सोहना : बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि देश में बसपा ही इकलौती ऐसी पार्टी है, जो पूंजीपतियों के सहयोग की बजाय अपने अकेले कार्यकर्ताओं के दम पर सत्ता पर काबिज रही है। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में बसपा की चार बार सरकार बनी। उन्होने अपने मुख्यमंत्री काल में दबे-कुचले वर्गों, दलित, पिछड़ों, मुस्लिमों, आदिवासियों और सर्व समाज के उत्थान व विकास के लिए कार्य किया।
साथ ही बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने की बजाय सरकारी व निजी क्षेत्रों में नौकरियां दी। गुंडा तत्वों पर लगाम लगाकर उन्हे जेल के पीछे भेजने और कानून व्यवस्था सुदृढ़ बनाने का काम किया लेकिन उनकी पार्टी की नीतियां बसपा विरोधी दलों और पूंजीपतियों को रास नही आई जबकि बसपा सरमाएदारों और पूंजीपतियों के हाथों की कठपुतली बनने की बजाय सर्वसमाज के उत्थान के लिए काम कर रही है।
ऐसे में जरूरी है कि हरियाणा में हो रहे विधानसभा चुनावों में बसपा की सरकार बनाने के लिए कार्यकर्ता जी-जान से बसपा प्रत्याशियों की जीत के लिए मेहनत करे और अन्य किसी भी पार्टी के बहकावे में ना आए। झूठे वादों पर एतबार ना करे। बसपा सुप्रीमो मायावती शुक्रवार को सोहना शहर के खेलस्टेडियम मैदान में सोहना में आयोजित चुनावी सभा में उपस्थितों के बीच मुख्य वक्ता रूप में बोल रही थी।
उन्होने अपने आधे घंटे के धारा प्रवाह संबोधन में भाजपा व कांग्रेस के साथ-साथ बसपा विरोधी दलों पर जमकर कड़े राजनीतिक प्रहार किए और आरोप लगाया कि भाजपा व कांग्रेस दोनों गरीबों, दबे-कुचले वर्गों की विरोधी पार्टियां है। उन्होने भाजपा व कांग्रेस पर नौकरियों में आरक्षण को प्रभावहीन करने का आरोप लगाते हुए दोनों पार्टियों को किसान, गरीब, दलित, पिछड़ा विरोधी बताते हुए कहा कि हमने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने का संघर्ष किया लेकिन बीते चुनावों में भाजपा लुभावने वादे करके सत्ता में आ गई और किए गए वादे आज तक पूरे नही कर पाई।
हरियाणा के लोगों ने प्रदेश में भाजपा, कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों की सरकारें देखी है लेकिन आज जरूरी है कि हरियाणा के मतदाता एक बार राज्य में सरकार बनाने के लिए बसपा को मौका दे ताकि प्रदेश में बसपा सरकार बनने पर सर्वसमाज के हित में योजनाएं बनाकर लागू की जा सके। हरियाणा में बसपा का किसी भी दल से गठबंधन नही है। बसपा बिना समझौते के सभी सीटों पर अपने दम पर राज्य में विधानसभा चुनाव अकेले ही लड़ रही है।