चंडीगढ़ : हरियाणा में ढ़ाई साल पहले हुए जाट आरक्षण आंदोलन में राजनीतिक षड्यंत्र की जांच कर रहे जस्टिस झा आयोग ने जाट नेता यशपाल मलिक को पूछताछ के लिए बुलाया है। यशपाल मलिक ने फरवरी 2016 में हुए जाट आरक्षण आंदोलन की अगुवाई की थी, जिसमें 31 लोग मारे गए थे और करीब 800 करोड़ रुपये की सरकारी व गैर सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ था।
उद्योगपति, व्यापारी और राजनेता इस नुकसान को करीब 20 हजार करोड़ रुपये का मानते हैं। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक को झा आयोग के गुरुग्राम कार्यालय में 13 दिसंबर को पेश होने के लिए कहा गया है। साथ ही यह भी चेताया गया कि जाटों समेत छह जातियों को आरक्षण दिए जाने का पूरा मामला हाईकोर्ट में चल रहा है।
इसकी सुनवाई दस दिसंबर को है। लिहाजा झा आयोग को जल्द से जल्द पूरे मामले की जांच कर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। यशपाल मलिक को नोटिस भेजने का कारण मनोज दूहन के साथ हुई उनकी कथित बातचीत है। जस्टिस एसएन झा आयोग जाट नेता यशपाल मलिक को बुलाकर पूछना चाहता है कि उनकी मनोज दूहन के साथ क्या बातचीत हुई थी।
मनोज दूहन इस आंदोलन के आरोपियों में से एक है। हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु की रोहतक कोठी पर भी इस आंदोलन के दौरान आगजनी हुई थी, जिसमें कैप्टन के परिवार के सभी सदस्यों को जलाकर मार देने की साजिश रचे जाने की आशंका खुद मंत्री ने जाहिर की थी। सीबीआइ इस पूरे मामले की जांच कर रही है।
हरियाणा सरकार ने आशंका जताई थी कि इस आंदोलन में राजनीतिक षड्यंत्र रचा गया है, लिहाजा पूरी स्थिति साफ करने के लिए जस्टिस एसएन झा आयोग का गठन किया गया है। हरियाणा सरकार एसएन झा आयोग को कई एक्सटेंशन दे चुकी है। इस आयोग के गठित होने से पहले हालांकि उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह अपनी रिपोर्ट पेश कर चुके हैं।
इस रिपोर्ट में सरकारी मशीनरी को पैरालाइज होने की बात कही गई है, लेकिन हरियाणा सरकार उससे सहमत नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पूर्व राजनीतिक सलाहकार प्रो. वीरेंद्र पर भी आंदोलन की सुई घुमाई गई, लेकिन रोहतक जिला कोर्ट प्रो. वीरेंद्र को बरी कर चुकी है। अब यह केस हाईकोर्ट में चल रहा है।
(राजेश जैन)