झज्जर : जाट संघर्ष समिति ने एक बार फिर से सरकार के विरोध में हुंकार भी है। जाटों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्द ही उनकी मांगें नहीं मानी तो यशपाल मलिक के एक इशारे पर उनका आंदोलन खड़ा हो जाएगा। लेकिन अबकि बार यह आंदोलन शांतिप्रिय ढंग से 36 बिरादरी का भाईचारा कायम रखते हुए सरकार को नुकसान पहुंचाने वाला होगा न कि किसी व्यक्ति विशेष को। शुक्रवार को झज्जर की सर छोटूराम धर्मशाला में हुई बैठक में काफी देर तक हुई चर्चा के बाद समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों ने कई बड़े फैसले लिए। इन फैसलों में सबसे बड़ा फैसला हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर का विरोध जताने का था। बैठक में तय किया गया कि समिति से जुड़े लोग सीएम को वहीं पर काले झंडे दिखाएगें जहां-जहां से उसका काफिला गुजरेगा।
विरोध प्रदेश के वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यू सहित अन्य कैबिनेट मंत्रियों का विरोध करने का भी फैसला लिया गया। बैठक के बाद मीडिया के रूबरू हुए समिति के जिलाध्यक्ष जितेन्द्र उर्फ बबला का कहना था कि समिति ने जाट समुदाय की मांगें मानने के लिए सरकार को काफी समय दे दिया है। लेकिन जिस प्रकार से समिति की मांगों को सरकार द्वारा दरकिनार किया जा रहा है उससे स्पष्ट हो चला है कि सरकार की मंशा ठीक नहीं है। अब इंतजार है तो समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक के इशारे का। जैसे ही इशारा मिलता है तो एक फोन और एक आदेश पर हरियाणा में बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया जाएगा। जितेंद्र धनखड़ ने यह भी कहा कि सरकार जाट आरक्षण संघर्ष समिति से जुड़े लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज करने की धमकी देकर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। लेकिन वह सरकार की किसी भी धमकी से नहीं डरते। उनका कहना है कि सीबीआई ने भी जिन दो लोगों पर मुकद्दमें दर्ज किए है वह झूठे है।
जाट अगस्त में करेंगे सरकार की नाक में दम
उन्होंने पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि उनके पास समिति के चंदे का पूरा हिसाब किताब है। और विदेशों से आने चंदा भी सरकार की निगरानी के बगैर उन तक नहीं पहुंचता है। तो ऐसे में चंदे में गड़बड़ी के आरोप सरासर बेबुनियादी हैं। झज्जर जिला अध्यक्ष जितेंद्र धनखड़ का कहना है कि जाट समाज के लोग अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। वही कुछ जाट नेता सरकार के बहकावे में आकर गलत-सलत बयानबाजी कर रहे हैं। जिससे उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता। वे आगे भी जाट समाज की आवाज उठाते रहेंगे।
(विनीत नरुला)