रोहतक : जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा कि पहली बार सरकार जाट आरक्षण व अन्य मांगों को लेकर गंभीर हुई है। वर्ष 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान भाजपा के ही मंत्रियों ने प्रदेश में हिंसा करवाई थी और इस बार भी सरकार भाईचारा तोडने के प्रयास में थी। यशपाल मलिक ने कहा कि जब बात नेताओं के गले में फंसती है, तभी वह कारवाई के लिए तैयार होते है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रैली को लेकर दबाव बनाया तो सरकार को भी मांगें माननी पड़ी। जब तक जाट आरक्षण व अन्य मांगें पूरी नहीं होती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। इस बार मांगों को लेकर सरकार के साथ कोई समय-सीमा तो तय नहीं हुई है, लेकिन सरकार ने जल्द ही पूरा करने का आश्वासन दिया है।
रविवार को गांव जसिया में आयोजित बलिदान दिवस पर काफी संख्या में जाट समाज के लोग एकत्रित हुए और वर्ष 2016 में जाट आरक्षण हिंसा के दौरान मारे गए युवकों को श्रदाजंलि दी। कार्यक्रम में शिरक्कत करने पहुंचे और लोगों को सरकार के साथ हुए समझौते की जानकारी दी। बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए यशपाल मलिक ने कहा कि प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश के कई प्रदेशों में बलिदान दिवस मनाया गया है। उन्होंने बताया कि सरकार ने सभी मांगें मान ली है और जल्द से जल्द पूरा करने का आश्वासन दिया है। जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती है, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
यशपाल मलिक ने कहा कि देश में चाहे किसान आंदोलन हो या फिर पटेल आंदोलन सरकार ही साजिश रचकर हिंसा करवाती है और ऐसा ही 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान प्रदेश सरकार के ही मंत्रियों ने मिलकर साजिश के तहत प्रदेश में हिंसा करवाई थी। जाट आरक्षण समिति ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की रैली को लेकर दबाव बनाया तो सरकार मांगें मानने को मजबूर हुई है, नहीं तो इस बार भी सरकार भाईचारा तोडने के प्रयास में थी।
सीबीआई द्वारा तीन मामलों की जांच को लेकर यशपाल मलिक ने कहा कि इन मामलों केंद्र सरकार का दखल जरुरी है और सरकार से इस संबंध में भी बातचीत हुई है। वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु को भी समाज के हित को देखते हुए मामले वापिस लेने चाहिए, हिंसा के दौरान अकेले उनके आवास पर ही नहीं बल्कि अन्य विधायकों व मंंत्रियों के आवास पर भी आगजनी हुई थी। वित्त मंत्री के अलावा अन्य किसी भी मंत्री व विधायक ने तो इस तरह से केस दर्ज नहीं करवाएं है। यशपाल मलिक ने कहा कि पहली बार सरकार जाट आरक्षण व अन्य मांगों को लेकर गंभीर हुई है।
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(मनमोहन कथूरिया)