करनाल: सरकार की वादाखिलाफी और अधिकारियों द्वारा किए गए विश्वासघात से आहत जेबीटी शिक्षकों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर आत्महत्या की इजाजत मांगी है। शिक्षकों ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा है कि या तो उन्हें नौकरी दी जाए अन्यथा आत्महत्या करने की इजाजत दे दी जाए। जेबीटी ने साफ ऐलान किया है कि इस बार आंदोलन उग्र होगा। या तो वह नौकरी पर सीधे स्कूलों में जाएंगे वरना अनशन स्थल से उनकी लाशें ही घर जाएंगी। उल्लेखनीय है कि 1259 जेबीटी को सरकार एक महीने बाद नौकरी से हटा दिया था। अपने हकों की लड़ाई को लेकर जेबीटी शिक्षकों ने लगभग एक महीना जिला सचिवालय के सामने धरना दिया।
इसके बाद सात दिनों तक 11 शिक्षक आमरण अनशन पर बैठे रहे। 27 जुलाई को शिक्षा विभाग के एडिशनल डायरेक्टर वीरेंद्र दहिया करनाल पहुंचे और शिक्षकों को आश्वासन दिया कि 14 अगस्त तक सभी शिक्षकों को ज्वाइंग लेटर दे दिए जाएंगे। अधिकारी ने जूस पिलाकर शिक्षकों का अनशन खुलवा दिया। अब 14 अगस्त बीत चुकी है और अधिकारी टाल मटोल का रवैया अपना रहे हैं। जेबीटी में अधिकारी की इस वादाखिलाफी और विश्वासघात से भारी रोष है। शिक्षकों ने बुधवार से फव्वारा पार्क में डेरा डाल लिया है। गुरुवार को मीटिंग में राकेश जांगड़ा और मुकेश डिडवानिया ने बताया कि राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा गया है कि हमें अपने परिवार के लिए खाने पीने के लिए कोई साधन नही दिख रहा है।
– आशुतोष गौतम, महिन्द्र