जींद : रोहतक में शनिवार को बीएड सैकेंड ईयर का पेपर नॉलेज एंड कैरिकुलम लीक होने के कारण शिक्षा जगत में जो तूफान उठा वह सीआरएस विश्वविद्यालय की खास तकनीक के कारण जल्द ही थम गया। पेपर सूबह 9:37 मिनट पर लीक हुआ था। पेपर किस कॉलेज से लीक हुआ, यह उस तकनीक के कारण घटनाक्रम के कुछेक मिनटों बाद पकड़ में आ गया। सीआरएस विश्वविद्यालय ने मामले की पकड़ करने के साथ-साथ कड़ा संज्ञान लिया है। विश्वविद्यालय के वीसी प्रो. आरबी सौलंकी ने उच्च स्तरीय जॉच कमेटी का गठन करते हुए एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देने के निर्देश दिये है।
इस रिपोर्ट के आधार पर ही कॉलेज और दोषी व्यक्ति पर कार्रवाई करने के साथ-साथ लीक हुए पेपर की परीक्षा दोबारा करवाने या नहीं करवाने का निर्णय लिया जाएगा। पेपर लीक के इस घटनाक्रम को लेकर पत्रकारों से बातचीत करते हुए वीसी प्रो.आरबी सौलंकी ने कहा कि विश्वविद्यालय इस मामले में पूरी तरह से गंभीर है। उन्होंने बताया कि सीआरएस विश्वविद्यालय को जैसे ही जानकारी मिली कि प्रदेश में हो रहे बीएड सैकेंड ईयर का पेपर नॉलेज एंड कैरिकुलम रोहतक के किसी सेंटर से बाहर गया है, तो उसी समय मामले की पड़ताल शुरू कर दी। सीआरएसयू के परीक्षा नियंत्रक डॉ. राजेश बंसल ने बताया कि ज्यों ही मामलासंज्ञान में आया तो इसकी जांच मेेंं सैंटर कोड-1404 से पेपर के बाहर जाने की पुष्टि हुई।
यह कोड विश्वविद्यालय की ओर से सीआर कॉलेज ऑफ एजूकेशन रोहतक को अलॉट किया गया है। डॉ. बसंल ने बताया कि विश्वविद्यालय ने सिक्योर रिमोट पेपर डिस्टिव्यूशन तकनीक को अपनाया है। इसके द्वारा जिस भी सैन्टर से पेपर बाहर जायेगा, इसका पता तुरंत लगाया जा सकता है। प्रश्न पत्र वितरण में यह तकनीक हरियाणा में केवल सीआरएस यूनिवर्सिटी जींद ने अपनाई है। जिसके कारण पेपर बाहर जाने वाले परीक्षा केन्द्र का पता लग जाता है।
उन्होंने बताया कि सीआर कॉलेज ऑफ एजूकेशन रोहतक की प्रिसिंपल डॉ सुरेखा खोकर ने विश्वविद्यालय को ईमेल द्वारा सूचित किया है कि उन्होंने इसकी जांच के लिये कमेटी बैठा दी है और दोषी व्यक्ति पर कड़ी कार्रवाही की जायेगी। वीसी प्रो. आरबी सौलंकी ने कहा कि सीआरएस विश्वविद्यालय ने परीक्षा पेपर के बाहर जाने की घटना को गंभीरता से लेते हुए सीआर कॉलेज ऑफ एजूकेशन रोहतक द्वारा पुलिस में एफआईआर दर्ज करने और सीआर कॉलेज में सोमवार को स्थाई आब्र्जवर भेजने का निर्णय लिया है।
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– संजय शर्मा