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एजेएल प्लॉट आवंटन केस में वोरा, हुड्डा को जमानत मिली, कोर्ट में पेश

हुड्डा और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा बृहस्पतिवार को एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में पंचकूला की सीबीआई अदालत में पेश हुए।

पंचकूला : पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा बृहस्पतिवार को एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में पंचकूला की सीबीआई अदालत में पेश हुए। जहां अदालत ने दोनों नेताओं को जमानत दे दी। दोनों नेता सुबह ही कोर्ट में पहुंचे और अदालत में पेश होने के बाद चले गए। उनके साथ कई कांग्रेस नेता और उनके वकील थे।

अदालत ने मोतीलाल वोरा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पिछली सुनवाई में आज पेश होने को कहा था। बता दें कि नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र के स्वामित्व वाली कंपनी एजेएल को पंचकूला में प्लॉट आवंटन में अनियमितता बरते जाने का आरोप है। यह प्लॉट पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासनकाल में दोबारा आवंटित किया गया था। हुड्डा मुख्यमंत्री होने के नाते उस समय हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के चेयरमैन थे। वहीं मोती लाल वोरा एजेएल के चेयरमैन थे।

प्लॉट आवंटन मामले में पंचकूला विशेष सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट की स्क्रूटनी पूरी हो चुकी है पूरी। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मोतीलाल वोरा के खिलाफ अदालत में 1 दिसंबर को चार्जशीट दाखिल की गई थी। बता दें कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप है कि उन्होंने सीएम रहते हुए जनरल लिमिटेड (एजेएल) कंपनी को 2005 में 1982 की दरों पर प्लॉट अलॉट करवाया।

एसोसिएटड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) के अखबार नेशनल हेराल्ड के लिए पंचकूला में नियमों के खिलाफ जमीन आवंटन का आरोप है। इस मामले में सतर्कता विभाग ने मई 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर केस दर्ज किया गया है। यह मामला हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर दर्ज हुआ है। चूंकि मुख्यमंत्री हुडा के पदेन अध्यक्ष होते हैं। यह गड़बड़ी हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ यह मामला दर्ज हुआ है।

हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (हुडा) को करीब 62 लाख रुपए का नुकसान पहुंचाए जाने का आरोप है। 24 अगस्त 1982 को पंचकूला सेक्टर-6 में 3360 वर्गमीटर का प्लॉट नंबर सी -17 तब के सीएम चौधरी भजनलाल ने अलॉट कराया। कंपनी को इस पर दह माह में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था। लेकिन, कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई। 30 अक्टूबर 1992 को हुडा ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया।

26 जुलाई 1995 को मुख्य प्रशासक हुडा ने एस्टेट ऑफिसर के आदेश के खिलाफ कंपनी की अपील खारिज कर दी। 14 मार्च 1998 को कंपनी की ओर से आबिद हुसैन ने चेयरमैन हुडा को प्लॉट का अलॉटमेंट बहाली के लिए अपील की। 14 मई 2005 को चेयरमैन हुडा ने अफसरों को एजेएल कंपनी के प्लॉट अलॉटमेंट की बहाली की संभावनाएं तलाशने को कहा। लेकिन, कानून विभाग ने अलॉटमेंट बहाली के लिए साफ तौर पर इनकार कर दिया। 18 अगस्त 1995 को फ्रेश अलॉटमेंट के लिए आवेदन मांगे गए।

इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई। 28 अगस्त 2005 को हुड्डा ने एजेएल को ही 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन कर लिए। साथ ही कंपनी को 6 माह में निर्माण शुरू करके 1 साल में काम पूरा करने को भी कहा गया। सीए हुडा ने भी पुरानी रेट पर प्लॉट अलॉट करने के आदेश दिए।

(आहूजा)

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