डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की छुट्टी खत्म हो गई है। कड़ी सुरक्षा के बीच सुनारिया जेल पहुंचे। काफिले में अन्य पुलिस पायलटों द्वारा संचालित आठ से अधिक लक्जरी वाहन शामिल थे। दूसरी ओर राम रहीम 21 दिनों में सिरसा डेरा नहीं पहुंच सके, जबकि उनके अनुयायी उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। आपको बता दें कि गुरमीत राम रहीम सिंह को तीन सप्ताह की फरलो पर थे।
20 साल कैद की सजा काट रहा डेरा प्रमुख
राम रहीम सिरसा के अपने आश्रम में दो महिला अनुयायियों से बलात्कार के मामले में 20 साल कैद की सजा काट रहा है। सिरसा में डेरा सच्चा सौदा का मुख्यालय है। पंचकुला की विशेष सीबीआई अदालत ने उसे 2017 में दोषी ठहराया था। रोहतक के एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि डेरा प्रमुख को गुरुग्राम से भारी सुरक्षा कवर के तहत दोपहर से पहले रोहतक जिले की सुनारिया जेल लाया गया।
खालिस्तान-समर्थक’’ तत्वों से जान के ‘गंभीर खतरे’ गुरमीत राम रहीम सिंह को
उसे सात फरवरी को तीन सप्ताह की फरलो दी गयी थी, ताकि वह गुरुग्राम में अपने परिवार से मिल सके।अधिकारियों के अनुसार, डेरा प्रमुख को 21 दिन के फरलो के दौरान ‘खालिस्तान-समर्थक’’ तत्वों से जान के ‘गंभीर खतरे’ के मद्देनजर जेड-प्लस सुरक्षा भी दी गयी थी। राम रहीम की फरलो पंजाब विधानसभा के लिए होने वाले चुनाव से पहले मंजूर की गयी थी, जहां इनके अनुयायियों की संख्या, खासकर बठिंडा, संगरुर, पटियाला और मुक्तसर में, काफी अधिक है।
20 साल कैद की सजा काट रहा डेरा प्रमुख
राम रहीम सिरसा के अपने आश्रम में दो महिला अनुयायियों से बलात्कार के मामले में 20 साल कैद की सजा काट रहा है। सिरसा में डेरा सच्चा सौदा का मुख्यालय है। पंचकुला की विशेष सीबीआई अदालत ने उसे 2017 में दोषी ठहराया था। रोहतक के एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि डेरा प्रमुख को गुरुग्राम से भारी सुरक्षा कवर के तहत दोपहर से पहले रोहतक जिले की सुनारिया जेल लाया गया।
खालिस्तान-समर्थक’’ तत्वों से जान के ‘गंभीर खतरे’ गुरमीत राम रहीम सिंह को
उसे सात फरवरी को तीन सप्ताह की फरलो दी गयी थी, ताकि वह गुरुग्राम में अपने परिवार से मिल सके।अधिकारियों के अनुसार, डेरा प्रमुख को 21 दिन के फरलो के दौरान ‘खालिस्तान-समर्थक’’ तत्वों से जान के ‘गंभीर खतरे’ के मद्देनजर जेड-प्लस सुरक्षा भी दी गयी थी। राम रहीम की फरलो पंजाब विधानसभा के लिए होने वाले चुनाव से पहले मंजूर की गयी थी, जहां इनके अनुयायियों की संख्या, खासकर बठिंडा, संगरुर, पटियाला और मुक्तसर में, काफी अधिक है।