होडल: पुलिस प्रशासन जहां आम लोगों के वाहनों के विभिन्न कानून के तहत चालान करके जुर्माना वसूलना शान समझता है वहीं होडल में सरकारी गाडियों के द्वारा कानून की सरेआम धज्जियां उडाई जा रही हैं। पुलिस प्रशासन व यातायात विभाग कानून की नियमों की सरेआम धज्जियां उडा रहे वाहनों के प्रति आंखें मूंदे हुए है। प्रशासनिक दोगलेपन के कारण ही लोगों का पुलिस प्रशासन के प्रति विश्वास डगमगाने लगा है। सवाल यह है कि जब सरकारी गाडियों के चालक ही नियम-कानून की धज्जियां उडाऐंगे और पुलिस व प्रशासनकि अधिकारी सरकारी गाडियों के चालकों की मनमानी की ओर ध्यान देकर उचित कार्रवाई करके नियमों की पालना नही करवाऐंगे तो आम लोगों से प्रशासन किस प्रकार नियमों के पालन करने की उम्मीद कर सकता है? मजेदार बात यह है कि पुलिस प्रशासन द्वारा यातायात नियमों की पालना करवाने के लिए अक्सर वाहन जांच अभियान चलाय जाता है और गाडियों के कागजात पूरे ना होने या फिर अन्य कोई भी कमी पाऐ जाने पर वाहन व चालकों का चालान कर दिय जाता है और आर्थिक दंडस्वरूप जुर्माना करके दंड राशि जमा करवाई जाती है लेकिन सरेआम धज्जियां उडा रहे ऐसे सरकारी वाहनों के चालान क्यों नही किए जाते जिससे ऐसे वाहनों के चालकों को भी कुछ नसीहत मिल सके और विभागों व अधिकारियों को फजीहत का सामना ना करना पडे।
ऐसी ही एक सरकारी गाडी होडल में आराम से फर्राटे भर रही है जिसकी आगे-पीछे लिखे गए रजिस्टे्रशन नम्बर में ही फर्क साफ दिखाई दे रहा है लेकिन किसी भी अधिकारी या पुलिसकर्मी द्वारा इस ओर कोई भी ध्यान नही दिया जा रहा है जबकि उपरोक्त गाडी में संबंधित विभाग के अधिकारी उपरोक्त गाडी में सवार होकर सरकारी कामकाज की प्रक्रिया संभालते हैं। सरकारी गाडियों के चालकों की मनमानी के चलते अधिकारियों की लापरवाह कार्यशैली शहर के लोगों में चर्चा का विषय बनी हुई है। अगर विभागीय अधिकारी व पुलिस प्रशासन द्वारा सरकारी व गैर सरकारी वाहनों में भेदभाव मिटाकर समान कार्रवाई करके समान दंड किए जाऐं तो लोगों में प्रशासन के प्रति एक विश्वास कायम किया जा सकता है वहीं विभागीय अधिकारियों को भी ऐसे लापरवाह सरकारी कर्मियों की वजह से होने वाली फजीहत से निजात मिल सकती है।
– बलराम बंसल