हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने राज्य की बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार से सभी किसानों से उनकी पूरी फसल खरीदने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार ने किसानों को परेशान करने की सरकारी साजिश रचनी शुरू कर दी है तथा फसल का डेटा मिसमैच के बहाने राज्य सरकार मेहनत से तैयार फसल को खरीदने से बचना चाहती है।
कुमारी शैलजा ने कहा कि कांग्रेस ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि चाहे किसी किसान ने रजिस्ट्रेशन कराया हो या न कराया हो, उन सभी का एक-एक दाना खरीदने की जिम्मेदारी ली जाए। एक अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू होनी है और मंडियों में फसल आनी भी शुरू हो जाएगी। इसके लिए किसानों ने समय पर ‘मेरा फसल, मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन भी करवा दिया था, लेकिन राज्य सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। अब जब फसल खरीद का समय आ चुका है तो इस पोर्टल पर 3.79 लाख किसानों के डेटा के मिसमैच का बहाना बनाया जा रहा है।
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उन्होंने कहा कि इतने महीने तक सरकार ने इस डेटा की जांच क्यों नहीं कराई? यदि इस डेटा की पहले ही जांच हो जाती तो ऐन वक्त पर किसानों के लिए इस तरह की दिक्कत खड़ी नहीं होती और वे आसानी से अपनी फसल को मंडी में लाकर बेच सकते थे लेकिन, अब सरकार समय पर फसल की खरीद शुरू कर पाएगी, इसमें संदेह बना हुआ है।
शैलजा ने कहा कि तीन कृषि कानूनों का विरोध करने की वजह से किसान शुरू से ही सरकार के निशाने पर हैं, इसलिए उन्हें न तो गेहूं की फसल की बुआई के समय ही खाद मिल सका और न ही बाद में जरूरत पड़ने पर खाद का इंतजाम सरकार करवा पाई। डीएपी) और यूरिया के लिए किसानों को ठंड में खुले आसमान के नीचे रात गुजारनी पड़ी और पुलिस की लाठी खा-खाकर खाद लेनी पड़ी। इस बार गेहूं की फसल की बुआई के दौरान मौसम भी खेती के अनुकूल नहीं रहा। बार-बार हुई बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को बहुत अधिक नुकसान हुआ और राज्य सरकार ने आज तक किसी भी तरह का मुआवजा नहीं दिया।
उनके अनुसार मार्च में तेजी से तापमान बढ़ने के कारण इस बार गेहूं का उत्पादन प्रभावित होने का अंदेशा पहले ही कृषि वैज्ञानिक जता चुके हैं। ऐसे में किसान को उसकी मेहनत के मुकाबले कम फसल ही मिलने वाली है। इसके बावजूद अब राज्य सरकार डेटा मिसमैच का बहाना बनाने लगी है। इससे सरकार की मंशा साफ झलक रही है।