अपनी बेटी की शादी की उम्र हो जाने पर हर माता-पिता उसके लिए एक अच्छा ससुराल तलाशने लग जाते हैं। कॉमन सी बात है कि, हर माँ बाप बचपन से ही अपनी लाड़ली गुड़िया को बहुत अच्छे से पालते-पोस्ते हैं और बनाई गई परंपरा के अनुसार एक दिन उन्हें अपनी बेटी को दूसरे के घर शादी करके भेजना ही पड़ता है, जो एक बहुत बड़ा और ऊँचा त्याग माना गया है। अपनी बेटी को बड़ा होते देख माता पिता रिश्ता खोजना शुरू कर देते हैं। पहले के समय में माता-पिता अपनी बेटी को भरे-पुरे घर में भेजना पसंद करते थे ताकि उसे किसी की भी कमी न लगे और सभी के साथ उसका जीवन अच्छा व्यतीत हो सके। लेकिन अब बिल्कुल ऐसा नहीं हैं, समय के साथ-साथ लोगों के विचार और आदतें भी बदल गईं हैं। अब माता-पिता अपनी लाड़ली के लिए ऐसा घर ढूढंते हैं जहां सिर्फ उससे शादी करने वाला उसका पति हो न की उसकी परिवार यानिकि माता-पिता, भाई-बहन या कोई अन्य। माता-पिता अपनी बेटी की शादी बिना ससुराल वाले घर में क्यों करना चाहते हैं इसके पीछे कई कारण छिपे हैं आइए जानते हैं।
आजकल के बच्चे चाहते हैं की उनके काम में कोई दखल न दें, लेकिन घर में सास-ससुर या कोई भी बड़े बुजुर्ग अक्सर रोकटोक करते हैं वे अपनी सलाह बच्चों को देने लगते हैं जो कई लोगों को पसंद नहीं होता है, अपनी बेटी के नेचर और आचरण को जानकार माता-पिता ऐसा रिश्ता देखने की कोशिश करते हैं जहां सास-ससुर न हों या उनका बेटा उनसे दूर रहता हो। अपनी बेटी की आजादी को देखते हुए माँ-बाप ऐसा कदम उठा रहे हैं। बहुत से लोगों यह सोचते हैं कि सास-ससुर से दूर रहने पर उनकी बेटी खुशहाल जीवन जिएगी।
आजकल बहुत से कपल्स वर्किंग होते हैं जिस वजह से दोनों के पास ही खाना बनाने के लिए टाइम नहीं होता है। अपने समय को बचाने के लिए वे एक कुक या कामवाली को घर में लगाते हैं लेकिन बहुत से माता-पिता को कामवाली के हाथ का खाना पसंद नहीं होता है वे घर में अपनी बहु के हाथ का खाना खाना ही पसंद करते हैं, ऐसे सास -ससुर से बचने के लिए भी माता-पिता अपनी बेटी के लिए बिना ससुराल वाले घर की खोज में रहते हैं। यदि घर की बेटि वर्किंग न हो और उसे खाना बनाना न आता हो इस चिंता से मुक्त होने के लिए भी माता-पिता उसके लिए बिना सास-ससुर वाला ससुराल देखते हैं। यहां एक कारण यह भी हो सकता है कि कुछ घर में लड़की को खाना बनाना आता भी हो लेकिन वह पूरी फैमिली का खाना बनाने में खुश न हो। सास-ससुर का खाना बनाने को लेकर अक्सर घरों में लड़ाइयां भी होने लगती हैं इसलिए माता-पिता इस झंझट से अपनी बेटी को बचाने की कोशिश करते हैं।
माता-पिता अपनी बेटी के पहनावे से अच्छी तरह वाकिफ होते हैं वे जानते हैं कि, उन्हें क्या पहनना पसंद है इसी को देखते हुए माता-पिता अपनी लाड़ली का रिश्ता बिना ससुराल वाले घर में करना चाहते हैं। शादी से पहले आजकल पहनावा एक बड़ा कारण बन गया है। भारत में साड़ी-सूट को पारंपरिक और शादी के बाद विशेषतौर पर पहनना जरुरी माना जाता है लेकिन आजकल की जनरेशन भारतीय परिधानों को पहनने से बचती है। आजकल बच्चे अपने कम्फर्ट जॉन को देखते हुए कपड़े पहनना पसंद करते हैं, लेकिन सास-ससुर या घर के बड़े बुजर्गों को अपनी बहु सूट-साड़ी में ही चाहिए होती है। यदि उनकी बहु उनके अनुसार कपड़े न पहनें तो इससे घर में लड़ाई-झड़गे तक होने लगते हैं और बात संस्कारों तक पहुंच जाती है। वैसे कुछ परिवारों में अब माता-पिता मॉर्डन सोच भी रखने लगे हैं जिन्हें अपनी बहु के कपड़ो से फर्क नहीं पड़ता है लेकिन अभी भी ऐसी सोच भारत में कम ही लोगों की है। जिस कारण माता-पिता ऐसा कदम उठा रहे हैं।
बिना ससुराल वाले घर के फायदे तो आप जानते हे हैं लेकिन कहते हैं न अगर पक्ष है तो विपक्ष भी है इसी तरह से बिना ससुराल वाले घर के कुछ नुकसान भी हैं। इसके पीछे की आपको भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है जैसे माता-पिता के घर में रहने से आपको अपने बच्चों की ज्यादा परवाह करने की जरुरत नहीं हैं। दादा-दादी बच्चों का आपसे भी ज्यादा ध्यान रख सकते हैं और बच्चों को दादा-दादी से ज्यादा लगाव भी होता है। उन्हें बहुत अच्छे संस्कार आपके सास-ससुर दे सकते हैं जिससे आप यदि वर्किंग हैं तो आपको बहुत मदद मिल जाएगी। इसके अलावा बड़े लोगों की बातें और उन=के दिए गए सुझाव कई हमेशा कामयाब और सही होते हैं जो आपको हर तरह की परेशानी और समस्या से निकाल सकते हैं। साथ ही यदि आप परिवार में रहेंगे तो किसी भी तीज-त्यौहार पर आपको अकेला महसूस नहीं होगा। परिवार के बीच त्यौहार को मनाने का मज़ा दोगुना हो जायेगा। यदि आप सिर्फ़ अपने पति के साथ त्यौहार मनाएंगे तो यह इतना खास नहीं होगा। बच्चों को भी अपने दादा-दादी से कई तरह की पुरानी चीजें सीखने का मौका मिलेगा।