देशभर में तेजी से फैल रहे कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए तिहाड़ जेल समेत देश की कई जेलों ने कैदियों को पैरोल पर रिहा करने का फैसला किया है। इसी के मद्देनजर हरियाणा की जेलों में बंद सैकड़ों कैदियों को पैरोल पर रिहा किया जाएगा। कैदियों के दबाव को कम करने का यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार लिया गया है। बलात्कार, एसिड अटैक, पोस्को एक्ट नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाले व कई आपराधिक मामलों में लिप्त कैदियों को इस दौरान जेल से रिहा नहीं किया जाएगा।
हरियाणा के जेल मंत्री रणजीत सिंह ने कहा कि जो कैदी अथवा बंदी पहले से ही पैरोल या फरलो पर जेल से बाहर हैं, उनकी चार सप्ताह की विशेष पैरोल बढ़ाई जाएगी। इसी तरह जो कैदी एक पैरोल या एक फरलो शांतिपूर्वक व्यतीत करके समय पर जेल में हाजिर हो गए, उन्हें भी छह सप्ताह की विशेष पैरोल दी जाएगी।
जेल मंत्री रणजीत सिंह ने इस बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि जिन कैदियों की आयु 65 वर्ष से अधिक है और एक से अधिक केसों में संलिप्त नहीं है तथा जो अधिक मात्रा में मादक पदार्थ के केस या धारा 379 बी या पोस्को एक्ट या बलात्कार या एसिड अटैक जैसे मामले में सजायाफ्ता नहीं है उन्हें भी अच्छे आचरण के आधार पर छह सप्ताह की विशेष पैरोल दी जाएगी। गौरतलब है कि इसमें विदेशी कैदियों को शामिल नहीं किया गया है।
रणजीत सिंह ने कहा कि ऐसे कैदी, जिनकी सजा सात वर्ष से अधिक नहीं है तथा कोई भी अन्य केस न्यायालय में लंबित नहीं है, कोई जुर्माना भी बकाया नहीं है, उन्हें भी जेल में अच्छे आचरण के आधार पर छह से आठ सप्ताह तक की विशेष पैरोल दी जाएगी। साथ ही उन कैदियों को भी विशेष पैरोल दी जाएगी जिनकी अधिकतम सजा सात वर्ष तक है तथा उन पर यदि कोई केस लंबित है जिसमें वह जमानत पर है और उसने पहले से कोई पैरोल शांतिपूर्वक व्यतीत कर ली है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए इस महत्वपूर्ण निर्देश के उपरांत दिल्ली की तिहाड़ जेल में भी कैदियों की संख्या कम करने को लेकर कार्रवाई की गई है। यह पूरी कवायद इसलिए की जा रही है ताकि जेलों में कैदियों की संख्या कम की जा सके जिससे वहां कोरोना वायरस फैलने का खतरा न रहे।