कब है महाशिवरात्रि और कैसे करें पूजा की तैयारी When Is Mahashivratri And How To Prepare For The Puja?

कब है महाशिवरात्रि और कैसे करें पूजा की तैयारी

एक संवत् वर्ष में कुल 12 शिवरात्रियां आती हैं। जिसमें से फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। यह शिवरात्रि सर्वाधिक पावन और एक त्यौहार के तौर पर आयोजित की जाती है। वैसे तो शिव प्रेमी प्रत्येक शिवरात्रि को भगवान की पूजा और व्रत आदि का धार्मिक कृत्य संपन्न करते हैं तथापि महाशिवरात्रि समस्त भारत, नेपाल और बांग्लादेश सहित सभी उन देशों में हर्षोल्लास से मनाई जाती है जहां-जहां शिव भक्त हैं। पुराणों के अनुसार महाशिवरात्रि को ही अग्निलिंग से इस सृष्टि का आरम्भ हुआ था। पुराणों के अनुसार इस दिन श्रीशिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन शिव भक्त पूरे उत्साह से व्रत रखते हैं और शिव-गौरी की पूजा करते हैं।

समुद्र मन्थन की कथा

Samundar Manthan

समुन्द्र मंथन देवों और दानवों द्वारा एक सम्मिलित उद्योग था जिसका प्रमुख उद्देश्य अमृत प्राप्ति था। जब समुन्द्र मंथन हुआ तो सर्वप्रथम हलाहल नामक विष निकला। हलाहल विष इतना तीव्र था कि उसकी गंध से ही देवताओं और दानवों के शरीर जलने लगे। अतः सभी ने मिलकर श्रीशिव से याचना की। तब शिव ने हलाहल को अपनी हथेली पर रखा और उसका पान कर लिया। परन्तु किसी अनहोनी की आशंका के कारण माता पार्वती ने विष को श्रीशिव के कण्ठ में रोक लिया। जिसके कारण कण्ठ नीला पड़ गया। हलाहल विष के बाद समुन्द्र मंथन में अमृत से पूर्व 12 दूसरे रत्न भी निकले। कामधेनु गाय, उच्चैश्रवा, ऐरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, रंभा, देवी लक्ष्मी, वारूणी, चंद्रमा, पारिजात पुष्प-वृक्ष, पांचजन्य शंख, धन्वन्तरि और अंत में अमृत की प्राप्ति हुई। चूंकि हलाहल विष के प्रभाव को नष्ट करने के लिए श्रीशिव रात्रि भर जागते रहे और देवताओं ने उनकी भक्ति में लीन होकर रात्रि पर्यन्त आनन्दित होकर संगीत और नृत्य के द्वारा श्रीशिव को प्रसन्न करने की कोशिश की। प्रातः विष का प्रभाव नष्ट हो गया और श्रीशिव ने सभी देवताओं को अपने आशीर्वाद से शोभित किया। माना जाता है कि यह फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी। इसलिए इस दिन को श्रीशिव को प्रसन्न करने का सौभाग्य सभी भक्तजन करते हैं और इसदिन निराहार रह कर अपने आराध्य को प्रसन्न करने की चेष्टा करते हैं। यद्यपि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के उत्सव के संबंध में पुराणों और शास्त्रों में और भी बहुत से कथाएं और धारणाएं प्रचलन में हैं। लेकिन विषपान की घटना जनमानस में अधिक लोकप्रिय है।

कब है शिवरात्रि

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अंग्रेजी दिनांक 8 मार्च को फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। इसी तिथि को प्रति वर्ष महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। इस चतुर्थदशी तिथि का आरम्भ 8 मार्च को रात्रि करीब 10 बजे होगा। और चतुर्दशी तिथि अगले दिन 9 मार्च को सायं 6 बजकर 15 मिनिट तक रहेगी। इसलिए इस वर्ष महाशिवरात्रि का व्रत 8 मार्च को रखना चाहिए। श्रीशिव की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है। हालांकि 8 मार्च 2024 को सूर्योदय के समय त्रयोदशी तिथि है लेकिन प्रदोष काल में चतुर्दशी तिथि से व्रत का 8 मार्च को ही रखा जाना चाहिए।

श्रीशिव की प्रसन्नता के लिए क्या करें

Lord Shiva

महाशिवरात्रि के लिए प्रातः सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर शिव मंदिर में या घर में ही श्रीशिव के समक्ष व्रत का संकल्प लें। व्रत के कई तरीके हैं। किसी व्रत में एक समय भोजन किया जाता है। किसी में केवल फलाहार किया जाता है और किसी में श्रीशिव की पूजा से पूर्व निर्जल रह कर भी संकल्प लिया जाता है। आप अपने स्वास्थ्य के अनुसार संकल्प लें। श्रीशिव बहुत ही कृपालु हैं, इसलिए मानसिक श्रद्धा से व्रत रखना आवश्यक है। भगवान श्रीशिव को भांग, धतूरा, बेलपत्र, जायफल आदि प्रिय है। इसलिए इनको पूजा में अवश्य शामिल करें। यदि उपरोक्त चीजें उपलब्ध नहीं हो तो मदार के पुष्प से भी शिव की पूजा की जा सकती है।

शिवरात्रि के व्रत और पूजा के लाभ

  • श्रीशिव को एक आदर्श पति के तौर पर माना जाता है। इसलिए कुंवारी कन्याओं को अवश्य ही महाशिवरात्रि का व्रत करना चाहिए। वैसे भी सात सोमवार तक लगातार श्रीशिव की पूजा और उपासना करने से सगाई-विवाह के संबंध में आ रही अड़चनों का निवारण होता है।
  •  जिन विवाहित जोड़ों को वैवाहिक जीवन में कलह, विचार वैमनस्य जैसी परेशानी हो तो भी इस व्रत से उसका निवारण हो जाता है। इसके लिए सोमवार को 2 मुखी रूद्राक्ष गले में धारण करना चाहिए।
  •  धन संबंधी समस्याओं के लिए भी श्रीशिव की उपासना और पूजा से लाभ होता है।
  • स्वास्थ्य संबंधी परेशानी से मुक्ति के लिए श्रीशिव के महामृत्युंजय मंत्र के सवा लाख जाप करने से समस्या से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।

Astrologer Satyanarayan Jangid
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