केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों को 50 दिन से ज्यादा का समय हो चुका है। किसानों और सरकार के बीच हुई 9 वार्ताएं बेनतीजा साबित हुईं। हरियाणा किसान संघर्ष समिति के संयोजक मंदीप नाथवान का कहना है कि सरकार के इशारे पर कुछ लोग इस आंदोलन को हिंसक रूप देना चाहते हैं।
नाथवान ने रविवार को एक बयान देते हुए कहा, सरकार के इशारे पर कुछ लोग इस आंदोलन को हिंसक रूप देना चाहते हैं। यह आंदोलन सरकार की नीतियों के खिलाफ है, न कि दिल्ली के खिलाफ। हम संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा तय की गई रणनीति को लागू करना चाहते है और इसे शांतिपूर्वक जारी रखना चाहिए।
उन्होंने कहा, यह कहा जा रहा है कि 26 जनवरी को किसान लाल किले और ट्रैक्टरों पर तिरंगा फहराएंगे और टैंक एक साथ चलेंगे। मोर्चा द्वारा इस तरह के किसी कार्यक्रम को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। इस तरह के बयान किसानों के हित में नहीं हैं। गौरतलब है कि 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है।
कृषि कानूनों को लेकर किसानों के मन में पैदा हुई आशंकाओं का समाधान तलाशने के लिए किसान यूनियनों के नेताओं के साथ शुक्रवार को करीब पांच घंटे मंथन के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल सका। अब 19 जनवरी को फिर अगले दौर की वार्ता होगी।
कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार लाने के मकसद से केंद्र सरकार ने कोरोना काल में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 लाए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बहरहाल इन कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है और मसले के समाधान के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन कर दिया।