चंडीगढ : 20 साल की युवती की जिंदगी एक पेड की टहनी गिरने से बर्बाद हो गई और आप (चंडीगढ प्रशासन) मुआवजा देने की जिम्मदारी से भाग नही सकते। काजल को 15 से 60 लाख रुपये के बीच मुआवजा दिया जाए। हाईकोर्ट ने आगे कहा कि ऐसी फालतू याचिका के लिए दो लाख रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। हालांकि, सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल पंकज जैन की अपील पर हाईकोर्ट ने जुर्माना लगाने के आदेश नहीं लिखवाए। सूखे पेड़ की टहनी गिरने से 20 साल की युवती काजल 70 प्रतिशत दिव्यांग हुई काजल को 15 से 60 लाख रुपये के बीच मुआवजा देने के हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती देना यूटी प्रशासन को भारी पड़ गया।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा कि 20 साल की युवती की जिंदगी बर्बाद हो गई और आप मुआवजा देने की जिम्मदारी से भाग रहे हो। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी फालतू याचिका के लिए दो लाख रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। हालांकि, सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल पंकज जैन की अपील पर हाईकोर्ट ने जुर्माना लगाने के आदेश नहीं लिखवाए। इससे पहले हाईकोर्ट ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन और नगर निगम नागरिकों के प्रति अपने कर्तव्य को लेकर गंभीर नही हैं। अधिकारियों की अपनी ड्यूटी के प्रति लापरवाही का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है।
20 वर्षीय काजल भी ऐसे ही नागरिकों में से एक है, जिसे अधिकारियों की लापरवाही से अपनी एक टांग गंवानी पड़ी। चंडीगढ़ प्रशासन की लापरवाही से सेक्टर 17 में एक सूखा पेड़ समय पर नहीं काटा गया। 15 सितंबर 2013 को काजल पर पेड़ की एक टहनी गिरने से वह गंभीर घायल हो गई थी। बाद में उसे अपना एक पैर गंवाना पड़ा था। इस मामले में सिंगल बेंच ने याचिका का निपटारा करते हुए प्रशासन को आदेश दिए थे कि युवती की भविष्य की आय, उसकी पीड़ा, जीवन का जो सुख वह सही रहते ले सकती थी, उसे खोने का नुकसान और जीवन व आय के हर पहलू के लिए मुआवजे का आंकलन किया जाए।
(आहूजा)