दुनिया के सबसे बड़े ऑफिस प्लेस सूरत डायमंड बोर्स का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। इससे पहले पीएम मोदी ने सूरत एयरपोर्ट पर नए इंटीग्रेटेड टर्मिनल का उद्घाटन किया और रोड शो भी किया। बता दें, सूरत में बना एसडीबी भवन 67 लाख वर्ग फीट से अधिक क्षेत्र में फैला दुनिया का सबसे बड़ा कार्यालय परिसर है। यह अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन के मुख्यालय भवन से भी बड़ा है। इसमें 4500 से अधिक दफ्तर हैं। आइए दुनिया के सबसे बड़े कार्यालय परिसर सूरत डायमंड बोर्स से जुड़ी कुछ बड़ी बातें जानते हैं।
सूरत डायमंड बोर्स कार्यलय परिसर अमेरिका के पेंटागन हाउस से भी बड़ा है। यह वही पेंटागन हाउस है जहां अलकायदा के आतंकियों ने सितंबर 2001 में हमला किया था। जिसमें 5 हजार से अधिक लोग मारे गए थे। पेंटागन 65 लाख वर्ग फीट के क्षेत्र में फैला हुआ है जबकि डायमंड बोर्स 67 लाख वर्ग फीट में फैला है। सूरत डायमंड बोर्स एक विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा तैयार किया गया है।
दिल्ली बेस्ड कंपनी मॉर्फोजेनेसिस ने एसडीबी बिल्डिंग का कंस्ट्रक्शन फरवरी 2015 में शुरू हुआ था। अप्रैल 2022 में इसका काम पूरा हुआ। एसडीबी को सूरत की डायमंड इंडस्ट्री ने मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेडिंग दोनों के लिए वन-स्टॉप हब के रूप में स्थापित किया है। 35 एकड़ में फैली सूरत डायमंड बोर्स इमारत के निर्माण में 3400 करोड़ की लागत आई है। ये जगह डायमंड बोर्स रफ और पॉलिश्ड डायमंड ट्रेंडिंग के लिए ग्लोबल सेंटर बने। इस बिल्डिंग में दफ्तर शुरू होने के बाद डेढ़ लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर मिलेंगे।
एसडीबी बिल्डिंग, डायमंड रिसर्च एंड मर्केंटाइल (ड्रीम) सिटी और सूरत हवाई अड्डे के नए उन्नत टर्मिनल भवन का एक हिस्सा है। एसडीबी बिल्डिंग इंटरकनेक्टेड हैं इसमें 9 ग्रांउड टावर और 15 मंजिलें है। इसमें 4500 से ज्यादा दफ्तरों के अलावा काॉन्फ्रेंस हॉल, रेस्टॉरेंट, बैंक, कन्वेंशन सेंटर, एंटरटेनमेंट एरिया और क्लब जैसी कई शानदार सुविधाएं हैं। वहीं कई हीरा व्यापारियों, जिनमें पहले मुंबई स्थित व्यापारी भी शामिल थे, उन्होंने उद्घाटन से पहले ही अपने कार्यालयों पर अधिकार हासिल कर लिया है। जिन्हें नीलामी के बाद प्रबंधन द्वारा आवंटित किया गया था।
सूरत डायमंड बोर्स में 4500 हीरा व्यापार ऑफिस है। जिसमें कच्चे हीरे के व्यापार से लेकर पॉलिश हीरे की बिक्री करने वाली कंपनियों के ऑफिस यहां होंगे। पिछले कुछ हफ्तों में कई डायमंड ट्रेडिंग कंपनियों ने यहां अपने ऑफिस शुरू कर दिए हैं। बता दें, अभी सूरत में करीब 2 लाख करोड़ का डायमंड बिजनेस है। इस इमारत के शुरू होने के बाद यह बिजनेस बढ़कर करीब 4 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है। मालूम हो, सूरत दुनिया के 92% नेचुरल डायमंड की मैन्युफैक्चरिंग करता है।
सूरत में बने इस मेगास्ट्रक्चर में 9 ग्राउंड टावर और 15 मंजिल हैं। नौ रेक्टेंगुलर टावर एक सेंट्रल स्पाइन से जुड़े हुए हैं। इसमें 300 वर्ग फीट से 1 लाख वर्ग फीट तक के 4,500 से ज्यादा ऑफिस स्पेस हैं। इस इमारत में 175 देशों के 4000 से अधिक व्यापारी ठहर सकेंगे। इस इमारत को इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (IGBC) से प्लैटिनम रैंकिंग मिली है।
बता दें, इस बिल्डिंग को दिल्ली बेस्ड आर्किटेक्ट सोनाली और मनित रस्तोगी और उनकी फर्म मॉर्फोजेनेसिस ने डिजाइन किया है। मनित रस्तोगी ने बिल्डिंग के स्ट्रक्चर और इस बनाने की चुनौती पर कहा- बिल्डिंग को बनाने की सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि एक ऐसी इमारत कैसे डिजाइन की जाए जिसमें लगभग 65,000 लोग आ-जा सकें। 65,000 लोग एक फुटबॉल स्टेडियम की तरह है। ये हाई सिक्योरिटी जोन भी है। इसके सभी ऑक्यूपेंट एक ही समय में इमारत के अंदर और बाहर आएंगे। इसीलिए वर्टेब्रा के शेप की बिल्डिंग बनाई गई है। रीढ़ की हड्डी छोटी हड्डियों की एक सीरीज से बनी होती है जिन्हें वर्टेब्रा कहा जाता है। इसी तरह यह बिल्डिंग भी एक दूसरे से जुड़ी हुई है।
सूरत डायमंड बोर्स को बनाने के 4 सबसे मुख्य कारण है। जैसे भारत से डायमंड, जेम्स एंड ज्वेलरी के इंपोर्ट, एक्सपोर्ट और ट्रेडिंग को बढ़ावा देना है। भारत को दुनिया में एक मॉडर्न डायमंड, जेम्स एंड ज्वेलरी मार्केट के रूप में विकसित करना है। वहीं, डायमंड की मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेड्रिंग करने वालों को अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर देना। यहां कटिंग, पॉलिशिंग और प्रोसेसिंग समेत डायमंड, जेम्स एंड ज्वेलरी से जुड़े बिजनेस को बढ़ाना भी एक कारण है। एक लक्ष्य इस बिल्डिंग को 65,000 से ज्यादा डायरमंड एक्सपर्ट्स का कन्वीनियंट हब बनाने का भी है।
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