पिनगवां: मेवात में करोड़ों रुपयों की लागत से बना मेडिकल कालेज आज सफे द हाथी साबित हो रहा है। अगर जल्द ही यहां पर सरकार, मेवात जिला प्रशासन और मेवात के नेताओं ने ध्यान नहीं दिया तो वो दिन दूर नहीं जब ये मेडिकल कालेज बन्द होने के कगार पर होगा। मेवात के इस मेडिकल कालेज में जहां मरीज ठीक होने को आते हैं,वहीं यहां की व्यवस्था और यहां के कर्मचारियों के बुरे बर्ताव के कारण मरीज वापस जाने में ही अपनी भलाई समझते हैं। हालात यह हैं कि अगर कोई मेडिकल कालेज का दौरा करे तो यहां पर भर्ती मरीजों का दुख सुनकर उनका गला भर आता है। वार्डों में भर्ती मरीजों को दवा मांगने पर दवा मिलना तो दूर बल्कि उन्हें वार्डों में ड्यूटी कर रहे वार्ड ब्वाय से अपशब्द और सुनने को मिलते हैं।
इतना ही नहीं अगर मेडिकल कालेज में कोई सीरियश मरीज आता है तो उसे एमरजैंसी में लाने के लिए यहां पर स्टेचर भी उपलब्ध नहीं हैं, हद तो तब हो जाती है जब ऐमरजैंसी में गंभीर हालात में देखने वाले मरीज को भी डॉक्टर घंटो तक देखने नहीं आते। जिससे अब ये मेडिकल कालेज मेवात की जनता के साथ-साथ यहां पर दूर-दराज से आने वाले लोगों के लिए सफे द हाथी साबित होने लगा है। गौरतलब है कि कांग्रेस सरकार ने करोड़ों रुपयों की लागत लगा कर इस मेडिकल कालेज का निर्माण मेवात के शहीद हसन खां मेवाती के नाम से कराया था।
जिसके खुलने से न केवल मेवात की जनता को एक नई उम्मीद जगी थी ,बल्कि यहां पर लाखों रुपये के ईलाज फ्री होने पर लोग दूर-दूर से अपना ईलाज कराने के लिए आने लगे थे। लेकिन जैसे ही प्रदेश में भाजपा सरकार सत्ता में आई तो प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के बने से लोगों को लगा कि इस मेडिकल कालेज के ओर भी अच्छे दिन आऐंगे। लेकिन आज लोग सोचने पर मजबूर हैं कि आखिर जब प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री मेवात में आ सकते हैं तो इस मेडिकल कालेज में क्यों नही आए। जबकि इस मेडिकल कालेज और विवादों का चोली-दामन का साथ रहा है।
एमरजैंसी में नहीं मिलता डाक्टरों का सहयोग,तडफ़ते रहते हैं मरीज: बुधवार को डिलीवरी के बाद जैसे ही एक महिला मरीज हालात गंभीर होने पर यहां पहुंची तो,एमरजैंसी में तो एडमिट कर दिया लेकिन हद तब हो गई जब एक घंटे तक भी तड़पती हुई मरीज को कोई देखने तक नही आया,आखिर घंटो बाद जब परिजन गप्पे मार रहे डाक्टरों से गिड़गिड़ाए तो तब जाकर उन्होंने मरीज को देखने की जहमत उठाई।
स्टाफ व सुरक्षा कर्मी करते हैं मरीजों के साथ अर्भद व्यवहार: मेडिकल कालेज में डाक्टरों के सहयोग के लिए लगाया हुआ स्टाफ व मेडिकल कालेज में लगे सुरक्षा कर्मी मरीजों के साथ काफी अभर्द व्यवहार करते हैं। हद तो तब हो जाती है जब मरीजों को गालियां देकर भी उन्हें बाहर कर दिया जाता है और स्टाफ अन्दर बैठकर गप्पे हाकंता रहता है।
दवा के नाम पर मिलती है सिर्फ एक बुखार और आयरन की टेबलेट: मेडिकल कालेज में मरीजों को दवा के नाम पर सिर्फ एक आयरन और बुखार की दवा दी जाती है। यहां पर दवा देने वाले स्टाफ कर्मी द्वारा सभी मरीजों को बाहर से दवा लेने के लिए टरका दिया जाता है,एक मरीज ने बताया कि मेडिकल कालेज के बाहर खुले मेडिकल स्टोर पर ही अकसर दवा लिखी जाती हैं जिससे उन्हें अन्दर से नाम मात्र ही दवाई दी जाती है।
– आस मोहम्मद