चंडीगड़: अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों से जुड़े जातिय आंकड़ों को भ्रामक करार देते हुए जाट समाज को प्रदेश में आरक्षण की पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल किए जाने की मांग की है। मलिक ने इस सिलसिले में शुक्रवार को हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग को 6 पेज का लंबा-चौड़ा ज्ञापन सौंपा। बाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ किया है कि जबतक सरकार पूर्व में हुए समझौतों के तहत 6 मांगों को पूरा नहीं कर देती तबतक संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने ऐलान किया कि 18 फरवरी को आयोजित होने जा रहे बलिदान दिवस के दौरान भविष्य में चलाए जाने वाले आंदोलन की रूपरेखा तय कर आंदोलन की रणनीति बना ली जाएगी।
बलिदान दिवस में सभी 36 बिरादरी के लोगों को शामिल करने के लिए व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाते हुए हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश में भाईचारे को तोडऩे की साजिशों को बेनकाब किया जाएगा। मलिक ने सरकार द्वारा सामने लाए गए सरकारी नौकरियों से जुड़े जातिय आंकड़ों को भ्रामक करार देते हुए कहा कि जाट समुदाय मूल रूप से पिछड़ा किसान है जो गांव में रहता है। वह आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा है और उसकी हालत गुर्जर, कुर्मी, अहीर, लोधा आदि उन जातियों के समान है जिन्हें ओबीसी का स्टेटस मिला हुआ है लेकिन, जाट समुदाय को इससे वंचित कर दिया गया है। ऐसा राजनीतिक कारणों से हुआ है जो जाट समुदाय के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा कि हमने अपना पक्ष आयोग के सामने रख दिया है और अब गेंद आयोग के पाले में है।
सवाल-जवाबों के बीच उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि साल 2016 में हुए दंगों मेंकिन लोगों की क्या भूमिका थी। सभी जानते हैं कि किसी सांसद ने ओबीसी ब्रिगेड बनाकर लोगों को भडक़ाया। इसके अलावा बीजेपी सरकार में सीएम की कुर्सी हासिल करने की होड़ थी और दो जाट मंत्रियों और गैर जाट मंत्रियों ने किस तरह रोटियां सेंकी। यह भी सबकों पता है कि 14 फरवरी 2016 को सांपला में रैली की इजाजत किसने दी थी। दरअसल, यह सब सरकार द्वारा भाईचारे को तोडऩे की साजिश थी। हमने तो पिछले साल जून में 52 दिनों तक शांतिपूर्ण आंदोलन चलाया।
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(आहूजा)