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तीन बार इनेलो टिकट पर चुनाव लड़े कैलाश भगत भाजपा में शामिल

पिछले लगातार तीन विधानसभा चुनावों में इनेलो की टिकट पर कैथल हल्के से भाग्य आजमाने वाले प्रसिद्घ समाजसेवी कैलाश भगत ने भाजपा ज्वाइन कर ली।

कैथल : पिछले लगातार तीन विधानसभा चुनावों में इनेलो की टिकट पर कैथल हल्के से भाग्य आजमाने वाले प्रसिद्घ समाजसेवी कैलाश भगत ने भाजपा ज्वाइन कर ली। चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में उन्होंने भाजपा का दामन थामा और इनेलो को अलविदा कर दिया। कैथल की राजनीति में बड़ा नाम और प्रमुख औद्योगिक घराने से ताल्लुक रखने वाले कैलाश भगत ने चश्मा उतारकर कमल का फूल के साथ जुड़ गए।

कैलाश भगत द्वारा अपने पिता, समर्थकों सहित अचानक लिए गए इस फैसले से न केवल कैथल की राजनीति में भूचाल आ गया है अपितु अभी से उन्हें भाजपा की ओर से आगामी चुनावों में टिकटार्थी के रूप में देखा जाने लगा है। कैलाश भगत द्वारा भाजपा में शामिल होते ही इन अटकलों पर भी विराम लग गया जो पिछले कई माह से चल रही थी कि कैलाश भगत भाजपा में जाएंगे। कैलाश भगत पिछले लंबे समय से इनेलो की बैठकों व कार्यक्रमों में भी उपस्थित नहीं हो रहे थे।

इन चुनावों में मिली कैलाश भगत को मात : कैलाश भगत के चुनाव लड़ने की बात करें तो वर्ष 2005 में कांग्रेस के शमशेर सिंह सुरजेवाला ने उन्हें 5112 वोटों से हराया। वर्ष 2009 में कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला ने उन्हें 22552 वोटों से शिकस्त दी। इसी प्रकार वर्ष 2014 में भी रणदीप सुरजेवाला ने उन्हें 23675 मतों के अंतर से हरा दिया था। इस हार का कारण संभवत: यह माना जा रहा है कि वे चुनावों के आसपास आकर ही वे राजनीति में सक्रिय होते हैं।

अपने सामाजिक रसूख और इनेलो के प्रति समर्पण रखने वाले कैलाश की छवि न केवल पंजाबी बिरादरी में अपितु अन्य बिरादरियों में बेहतर मानी जाती है। फिलहाल यह संशय बना हुआ है कि कैलाश भगत कैथल विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे या फिर कुरुक्षेत्र लोकसभा से किस्मत आजमाएंगे।

भाजपा में मेरा विश्वास  कैलाश भगत : वहीं इस बारे में जब कैलाश से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पिछले दिनों उन्होंने बीजेपी पार्टी में शामिल होने पर अपनी सहमति जताई थी। आज मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उन्होंने अपने समर्थकों सहित भाजपा में अपना विश्वास जताया है। कैलाश भगत के पिता लंबे समय से आरएसएस से भी जुड़े हैं।

(मोहित गुलाटी)

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