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करनाल लघु सचिवालय के बाहर तय योजना के तहत डटे किसान, प्रशासन के खिलाफ महापड़ाव का दूसरा दिन

किसानों ने अपनी तय योजना के तहत करनाल के लघु सचिवालय पर डेरा तो जमा लिया है, लेकिन आज का दिन प्रशासन और किसानों के बीच किसी महापड़ाव से कम नहीं रहने वाला है।

किसानों ने अपनी तय योजना के तहत करनाल के लघु सचिवालय पर डेरा तो जमा लिया है, लेकिन आज का दिन प्रशासन और किसानों के बीच किसी महापड़ाव से कम नहीं रहने वाला है। इधर प्रशासन पूरा प्रयास कर रहा है कि किसानों को समझा बुझा के वापस भेजा जाए। दूसरी ओर, किसान इस कोशिश में जुटे है कि हरियाणा सरकार पर दबाब बनाकर अपनी मांगो को मनवाया जाए। इन सब के बीच स्थानीय लोग परेशानी झेल रहे है, एक तरफ इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई है, तो दूसरी ओर सड़क मार्ग भी बाधित हो रहा है।
हालांकि आज सरकारी दफ्तर पत भी काम ठप रहेगा, क्योंकि लघु सचिवालय के बाहर किसानों ने डेरा जमाया हुआ है। वहीं सचिवालय के बाहर कई अन्य दफ्तर भी है जिनमें काम बाधित होगा। हालांकि स्थानीय लोगों के मन में एक आशंका तो जरूर है कि दिल्ली की सीमाओं की तरह ही कहीं सचिवालय रोड पर ही किसानों का जमावड़ा न लग जाए। दरअसल एक तरह कृषि कानून के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को आज 286 वां दिन होने वाला है, वहीं किसानों के सिर फोड़ने की बात कहने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई न होने पर आज सैंकड़ो करनाल लघु सचिवालय घेराव करने का दूसरा दिन है।
28 अगस्त को पुलिस और किसानों के बीच हिंसक झड़प में एक किसान की मौत और अन्य किसान घायल हुए, जिसके बाद किसानों ने हरियाणा सरकार का विरोध करना शुरू किया। संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक, बीते 28 अगस्त को तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा ने पुलिस को सीधे तौर पर किसानों के सिर फोड़ने का आदेश दिया था। किसानों का आरोप है कि सरकार ने बर्खास्त करने के बजाय उन्हें पदोन्नत किया।
किसानों की मांग है कि, आरोपी अधिकारी बर्खास्त हो और उस पर हत्या का मामला दर्ज हो। मृतक सुशील काजल के परिवार को 25 लाख रुपये, उनके बेटे को सरकारी नौकरी और पुलिस हिंसा में घायल हुए किसानों को 2-2 लाख रुपये का मुआवजा देने की भी मांग उठाई।मंगलवार को दिनभर के हंगामे के बाद रात को लघु सचिवालय के बाहर ही धरने पर ही किसानों और जवानों ने विश्राम किया।

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