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धान की खेती छोड़नेे वाले किसानों के लिए सुविधाओं का पिटारा खोला

हरियाणा में लगातार गंभीर हो रहे जल संकट से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने किसानों को धान की खेती से मोड़ने का फैसला किया है।

चंडीगढ़ : हरियाणा में लगातार गंभीर हो रहे जल संकट से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने किसानों को धान की खेती से मोड़ने का फैसला किया है। जिसके तहत किसानों के लिए कई तरह की सुविधाओं का ऐलान किया गया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मंगलवार को चुनाव आयुक्त की मंजूरी के बाद पत्रकारों से बातचीत में किसानों को धान की खेती छोडऩे के संबंध में कई अहम ऐलान किए। आज यहां पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सरकार ने अब राज्य में मक्का व अरहर को धान का विकल्प बनाने का फैसला किया है।

मनोहर लाल ने बताया कि धान में पानी की खपत भी अधिक होती है और इससे भूमि की उपजाऊ क्षमता भी घट रही है। पराली के रूप में एक और संकट भी चुनौती बना हुआ है। पराली जलाने की वजह से प्रदूषित हो रहे वातावरण से आमजीवन पर भी खतरा बढ़ा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के करनाल, कैथल, यमुनानगर, सोनीपत, जींद, कैथल व अंबाला जिला में भूमिगत जल की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। दक्षिण हरियाणा के कई जिले पहले से डार्क जोन में हैं। इन सातों जिलों के एक-एक ब्लाक यानी सात ब्लाक को पहले चरण में धानमुक्त करने का लक्ष्य सरकार ने रखा है।

करनाल के नीलोखेड़ी, कैथल के पूंडरी, अंबाला के अंबाला-1, जींद के नरवाना, कुरुक्षेत्र के थानेसर-1 व यमुनानगर के रादौर और सोनीपत जिले के गन्नौर ब्लॉक में 50 हजार हैक्टेयर यानी करीब सवा एक लाख एकड़ भूमि पर मक्का और अरहर की पैदावार होगी। इस योजना पर काम तो पिछले डेढ़ माह से चल रहा था लेकिन आचार संहिता के चलते इसकी घोषणा नहीं हो सकी। अब भी सीएम ने चुनाव आयोग की मंजूरी के बाद योजना को लांच किया है।

एक सवाल के जवाब में सीएम ने कहा यह सातों ब्लाक ऐसे हैं, जहां सामान्य धान की ही खेती होती है। एक किग्रा चावल उत्पादन पर करीब 3500 लीटर पानी इस्तेमाल होता है। मक्का उगाने से किसानों को जहां फसल से आमदनी होगी, वहीं इससे हरा व सूखा चारा भी उपलब्ध होगा। यह फसल 95 से 100 दिन की है। ऐसे में 10 अक्टूबर तक फसल कट जाएगी और किसान गेहूं की अगेती बिजाई कर 10 फीसदी तक अधिक उत्पादन ले सकेंगे।

(आहूजा, राजेश जैन)

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