Haryana: यौन उत्पीड़न मामले में संदीप सिंह को बड़ी राहत, चंडीगढ़ कोर्ट से मिली अग्रिम जमानत

चंडीगढ़ की एक अदालत ने शुक्रवार को हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह को अग्रिम जमानत दे दी, जिनके खिलाफ पिछले महीने एक महिला जूनियर कोच के यौन उत्पीड़न के आरोप में चार्जशीट दायर की गई थी।
Haryana: यौन उत्पीड़न मामले में संदीप सिंह को बड़ी राहत, चंडीगढ़ कोर्ट से मिली अग्रिम जमानत
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चंडीगढ़ की एक अदालत ने शुक्रवार को हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह को अग्रिम जमानत दे दी, जिनके खिलाफ पिछले महीने एक महिला जूनियर कोच के यौन उत्पीड़न के आरोप में चार्जशीट दायर की गई थी। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजीव के बेरी ने अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार कर ली और शनिवार को सुनवाई के लिए मंत्री को नोटिस जारी किया। सुनवाई के दिन चंडीगढ़ पुलिस द्वारा गिरफ्तारी की आशंका जताते हुए सिंह के वकील ने 4 सितंबर को अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी।
याचिका में संदीप सिंह ने आशंका व्यक्त की थी कि 16 सितंबर को ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश होने की स्थिति में उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाएगा क्योंकि विचाराधीन अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती है। अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए शिकायतकर्ता के वकील समीर सेठी और दीपांशु बंसल ने कहा कि मंत्री होने के नाते संदीप सिंह पीड़िता पर दबाव बनाने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रहे हैं। अगर राहत दी गई तो वह मुकदमे को प्रभावित करेंगे।
चंडीगढ़ पुलिस की 700 पन्नों की चार्जशीट में कहा गया है कि भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान और पहली बार विधायक बने मंत्री संदीप सिंह का उनके (पीड़िता के) साथ पेशेवर संपर्क से परे रिश्ता रहा है। 45 गवाहों के बयान के आधार पर आरोप पत्र में कहा गया है कि मंत्री यह नहीं बता सके कि वह शिकायतकर्ता से देर रात सहित आधिकारिक कार्य घंटों के बाद क्यों मिले। एक यूट्यूब चैनल को दिए साक्षात्कार में और कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा द्वारा रीट्वीट किए जाने पर महिला कोच ने संदीप सिंह पर 2022 में तीन मौकों पर उनके साथ जबरदस्ती करने के प्रयास का आरोप लगाया। अपनी पहली एफआईआर में उन्होंने दावा किया था कि तत्कालीन खेल मंत्री संदीप सिंह ने जुलाई 2022 में उन्हें फोन किया था और उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की थी।
पुलिस ने आरोप पत्र में यह भी कहा कि पीड़िता संदीप सिंह के आधिकारिक आवास में बेडरूम, साइड रूम, बाथरूम और सभी संपर्क रास्तों की पहचान करने में सक्षम थी। इससे पता चलता है कि पीड़िता ने उक्त कमरों का दौरा किया था। जबकि मंत्री ने दावा किया था कि वह केवल उनके घर के मुख्य कार्यालय केबिन में आई थीं। चार्जशीट के अनुसार, "पीड़िता के मोबाइल फोन के संबंध में सीएफएसएल (केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला) की रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि आरोपी और पीड़िता एक-दूसरे के नियमित संपर्क में थे और उनका रिश्ता पेशेवर बातचीत से परे था।" शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पिछले साल यहां सेक्टर 26 पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354, 354-ए, 354-बी, 342 और 506 के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

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