नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सतलुज यमुना संपर्क नहर (एसवाइएल नहर) के निर्माण के मामले में केंद्र सरकार को हरियाणा व पंजाब के बीच सुलह कराने के लिए चार माह का समय दिया। मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई के दौरान यह सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिया। एसवाइएल नहर पर पंजाब एवं हरियाणा के बीच लंबे समय से विवाद है। पंजाब अपने यहां पानी नहीं होने की बात कह रहा है और इस नहर का विरोध कर रहा है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई।
इस दौरार अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, एमआर शाह और बीआर गवई की खंडपीठ से आग्रह किया कि केंद्र सरकार दोनों राज्यों की सरकारों के बीच सुलह का प्रयास कर रही है। इसलिए केंद्र सरकार को इसके लिए तीन माह का समय दिया जाए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार माह का समय दे दिया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस समय अवधि में दाेनों राज्यों के बीच सुलह करा कर इस विवाद को समाप्त कराने को कहा।
बता दें, सोमवार को नई दिल्ली में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से इस मामले में मुलाकात की थी। इससे पहले दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों की केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के अधिकारियों के साथ दो दौर की बातचीत हुई थी, लेकिन वह बेनतीजा रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को अपने निर्णय में केंद्र सहित पंजाब व हरियाणा की सरकारों से मिलकर इस मामले को सुलझाने का आदेश दिया था। माना जा रहा है कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सुलहनामे के लिए समय मांगा है।
ट्रिब्यूनल बनाने की मांग कर रहा पंजाब
पंजाब पानी के फिर से बंटवारे को लेकर नया ट्रिब्यूनल बनाने की भी मांग कर रहा है। राज्य का कहना है कि SYL नहर में वह पानी जाना है, जिसका बंटवारा 1921-81 की सीरीज को आधार मानकर किया गया था। अब चालीस से ज्यादा सालों में नदियों के पानी में कमी आ गई है।
2011 में BBMB ने नई सीरीज भी तैयार कर ली है जिसमें पानी की उपलब्धता कितनी कम हुई है। इसका पूरा ब्यौरा है। ऐसे में उस अनुपात में पानी की कमी होने से हरियाणा को पानी देने के लिए पंजाब के पास नहीं है।