नई दिल्ली : हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के आम चुनावों के नतीजों से बेहतर प्रदर्शन किया है। 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने क्लीन स्वीप कर दसों सीटों पर जीत दर्ज की है। इस जीत को भाजपा ने अपने कार्यकाल में हुए बेहतर कामों और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को माना है।
विपक्षी पार्टियों ने भी हार स्वीकार कर भाजपा को बधाइयां दी हैं, लेकिन एक जाट बाहुल्य राज्य में गैर जाट की छवि रखने वाली भाजपा पार्टी का दसों सीट पर जीत जाना आश्चर्यजनक है। खासकर सोनीपत और रोहतक जैसी लोकसभा सीटों से जीतना अपने आप में ऐतिहासिक माना जा रहा है।
गैर जिम्मेदाराना विपक्ष : हरियाणा में विपक्षी पार्टियां भाजपा को किसी भी ठोस मुद्दे पर घेरने में नाकामयाब रहीं। सिर्फ ‘चौकीदार चोर है’ के नारे दिए. यहां की जनता राहुल गांधी को ही मुख्य विलेन के रूप में देख रही थी जिसको लेकर राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट में इस नारे को लेकर माफी मांगनी पड़ी।
खट्टर की भ्रष्टाचार खत्म करने वाली छवि : हरियाणा में कांग्रेस के कार्यकाल में लोग सरकारी नौकरियों में होने वाली धांधलियों से त्रस्त थे। हरियाणा में आई मनोहर लाल खट्टर सरकार ने नौकरियों में पारदर्शिता लाकर जनता का विश्वास जीता. ये एक मेन फैक्टर रहा।
जाट आरक्षण : 2016 में हुए जाट आरक्षण को लेकर बेशक विपक्षी पार्टियां खट्टर को घेर रही थी लेकिन यह पैतरां भी सरकार के पक्ष में रहा। आरोप लगे कि जाट आंदोलन में हुई हिंसा के दौरान रोहतक के कांग्रेसी सांसद लोगों तक नहीं पहुंचे थे। इसलिए हिंसा में कांग्रेसी नेताओं के संलिप्त होने के शक ने भी सरकार के पक्ष में काम किया।
जाति आधारित वोट बैंक को लुभाना : हरियाणा की क्षेत्रिय पार्टियां जाति पर ही अटकी रह गईं. किसी ने भी राष्ट्रीयता के मुद्दे पर बात नहीं की. ऊपरी तौर पर भले ही रोज़गार की बात की हो लेकिन अंदर ही अंदर जातीय समीकरण खोजे जा रहे थे।
बालाकोट और सेना : बालाकोट के हमले और लगातार सेना को लेकर बोलने वाली भाजपा पार्टी ने सैनिकों की धरती हरियाणा में भी इन मुद्दों को भुना लिया। लोगों को ये बताया गया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व शक्ति बनने जा रहा है।