Rise Of ISIS: हमास और इजराइल का युद्ध इस समय पूरी दुनिया में चर्चा के साथ एक गंभीर विषय बना हुआ। इस युद्ध को लेकर पूरा विश्व दो धड़ो में बंटा हुआ है, कोई इसे मानवता के खिलाफ बता रहा है तो वही कुछ का मानना है ये मानवता को बचाने के लिए है। हमास एक आतंकी संगठन है जिससे निपटने के लिए इजराइल दिन- प्रतिदिन कड़ी कार्रवाई को अंजाम दे रहा है। सिर्फ हमास अकेला ऐसा संगठन नहीं है जो विश्व के लिए चिंता का विषय बना हो ,इससे पहले ISIS दुनिया में आतंक का बहुत बड़ा नाम स्थापित हो चुका है। भारत में बहुत से आतंकवादी समहू के लिए काम करने वाले आतंकी पकडे जाते जिनके तार अधिकतर ISIS से जुड़े होते है। अधिकतर आतंकी हमलो के नाम पीछे भी ISIS आतंकी संघटन का नाम आता है। आखिर क्या है ये और कैसे ये विश्व स्तर पर इतना बड़ा आतंकवादी संघटन बन गया।
इस समहू की शुरुआत इराक के बदलते हालत के साथ शुरू हुई। साल 2006 में सद्दाम हुसैन की फांसी दुनिया में उस समय की सबसे बड़ी घटना थी। जिसका असर सबसे अधिक उसी देश पर पड़ा। सद्दाम की फांसी के बाद वहा के हालात काफी गंभीर हो गए । लेकिन इराक की सत्ता का सिंघासन खाली था। शासन पर अपना अधिकार जमाने के लिए वहा के गुटों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। सत्ता की ये लड़ाई अब हिंसक रूप ले चुकी थी सभी समूह आपस में खूनी जंग लड़ रहे थे। सत्ता सिद्धांतो से नहीं बल्कि बंदूक की नोंक पर हासिल करने की होड़ हो चली। इन सब के बीच एक नाम इतिहास में बड़े आतंकी सरगना होने के लिए संघर्ष कर रहा था अबू बकर अल बगदादी। ये उस समय अल – कायदा इराक का चीफ़ हुआ करता था। उस दौरान (2006) बगदादी अपनी जमींन तैयार कर था। उसके बाद अल-कायदा इराक का निर्माण किया ISI बना। अमेरिकी सेना 2011 में जब इराक से लौटी उस समय तक इराक की सराकर तबाह हो चुकी थी। इन सबके बीच इराक पर कब्जे के लिए बगदादी ने अल-कायदा इराक का नाम बदल कर नया नाम दिया ISIS यानी इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक।
इराक में जब कुछ खास हाथ नहीं लगा तो बगदादी सीरिया पंहुचा वहा पहुंच कर उसने सद्दाम हुसैन की सेना के कमांडर और सिपाहियों को अपने मोर्चे में शामिल कर लिया। इसके बाद उनके निशाने पुलिस , सेना के ठिकाने और चेकपॉइंट्स बने जहा उन्होंने अपनी आतंक की मौजूदगी दर्ज कराई। यहा उसे काफी समर्थन मिला बहुत लोग उसके संगठन में जुड़ चुके थे। लेकिन इन सब के बाद भी बगदादी को संतोष नहीं मिल रहा था जो उसे चाहिए । जिसके बाद बगदादी ने सीरिया की तरफ चलने का निर्णय किया। सीरिया उस वक्त गृह युद्ध का सामना कर रहा था। वहा दो बड़े सबसे बड़े गुट अल-कायदा और फ्री सीरियन आर्मी ने सीरियाई राष्ट्रपति के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। शुरुआत के चार साल सीरिया में कुछ खास परिणाम हाथ नहीं लगे। इसके बाद फिर संगठन नाम बदला अब इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया हो चुका था।
ISIS ने सीरिया के रक्का, पामयेरा, दियर इजौर, हसाक्का, एलेप्पो, हॉम्स और यारमुक इलाके के कई शहरों पर कब्जा जमाया हुआ है. ISIS ने इराक के भी कई शहरों पर कब्जा कर रखा है. मसलन रमादी, अनबार, तिकरित, मोसुल और फालुजा ISIS के आतंकवादियों के कब्जे में हैं. अगस्त 2020 में एक हमले के दौरान मोजाम्बिक शहर मोकिम्बो दा प्रिया पर कब्ज़ा करने के बाद , स्थानीय आईएस विद्रोहियों ने इसे अपने प्रांत की राजधानी घोषित कर दिया। इसके परिणामस्वरूप आतंकवादियों ने हिंद महासागर में कई द्वीपों पर कब्ज़ा करके अपना विस्तार किया, जिसमें वामिज़ी द्वीप सबसे प्रमुख था।
इस्लामिक स्टेट भारत और कश्मीर क्षेत्र में अपनी इस्लामिक स्टेट जम्मू और कश्मीर (आईएसजेके/आईएसआईएसजेके) शाखा के माध्यम से काम करता है। जिसने फरवरी 2016 में काम करना शुरू कर दिया था। इंडियन मुजाहिदीन का पूर्व सदस्य शफी अरमार भारत में आईएस के संचालन का प्रमुख बन गया।
कुछ समय पहले एक चर्चा जोरो से चली इस्लामिक स्टेट (ISIS) का खात्मा हो चुका है। सीरिया और इराक में हालात फिर से सामान्य की ओर बढ़ने लगे। बड़े नेताओ के मरने के बाद कट्टर सोच रखने वाले आतंकी मिटिलेंट भागे तो ,लेकिन क्या जगह बदलने से संगठन मिट गया ?अफ्रीका उनके लिए आसान लक्ष्य था क्योकि ये आर्थिक तौर पर कमजोर के साथ राजनीतिक तौर पर डगमगाया हुआ है। साथ ही ज्यादा आबादी इस्लाम को मानने वाली है। युवा वर्ग की आबादी भी अफ्रीका देशो में काफी ज्यादा है जिन्हे आसानी से बहकावे ला सकते है। उनका ब्रेनवॉश कर चरमपंथी बनाना आसान होता है।