चंडीगढ़: हरियाणा सरकार द्वारा सेवानिवृत्त आइएएस राजन गुप्ता को हरेरा का चेयरमैन नियुक्त किए जाने के साथ ही विवाद शुरू हो गया है। पिछले कई दिनों से इस नियुक्ति को लेकर जहां सत्ता के गलियारों में दबी-दबी जुबान में चर्चाओं का दौर चल रहा था वहीं अब हरियाणा के चर्चित आइएएस अशोक खेमका ने टवीट् करके सरकार के फैसले को कटघरे में खड़ा कर दिया है। खेमका ने हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (हरेरा) के चेयरमैन पद पर हुई नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं। राजन गुप्ता आइएएस अधिकारियों की उस तीन सदस्यीय कमेटी के सदस्य थे, जिन्होंने खेमका के म्यूटेशन रद्द करने के फैसले को गलत ठहराते हुए वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील को क्लीन चिट दी थी।
गुप्ता की नियुक्ति को उसी घटनाक्रम के साथ जोडकऱ देखा जा रहा है। वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील को क्लीन चिट देने वाली कमेटी के एक अन्य सदस्य के.के जालन भी हरेरा की गुरुग्राम पीठ का चेयरमैन बनने के लिए लाबिंग में लगे हुए थे। उन्हें लाबिंग के मामले में सीनियर आइएएस केके खंडेलवाल ने मात दी है और वह इस पद पर अगले पांच साल के लिए काबिज होने में कामयाब हो गए। खंडेलवाल पहले खेल विभाग में और अब शिक्षा विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं।
खंडेलवाल और गुप्ता की चेयरमैन के रूप में नियुक्ति के आदेश नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग ने रविवार देर रात जारी किए हैं। बिल्डर्स से जुड़े तमाम मामलों के निपटान के लिए यह पीठ काम करेंगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दोनों अधिकारियों की नियुक्ति को मंजूरी प्रदान की है। राजन गुप्ता इसी साल सितंबर में रिटायर हुए, जबकि खंडेलवाल की रिटायरमेंट अगले साल होनी हैं लेकिन अब उन्हें वीआरएस लेनी होगी। पीठ के चेयरमैन का कार्यकाल पांच साल का होगा।
(राजेश जैन)