भिवानी : पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा गैर मान्यता व अस्थायी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के प्रति सख्त रुख अख्तियार कर इनके संबंध में शिक्षा विभाग द्वारा स्टेटस रिपोर्ट तलब किए जाने के बाद भिवानी जिले के लगभग 130 अस्थायी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों पर संकट मंडराने लगा है। इन अस्थायी स्कूलों में शिक्षा विभाग जिला मुख्यालय द्वारा एक अप्रैल से कक्षाएं संचालित नहीं किए जाने की हिदायतें दी थी। इसी के साथ अस्थायी मान्यता वाले निजी स्कूलों से स्थायी मान्यता की शर्तें पूरी करने के लिए निर्धारित किए गए दस्तावेज भी तलब किए गए थेए मगर अभी तक किसी निजी स्कूल ने इन आदेशों पर कोई ध्यान नहीं दिया।
इसी मामले में स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार 24 अप्रैल को न्यायालय में होने वाली सुनवाई के दौरान एक अप्रैल के बाद कक्षाएं संचालित करने वाले गैर मान्यता व अस्थायी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के खिलाफ न्यायालय के अवमानना की शिकायत कर कानूनी शिकंजा कसने व तालाबंदी की मांग उठाएंगे। इतना ही नहीं अब तक गैर मान्यता व अस्थायी मान्यता वाले निजी विद्यालयों पर मेहरबानी दिखाने वाले शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ विभागीय एवं कानूनी कार्रवाई कराने के लिए शिक्षा विभाग मुख्यालय व हाई कोर्ट को पुख्ता सबूत भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
हरियाणा स्कूली शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी की गई प्रदेशभर के 1894 अस्थायी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में अकेले भिवानी व चरखी दादरी जिले के अंदर लगभग 130 अस्थायी मान्यता वाले निजी स्कूल आते हैं। इन स्कूलों को वर्ष 2007 से ही शिक्षा विभाग हर साल अस्थायी मान्यता के लिए एक साल की एक्सटेंशन देता चला आ रहा था। मगर अब न्यायालय ने हर साल इन स्कूलों पर मेहरबानी दिखाने वाली हरियाणा सरकार को भी कड़ी फटकार लगाते हुए इनकी स्थायी मान्यता के संबंध में अब तक उठाए गए कदमों पर कड़ा रुख अख्तियार कर अतिरिक्त मुख्य सचिव शिक्षा विभाग से रिपोर्ट भी तलब कर ली है।
इसी के बाद अस्थायी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में हडकंप का माहौल बना हुआ है। ये विद्यालय अब सरकार को कोस रहे हैं और अपनी खाल बचाने के लिए उजुल फिजुल आरोप प्रत्यारोपों से ध्यान बंटाने के साथ साथ नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से बच्चों के नए शिक्षा सत्र 2019.20 के लिए दाखिला करने में जुटे हैंए जिनके संगठन के समक्ष भी पुख्ता सबूत मौजूद हैं। गैर मान्यता व अस्थायी स्कूलों में एक अप्रैल के बाद हुए बच्चों के दाखिलों को लेकर भी सरकार एवं उन स्कूलों को न्यायालय में पार्टी बनाकर उनके खिलाफ अवमानना का केस एवं धोखाधड़ी के तहत पुलिस में प्राथमिकी भी दर्ज कराई जाने की मांग की जाएगी।