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लोकसभा चुनाव : रोहतक में 2016 के जाट आंदोलन का असर

शासन किया है और इस क्षेत्र को हुड्डा परिवार का गढ़ माना जाता है। लेकिन पार्टी इस बार अपने गढ़ को बचाने के लिए कड़ी चुनौती का सामना कर रही है। 

रोहतक में चुनाव अभियान अब समाप्ति की ओर है और इस संसदीय क्षेत्र के लोगों का मानना है कि इस बार के चुनाव में 2016 के जाट प्रदर्शन के आधार पर वोटों का विभाजन होगा। लगातार चौथी बार रोहतक से चुनाव लड़ रहे दीपेंद्र हुड्डा यहां अपने पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मुख्यमंत्री बनने के बाद 2004 से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। दीपेंद्र हुड्डा यहां से भाजपा के उम्मीदवार अरविंद शर्मा से मुकाबला कर रहे हैं, जो चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए हैं।

रोहतक के लोगों का कहना है कि इस बार का चुनावी प्रचार मुख्यत: जाट और गैर-जाट और 35 अन्य बिरादरियों पर केंद्रित है, जो जिले की 16 लाख आबादी में से 30 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती है। भाजपा ने यहां कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों की तरफ से प्रधानमंत्री उम्मीदवार नहीं होने बनाम प्रधानमंत्री मोदी के निर्णायक शासन का मुद्दा उठाया है। यहां के डीएलएफ कॉलोनी निवासी जगदीश मलिक ने आईएएनएस से कहा कि ‘फरवरी 2016 में जाट प्रदर्शन के बाद जाट और गैर-जाटों की चर्चा को बल मिला है।’

 झज्जर रोड निवासी बिरेंद्र कुमार ने कहा, ‘हम फरवरी 2016 के जाट प्रदर्शन को नहीं भूल सकते, जब हमने बंदूक और चाकू लिए कई लोगों को वाहनों पर आते और संपत्ति को निशाना बनाते व दुकानों को लूटते देखा।’ यह पूछे जाने पर कि क्या जिले में कोई विकास कार्य हुआ है? उन्होंने कहा, ‘दीपेंद्र और उनके पिता ने रोहतक में ढेर सारे काम किए हैं, जो दिखाई देता है।

लेकिन लोग जाट प्रदर्शन के कारण पार्टियों से खफा हैं।’ लोग हालांकि यहां दीपेंद्र हुड्डा के खिलाफ किसी तरह की सत्ता विरोधी लहर से इनकार करते हैं, लेकिन वे उनपर व उनके पिता पर आरोप लगाते हैं कि उन्होंने जाट प्रदर्शन के दौरान नुकसान को रोकने के लिए कुछ नहीं किया।

संसदीय क्षेत्र में प्रचार अभियान के दौरान, दीपेंद्र हुड्डा प्राय: जिले में विभिन्न जाति समूहों के बीच सामाजिक गठबंधन की बात करते हैं, जिसमें 2016 के प्रदर्शन के बाद व्यवधान उत्पन्न हो गया था। दूसरी तरफ, भाजपा ने कांग्रेस पर जाट प्रदर्शन के जरिए मनोहर लाल खट्टर सरकार को अस्थिर करने के लिए जाटों को भड़काने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने यहां लंबे समय से शासन किया है और इस क्षेत्र को हुड्डा परिवार का गढ़ माना जाता है। लेकिन पार्टी इस बार अपने गढ़ को बचाने के लिए कड़ी चुनौती का सामना कर रही है।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मंगलवार को दीपेंद्र हुड्डा के समर्थन में रोडशो किया था। रोहतक में हुड्डा कॉम्प्लेक्स निवासी कपिल गुलाटी ने कहा, ‘शहर के स्थानीय मुद्दे भी महत्वपूर्ण हैं..जैसे पानी की कमी और कानून-व्यवस्था की स्थिति।’ गुलाटी ने कहा, ‘इन दिनों चेन छीनने की घटना बढ़ गई है और परिवार की महिलाएं अंधेरा होने के बाद बाजार नहीं जाती हैं।’ यह पूछे जाने पर कि कौन इस चुनाव में चहेता उम्मीदवार है? उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं कि दीपेंद्र हमारे चहेते हैं, क्योंकि वह स्थानीय हैं और जब भी जरूरत पड़ती है, वह उपलब्ध होते हैं..जबकि कोई नहीं जानता कि अरविंद शर्मा कहां से आए हैं।’

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