चंडीगढ़: हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री ओम प्रकाश धनखड़ ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे ऐसे उद्योगों का पता लगाएं, जिनमें ईधन के रूप में धान की पराली का अधिकतम उपयोग हो सके। इसके अलावा, धान की पराली से राष्ट्रीय ताप बिजली परियोजना के मानदण्डों के अनुरूप पैलेट व ब्रिञ्चयुएट बनाने वाले उद्योगों को भी सार्वजनिक निजी सहभागिदारिता पद्घति पर बढ़ाव देने की सक्वभावनाओं का पता लगाए ताकि वर्ष 2018 धान खरीद मौसम से पहले-पहले हम धान की पराली का खेतों में न जलाना सुनिश्चित कर सकें।
श्री धनखड़ आज परिवहन मंत्री कृष्ण पंवार के साथ कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, बिजली, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, अक्षय ऊर्जा विभागों के अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक कर रहे थे। बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रधान सचिव डा0 अभिलक्ष लिखी ने अवगत करवाया कि राष्ट्रीय हरित ट्रिद्ब्रयूनल के आदेशों के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में धान की पराली का कम से कम 10 प्रतिशत उपयोग करे।
राष्ट्रीय ताप बिजली परियोजना के संयंत्रों में होना है और अगले वर्ष हरियाणा में लगभग 65 लाख मीट्रिक टन धान उत्पादन होने की सक्वभावना है और इतनी ही मात्रा में पराली भी होगी। बैठक में अक्षय ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव अंकुर गुप्ता ने अवगत करवाया कि बायोमास ऊर्जा संयंत्रों में लगभग 1.75 लाख टन कचरे का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें धान, सरसों, कपास तथा गन्ने के अवशेष शामिल हैं। अगले वर्ष लगभग 6.75 लाख टन के उपयोग के लिए सहमति पत्र जारी कर दिए हैं। इस प्रकार हरेडा लगभग 9 लाख टन अवशेषों से ऊर्जा उत्पादन कर सकेगा।
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(आहूजा)