चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने गुड़गांव के एक निजी स्कूल में सात वर्षीय लड़के की हत्या के आरोपी 16 वर्षीय छात्र की जमानत याचिका आज खारिज कर दी। न्यायमूर्ति दया चौधरी ने आरोपी की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि वह इस आधार पर संवैधानिक जमानत का हकदार है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो ने निर्धारित 60 दिन के भीतर अपनी जांच पूरी नहीं की ।
न्यायाधीश ने कहा कि मामले में जांच एजेंसी को अपनी जांच पूरी करने के लिए 90 दिन का समय है, 60 दिन का नहीं। आरोपी ने गुड़गांव सत्र अदालत के पांच फरवरी के आदेश को चुनौती दी थी। अदालत ने उसकी याचिका यह कहते हुए ठुकरा दी थी कि इस वक्त जमानत प्रदान करना ठीक नहीं होगा। अदालत ने कहा कि तथ्यों और कानून के प्रावधानों के मद्देनजर यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता कानूनी रूप से या फिर निर्धारित अवधि में आरोप पत्र दाखिल नहीं होने की स्थिति में जमानत का हकदार नहीं है क्योंकि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167(2) के तहत उसे अपरिहार्य अधिकार नहीं है और मौजूदा अपील में कोई दम नहीं है, इसलिए यह खारिज की जाती है।
सीआरपीसी की धारा 167(2) के तहत अदालत आरोपी की हिरासत अवधि बढ़ा सकती है लेकिन यह 15 दिन से ज्यादा नहीं होगी। पीड़ित की ओर से पेश वकील सुशील टेकरीवाल ने कहा कि उच्च न्यायालय का फैसला उनके रूख की पुष्टि करता है। पीड़ित के पिता ने भी उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया और कहा कि अगर आरोपी को जमानत मिलती है तो वह समाज के लिए खतरा होगा । सत्र अदालत ने 21 मई को आदेश दिया था कि 16 वर्षीय छात्र पर हत्या मामले में वयस्क की तरह मुकदमा चलाया जाएगा।
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