फरीदाबाद/ ग्रेटर, फरीदाबाद : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि देश में शिक्षा पद्धति गुणात्मक व संस्कारित होनी चाहिएए जिसमें नैतिकता, देशभक्ति, समाज निर्माण व जीवन मूल्यों जैसे गुण शामिल हों। बदलते दौर में शिक्षा पद्धति में भी बदलाव की काफी जरूरत महसूस होने लगी है। भारतीय शिक्षण मंडल भविष्य में शिक्षा व्यवस्था को स्वावलम्बी शिक्षा बनाने के उद्ड्ढदेश्य से लगातार प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री शुक्रवार को एक्लोन इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्रोलॉजी कबूलपुर के प्रांगण में भारतीय शिक्षण मंडल की ओर से आयोजित पूर्ण मंडल से स्वर्ण जयंती राष्ट्रीय अधिवेशन में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये शिक्षाविद्धों को संबोधित कर रहे थे। यह तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन 25 नवंबर तक आयोजित होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन बहुत ही पवित्र है, जिसे हम गुरूनानक पूर्णिमा के रूप में मना रहे हैं। इस वर्ष गुरूनानक जी का 550वां जयंती वर्ष भी पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है।
हरियाणा के उद्योग मंत्री विपुल गोयल ने कहा कि प्राचीन समय में हमारे देश में देश प्रेम व संस्कृति से ओतप्रोत शिक्षा पद्धति थी तथा नागरिकों का चरित्र ऊंचा था। शिक्षा के इन्हीं गुणों के बल पर ही भारत विश्व गुरू बना। देश व समाज को कमजोर करने के लिए ही अंग्रेजों ने शिक्षा पद्धति को बदलकर मानसिक गुलामी वाली शिक्षा पद्धति लागू की। अब समय आ गया है कि अंग्रेजों की मानसिक गुलामी वाली शिक्षा पद्धति को बदला जाए तथा गुणों से भरपूर व संस्कारित शिक्षा पद्धति लागू की जाए।
उन्होंने कहा कि प्राचीन समय में गुरूकुलों में व्यक्ति निर्माणए समाज निर्माण जैसी शिक्षा पद्धती थी। भारतीय शिक्षण मंडल भी गुरूकल शिक्षा पद्धती को आगे बढ़ाने की दिशा में बेहतर कार्य कर रहा है। भारतीय शिक्षण मंडल के राष्टरीय अध्यक्ष डा सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल की स्थापना वर्ष 1969 में शिक्षा क्षेत्र में राष्टड्ढ्रीय पुनरुत्थान के उद्देश्य से की थी। उन्होंने कहा कि मंडल द्वारा प्राथमिक शिक्षा से उच्च शिक्षा तक सभी स्तरों पर विभिन्न शैक्षिक, बौद्धिक व प्रायोगिक गतिविधियों का संचालन देश के सभी प्रांतों में किया जाता है।
मंडल द्वारा भारत की शिक्षा में अनुसंधान में उद्देश्य व पद्धति में समग्र रूपांतरण के लिए प्रयासरत है। कार्यक्रम के दौरान अनेक पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी भी मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि आज जनता ने मौका दिया है तो उनका प्रयास है कि शिक्षा व्यवस्था को गुणात्मक बनाने की दिशा में अधिक से अधिक काम किया जाये। भौतिक विकास के साथ-साथ सामाजिक विकास भी जरूरी है। समाज में समय-समय पर अनेक परिवर्तन होते हैंए जिसमें शिक्षा की बड़ी भूमिका रहती है।
राष्टड्ढ्रीय स्वयं सेवक संघ भी समाज निर्माण व समाज उत्थान के क्षेत्र में अद्वितीय भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थान अब ज्ञान देने तक सीमित हो गए हैंए परन्तु जरूरत है कि ज्ञान के साथ-साथ गुणों से भरपूर शिक्षा दी जाये। गुणात्मक शिक्षा के बल पर ही समाज से अच्छे नागरिक निकलेंगेए जिससे समाज में भी स्वच्छता आयेगी। ऐसी शिक्षा के बल पर गलत व्यक्ति की आंतरिक भावना भी जागेगी और वह भी गलत कार्य करने से हिचकिचायेगा। नैतिक व संस्कारित शिक्षा के बल पर ही भारत एक बार फिर विश्व गुरू बनने की राह की ओर अग्रसर है।