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राजनीति हालातों को देखते हुए हरियाणा में मध्यावधि चुनाव की संभावना : ओम प्रकाश चौटाला

चौटाला ने कहा कि प्रदेश की राजनीति में जिस तरह के हालत बन रहे हैं, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश की जनता को 2024 के चुनाव का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

हरियाणा की राजनीति में बन रहे हालातों पर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के सुप्रीमो एवं पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओम प्रकाश चौटाला ने अपना बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की राजनीति में जिस तरह के हालत बन रहे हैं,उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश की जनता को 2024 के चुनाव का इंतजार नहीं करना पड़ेगा और प्रदेश में मध्यावधि चुनाव होंगे।
चौटाला आज सिरसा रोड स्थित ताऊ देवीलाल सदन में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कार्यकर्ताओं को ऐलनाबाद में तीन मार्च को होने वाली जनसभा के लिए निमंत्रण भी दिया। उन्होंने कहा कि सभी इनेलो कार्यकर्ता एकजुट होकर रूठों को मनायें, भटके हुए को पार्टी से जोड़कर संगठन को मजबूत करने का काम करें। आज जाति-पाति, धर्म, मजहब से ऊपर उठकर 36 बिरादरी के लोग इकट्ठे होकर कृषि आंदोलन के माध्यम से इन तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। इस कुशासन से छुटकारा चाहते हैं। इनेलो पार्टी किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। 
पूर्व मुख्यमंत्री ने आह्वान किया कि वे रास्ता भटके और रूठे हुए लोगों को मना कर वापस पार्टी में शामिल कर लें। हमारा किसी से द्वेष नहीं है। हमारा तो एक लक्ष्य है कि चौधरी देवीलाल के सपनों को साकार करें। इनेलो रूपी पौधा चौधरी देवीलाल का ही लगाया हुआ है। कार्यकर्ताओं ने इसे खून से सींचा है लेकिन बदकिस्मती ये रही कि आपकी मेहनत का जब फल मिलना शुरू हुआ तो कुछ लुटेरे उस फूल को लूट ले गए। 
चौटाला ने कहा कि किसानों को अपना विरोध प्रकट करते हुए तीन माह हो गए लेकिन बीजेपी सरकार किसानों की आवाज को सुनने और उनकी मांगों को पूरा करने की बजाय उन पर केवल अत्याचार ही कर रही है। बीजेपी सरकार को चाहिए कि किसानों की मांगों को शीघ्र मानते हुए इन तीनों कृषि कानूनों को वापस ले। 
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों का आंदोलन जन आंदोलन बन चुका है और जन आंदोलन को कभी भी दबाया नहीं जा सकता है। जो सरकार जनता की आवाज को अनसुना कर देती है जनता भी उस सरकार को सत्ता से बाहर कर देती है। चौधरी देवीलाल ने ही बुजुर्गों के सम्मान के लिए वृद्धावस्था पैंशन शुरू की थी, ताकि उसे आर्थिक रूप से किसी पर निर्भर नहीं होना पड़। बीजेपी सरकार में बुजुर्गों को पैंशन बनवाने के लिए दर-दर की ठोंकरे खाने को मजबूर होना पड़ रहा है।

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