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तीन पीढ़ियों को हराने वाले धर्मवीर बने देश के पहले नेता

जब धर्मवीर सिंह ने पंचायत समिति के चुनाव में नरेंद्र लांबा को हराया था, तब उनकी जीत की गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई दी थी।

भिवानी : हमेशा ही सामंतवादी व तानाशाही ताकतों गरीबों, दबे कुचले वर्गों के हितों की राजनीति की लड़ाईयां लड़ने वाले भिवानी से सांसद चुने गये संर्घसशील नेता चौ. धर्मवीर सिंह देश के इतिहास में तीन पीढ़ियों को चुनावी शिकशत देने के बाद देश में रिकार्ड बनाने में सफल रहे हैं। हमेशा ही पूर्व मुख्यमंत्री स्व. चौ. बंसीलाल के धूरविरोधी रहे चौ.धर्मवीर सिंह ने चौ.बंसीलाल उनके पुत्र  स्व. चौ. सुरेन्द्र सिंह व वर्तमान में 2014 के चुनाव में भिवानी-महेन्द्रगढ़ लोकसभा सीट से  श्रुति चौधरी को करारी शिकस्त देकर यह कारनामा हासिल किसा है। 
धर्मवीर सिंह ने राजनीति की शुरूआत 1983 में बवानीखेड़ा ब्लाक के सामन्तवादी तानाशाह जागिरगार व चौ.बंसीलाल की बुआ के बेटे नरेंद्र लांबा के खिलाफ चेयरमैन के चुनाव से शुरू की थी। उनके राजनीतिक गुरू एवं मार्गदर्शक स्व.जगन्नाथ पूर्व मंत्री रहे। जब धर्मवीर सिंह ने पंचायत समिति के चुनाव में नरेंद्र लांबा को हराया था, तब उनकी जीत की गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई दी थी। जब चौधरी देवीलाल को इस जीत का पता चला तो उन्होंने 1984 के न्याय युद्ध के समय में ही धर्मवीर सिंह को चौ.बंसीलाल के खिलाफ राजनीति करवाने की भूमिका तैयार करवा दी थी। 
इसी कड़ी में चौधरी देवीलाल ने 1987 में तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था। धर्मवीर सिंह भी चौधरी बंसीलाल के गढ़ को जीतने के लिए तोशाम पहुंच गए और वहीं के होकर रहे। उन्होंने जनता के सहयोग व कार्यकर्ताओं की सच्ची लग्र से जब चौधरी बंसीलाल को जून 1987 में हराया था तो इसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दी। इसके बाद धर्मवीर सिंह ने 1991, 1996 के विधानसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी की टिकट पर बंसीलाल के खिलाफ लड़े थे। जब 1996 में हरियाणा विकास पार्टी की सरकार बनी तो उसके बाद 2000 के विधानसभा चुनाव में चौधरी बंसीलाल ने तोशाम विधानसभा छोड़कर भिवानी भागना पड़ा था। तब धर्मवीर सिंह ने स्व.बंसीलाल के पुत्र सुरेंद्र सिंह को 25 हजार मतों से हराया था। 
तत्पश्चात हरियाणा विकास पार्टी का कांग्रेस में 2005 में मर्ज करवा दिया गया। उस समय बंसीलाल परिवार ने धर्मवीर सिंह को तोशाम से बाढड़ा भिजवा दिया। वहां पर धर्मवीर सिंह ने उनके सहयोगी 2005 के विधानसभा चुनाव में भारी मतों से हराया। तत्पश्चात कांग्रेस नेत्री किरण चौधरी ने कांग्रेस हाईकमान से मिलकर धर्मवीर सिंह को 2009 के विधानसभा चुनाव में सोहना धकेल दिया गया। वहां भी धर्मवीर सिंह अपने कार्यकर्ताओं की फौज के साथ तानाशाही व सामन्तवादी ताकतों के खिलाफ आवाज को बुलंद करने में कामयाब रहे।
 
वहां की जनता ने भी उनकी आवाज को सहर्ष स्वीकार किया। वहां पर भी धर्मवीर सिंह ने सामन्तवादी ताकतों को जनता के सहयोग से भारी मतों से मात दी। मार्च 2014 में कांग्रेस पर भेदभाव व परिवारवाद का आरोप लगाते हुए कांग्रेस को अलविदा कहते हुए भाजपा का दामन थामा व फिर से धर्मवीर सिंह भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सामन्तवादी ताकतों के खिलाफ ताल ठोक कर मोदी की लहर व कार्यकत्र्ताओं के साहस व जनता के सहयोग से उनको मजा चखाने का मूड बनाया।

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