लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही कुछ विपक्षी दलों ने अग्निपथ योजना के खिलाफ अभियान तेज किया है। केंद्र सरकार को घेरने के मकसद से इस योजना के कुछ बिंदुओं पर भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है। सरकार और सेना ने इस योजना पर समय-समय पर पूरी तस्वीर साफ कर युवाओं के हर संशय को दूर करने की कोशिश की है। इस क्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पहले के बयान को देखा जा सकता है। उन्होंने कहा था कि अग्निपथ सशस्त्र बलों के लिए एक परिवर्तनकारी योजना है, जो भारतीय सेना को युवा शक्ति, उच्च तकनीक से लैस और अति-आधुनिक दृष्टिकोण के साथ दुनिया में सर्वश्रेष्ठ सैन्य बल बनाने में बल गुणांक के रूप में कार्य करने जा रही है। उनका यह बयान अग्निपथ योजना को लेकर भ्रम में रहे युवाओं को एक बडा संदेश था।
अग्निपथ योजना को लेकर युवाओं की नाराजगी का भ्रम फैला रहे विपक्षी दलों को तब झटका लगा था जब इस योजना के तहत भर्ती के लिए युवकों की भारी भीड़ लग गई थी। यही नहीं इस योजना ने सेना में महिलाओं के लिए बड़े असवर के मार्ग खोल दिए। यानी यह तो साफ है कि इस योजना ने सेना के साथ-साथ महिलाओं के सशक्तिकरण का मार्ग भी प्रशस्त किया है। सेना को अत्यधिक युवा शक्ति से लैस करने के लिए कारगर साबित हो रही इस योजना का दीर्घकालिक मकसद सैन्य आधुनिकीकरण की दिशा में और अधिक रास्ते खोलने का है। आज देखें तो चुने गए अग्निवीर को सेना की तीनों सेवाओं में जो कुशल प्रशिक्षण दिया गया है उससे युवाओ में एक नया जोश देखने को मिला है। इसका बखान आए दिन अग्निवीरों की जुबानी सुनने को मिलता रहता है। भर्ती की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी है। 250 से भी अधिक केंद्रों पर ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की जाती है। शारीरिक, मेडिकल और मनोवैज्ञानिक परीक्षण से भी उम्मीदवारों को गुजारा जाता है। इससे तो यही पता चलता है कि सेना में आने वाले किसी भी युवक और युवती की क्षमताओं से समझौता नहीं किया जाता है। योजना की शुरुआत के बाद कुल 46000 अग्निवरों को पहले बैच में भर्ती किया गया था।
अग्निपथ योजना के तहत सरकार की तरफ से अब सेना में भर्ती की प्रक्रिया को और आगे बढ़ाया गया है। इसके तहत नियुक्ति और प्रशिक्षण प्राप्त पहला बैच जब सेना की कमान में पहुंचे थे तो तमाम साक्षात्कारों में उन्होंने संतोष जताया था। सेना के सशक्तिकरण के लिए सरकार की तरफ से चलाई गई इस योजना का ही नतीजा है कि सेना में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी है। वहीं दूसरी तरफ सेना में महिला अधिकारियों की पदोन्नति को लेकर भी सरकार की तरफ से लगातार काम किया जा रहा है। इसको लेकर एक योजना भी तैयार की जा रही है। आपको बता दें कि भारतीय सेना के तीनों अंगों की बात करें तो इसमें महिला अधिकारियों की संख्या भारतीय नौसेना में 704, भारतीय वायु सेना में 1607 और आर्मी में 6807 है। सरकार की तरफ से संसद में भी यह कहा गया है कि वह भारतीय सेना में महिलाओं की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसके साथ ही आर्टिलरी इकाइयों के साथ-साथ रिमाउंट और पशु चिकित्सा कोर में भी महिला अधिकारियों को शामिल करने की मंजूरी सरकार की तरफ से दी गई है। इसके साथ ही हर वर्ष महिला सेना कैंडिडेट्स के लिए 20 अतिरिक्त पद राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के लिए मंजूरी प्रदान की गई है। आर्मी मेडिकल कोर, डेंटल कोर के साथ ही मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में महिलाओं की संख्या बड़ी है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारतीय सेना में 1733 महिला अधिकारी हैं। जबकि आर्मी मेडिकल कॉर्प्स में 1212, डेंटल कॉर्प्स में 168 और नर्सिंग सेवा में 3841 महिलाएं तैनात हैं। वहीं सेना ने इंजीनियर्स, सिग्नल, आर्मी एयर डिफेंस, मिलिट्री एयर डिफेंस, सेना सेवा कोर, सेना आयुध कोर और इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल सहित हथियारों और सेवाओं में महिला अधिकारियों को इन पदों पर पदोन्नति के लिए भी काम किया है। सेना की तरफ से सियाचिन ग्लेशियर में ऑपरेशनल डिप्लॉयमेंट में महिला अधिकारियों की तैनाती भी की गई है। मतलब सेना के लगभग सभी विभागों में महिलाओं को समान अवसर दिए जा रहे हैं। अब सेना में महिला अधिकारी लड़ाकू विमान उड़ाने, पानी के जहाज पर अहम जिम्मेदारियां निभाने के साथ ही स्पेशल ऑपरेशन के जरिए दुश्मन को जवाब देने में भी अहम भूमिका निभा रही हैं । भारतीय सेना में नेवी में सबसे ज्यादा महिलाएं काम कर रही हैं। इसमें 600 महिला ऑफिसर्स शामिल हैं। भारतीय वायुसेना में भी महिलाओं की संख्या 1600 से ज्यादा है। ऐसे में तीनों सेनाओं में महिलाओं के लिए कई शाखाओं के दरवाजे खुले तो उनकी हिस्सेदारी भी बढ़ी। अग्निवीर योजना के तहत सेना में भर्ती के दौरान महिला अग्निवीरों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। वायुसेना में लड़ाकू विमानों पर महिला पायलटों की नियुक्ति हो रही है। नौसेना के युद्धक पोतों पर भी महिला अधिकारियों की नियुक्ति हुई है। इसके साथ ही टोही विमानों के पायलट के रूप में उन्हें काम करने का मौका मिलना शुरू हो गया है। सरकार के सबसे ताजा आंकड़ों की मानें तो तीनों सेनाओं में 11414 महिलाएं तैनात हैं। इसमें अगर चिकित्सा, दंत चिकित्सा और नर्सिंग सेवाओं को छोड़ दिया जाए तो तीनों सेनाओं में कार्यरत महिला कर्मियों की संख्या 4,948 है।
सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना 14 जून 2022 को भारत सरकार द्वारा लॉन्च की गई। इसके तहत भर्ती हुए अग्निवीरों को पहले साल में 4.76 लाख और चौथे साल में 6.92 लाख रुपए दिए जाते हैं। अग्निवीर सैनिकों को वह सभी भत्ते प्रदान किए जाते हैं जो सेना को प्रदान किए जाते हैं। इसके साथ ही हर अग्निवीर को अपने हर महीने की सैलरी का 30 फीसदी योगदान देना होता है। सरकार द्वारा भी समान राशि का योगदान दिया जाता है। वहीं 4 साल पूरे होने के बाद अग्निवीर को 11.71 लाख रुपए की राशि दी जाती है जो पूरी तरह से आयकर मुक्त होती है। वहीं अग्निवीरों को सेवा के दौरान शहीद होने पर 44 लाख का गैर अंशदायी जीवन बीमा कवर प्रदान किया जाता है।