तब होगी जब लोग इसकी सराहना करेंगे।"