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हरियाणा विधानसभा चुनाव: गैर-जाट वोटों पर है भाजपा और कांग्रेस की नजर

सामाजिक चलनों के विपरीत चलते हुए हरियाणा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस की नजर 21 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में गैर-जाट वोटों पर है।

सामाजिक चलनों के विपरीत चलते हुए हरियाणा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस की नजर 21 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में गैर-जाट वोटों पर है। राज्य में जमींदार वर्ग में आने वाले जाटों की जनसंख्या राज्य की कुल जनसंख्या का 28 प्रतिशत है। 
गैर-जाट मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ भाजपा ने अपने दूसरे कार्यकाल के लिए अधिकतर सीटों पर गैर-जाट उम्मीदवार खड़े किए हैं। भाजपा का लक्ष्य 90 विधानसभा सीटों वाले राज्य में 70 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करना है। इसी तरह कांग्रेस ने भी इस बार जाट उम्मीदवारों की संख्या में कुछ कमी की है, हालांकि कांग्रेस में जाट उम्मीदवारों की संख्या उसके प्रतिद्वंद्वी भाजपा से ज्यादा है। कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के वास्तविक उम्मीदवार भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी जाट बिराददी से आते हैं। दोनों पार्टियां अन्य जातियों को बड़ी संख्या में आजमा रही हैं। 
इनमें पंजाबी (आठ प्रतिशत), ब्राह्मण (7.5 प्रतिशत), अहीर (5.14 प्रतिशत), वैश (पांच प्रतिशत), गुज्जर (3.35 प्रतिशत), जाट सिख (चार प्रतिशत), राजपूत (3.4 प्रतिशत), मेव और मुस्लिम (3.8 प्रतिशत) और बिश्नोई (0.7 प्रतिशत) हैं। कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति 21 प्रतिशत, जो जाट के बाद सबसे ज्यादा है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 20 जाट (22.2 प्रतिशत) अपने उम्मीदवार बनाए हैं जो साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव से चार कम हैं। 

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भाजपा ने एक जाट सिख, नौ पंजाबी, आठ वैश्य, एक बिश्नोई, आठ ब्राह्मण, छह अहीर, पांच गुर्जर, दो मेव, छह पिछड़ा वर्ग से, चार राजपूत, दो रोर और 17 आरक्षित सीटों के साथ-साथ 18 अनुसूचित जाति (एससी) उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं कांग्रेस ने इस बार 26 जाटों को टिकट दिया, जो पिछले विधानसभा चुनाव से दो कम हैं। 
उसने छह अहीरों, छह गुर्जरों, पांच वैश्य, पांच ब्राह्मण, चार पंजाबियों, तीन राजपूतों, छह मुस्लिमों, तीन जाट सिखों, दो बिश्नोई, छह पिछड़ा वर्ग से तथा 17 एससी उम्मीदवारों को टिकट दिया है। एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि गौर करने वाली बात है कि कांग्रेस ने अपना वोट बैंक मजबूत करने के लिए अपने उम्मीदवारों में पंजाबियों की तुलना में पिछड़ा वर्ग, राजपूत और बिश्नोई की संख्या बढ़ाई है। 
पंजाबियों का एक बड़ा हिस्सा राज्य के पहले पंजाबी मुख्यमंत्री खट्टर का समर्थक माना जाता है। साल 2014 में कांग्रेस ने मैदान में आठ और भाजपा ने नौ पंजाबी प्रत्याशी उतारे थे। भाजपा ने जाट के अलावा गुर्जरों, राजपूतों, बिश्नोई और पिछड़ा वर्ग पर अधिक विश्वास जताया है। 

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